मूलत: पपीता अमेरिकी फल है, लेकिन आज विश्व के अधिकतर ट्रोपिकल और नानट्रोपिकल क्षेत्रों में उगाया जा रहा है। इस फल की लंबाई औसतन आठ इंच तक पहुंच सकती है। पपीते की कई किस्में हैं, जिनमें से कुछ पकने के बाद भी हरी रहती है। मगर ज्यादातर गहरी पीली या शानदार आॅरेंज रंग की हो जाती है। पपीते का बीज सिर्फ बीच में ही होता है। इसका मुलायाम, रस भरा और गूदे का स्वाद ऐसा होता है जैसे तरबूज और नाशपाती को मिलाकर खा लिया हो।
जब आप बाजार में पपीता खरीदने जाएं तो ये देख लें कि वो तकरीबन पूरा पीला हो। साथ ही उसे सूंघ कर देखें कि अच्छी सुगंध आ रही हो। पपीते बहुत जल्दी गलने लगते हैं, इसलिए खराब या सिकुड़े वाले पपीते न खरीदें। अगर पपीता पका नहीं है तो उसके छिलके को स्टैम्प के आसपास से देखें, वह पीला होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो पपीता कभी भी पकेगा नहीं। यह फल खाने में स्वादिष्ट है और सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी।
पपीते में बड़ी मात्रा में विटामिन ‘ए’ और कैल्शियम होता है। इसमें विशेष रूप से एंजाइम, पपाएन होते हैं, जो प्रोटीन को तोड़ता है और मांसाहारी भोजन करने वालों के लिए भी इसलिए लाभकारी है, क्योंकि यह गोश्त को हजम करने में भी मदद करता है। यह पपाएन की ही वजह है कि पपीता बहुत आसानी से हजम हो जाता है। पपीते के स्वास्थ्य संबंधी जो फायदे हैं, उनमें से कुछ इस तरह हैं कि पके हुए पपीते से दाद, खाज, खुजली दूर हो जाती है। कच्चा या हरा पपीता न सिर्फ हाई ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है, बल्कि शक्तिवर्धन के रूप में भी काम करता है। त्वचा अगर कहीं से कट छिल गई है या उसमें सूजन, जलन है तो भी पपीता उस पर सीधे लगाकर राहत हासिल की जा सकती है। पपीते के बीज जलन दूर करते हैं और एनालजेसिक जैसा काम करते हैं। पपीते के पत्ते हार्ट टॉनिक और एनालजेसिक के रूप में इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
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