Wednesday, January 12, 2011

यह जलन जानलेवा...

आज कल लगभग हर कोई छाती की जलन से परेशान है और इससे छुटकारा पाने के लिये तरह तरह की खाने वाली एवं पीने वाली दवाइयों का सहारा ले रहा है, लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है। तो आइए देखते हैं कि आखिर भूल कहां हो रही है। छाती में जलन से छुटकारा पाने के लिये एसिडिटी खत्म करने के लिए ओमीप्राजÞोल नामक दवाई लोगों में खूब चल रही है। वे बिना किसी किस्म की डॉक्टरी सलाह के ये दवाईयां केमिस्ट से खरीद लेते हैं। खाली पेट वाले कैप्सूल (अकसर लोग इस तरह के कैप्सूलों को कुछ इसी तरह से ही पुकारते हैं)—रोजाना सुबह सवेरे खाली पेट लेते हैं ताकि उनमें किसी तरह की एसिडिटी कम हो जाए। पहली बात तो यह है कि बिना डॉक्टर के परामर्श के इस तरह की दवाइयां लंबे समय तक लेते रहने में कहां की समझदारी है ! और यही नहीं अगर इन कैप्सूलों से कुछ लोगों को कुछ विशेष राहत महसूस नहीं होती, तो फिर वे अपनी इच्छा से पेट की एंडोस्कोपी जांच करवाने की बात करने लगते हैं। और सब से जरूरी बात ही यह है कि अगर हमें इस तरह की एसिडिटी के कारणों का पता रहेगा और हम थोड़ा अपने खाने-पीने एवं जीवन-शैली के बारे में सचेत रहेंगे, तो इन तकलीफों से काफी हद तक बचे रह सकते हैं।


करें परहेज- जो लोग ज्यादा तली हुई वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं उनमें इस तरह की तकलीफ होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं। जो लोग सब्जी आदि में देशी घी उंडेलने के शौकीन हैं, वे भी इस से बच नहीं पाते। इसके लिए घरेलू नुस्खे के तौर पर फ्रिज में रखे ठंडे दूध के दो-तीन घूंट पी लिया करता था जो इस अवस्था को ठीक करने में जादू सा असर रखता है।

बढ़ाएं शारीरिक श्रम- जितना हो सके हमें मैदे से बनी लगभग सभी तरह की वस्तुओं से दूर रहना चाहिए और इसमें भी सब से अहम् है कि हम लोग घर में जो गेहूं के आटे का सेवन करें वह मोटा होना चाहिए। इस के साथ ही साथ इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए कि उस आटे में से चोकर निकाल कर रोटियां न बनाई जाएं। बिना चोकर वाला बारीक आटा बहुत आफत करता है। पेट की तरह तरह की तकलीफों, गैस, छाती में जलन के साथ ही साथ इस का सेवन करने वाले कब्ज के शिकार हुये रहते हैं। और एक बहुत अहम् कारण है शारीरिक परिश्रम की कमी। यह भी एक तरह से आज के लाइफ-स्टाइल की देन है। छाती में जलन से बचे रहने के लिये रोजाना टहलना भी बहुत फायदेमंद है। सादा, सात्विक, संतुलित आहार लें, रात में हलका-फुलका खाएं, जीवन-शैली में जरूरी परिवर्तन लाएं और अगर कभी यूं ही किसी पार्टी आदि में थोड़ी बहुत बदपरहेजी हो भी जाए तो उस का समाधान किसी टेबलेट, कैप्सूल अथवा सीरप में ढूंढ़ने की बजाए अगर हम लोग अपना खान-पान और जीवन-शैली थोड़ी लाइन पर ले आएं तो हम लोग बहुत सी तकलीफों से बचे रह सकते हैं।

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