करें परहेज- जो लोग ज्यादा तली हुई वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं उनमें इस तरह की तकलीफ होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं। जो लोग सब्जी आदि में देशी घी उंडेलने के शौकीन हैं, वे भी इस से बच नहीं पाते। इसके लिए घरेलू नुस्खे के तौर पर फ्रिज में रखे ठंडे दूध के दो-तीन घूंट पी लिया करता था जो इस अवस्था को ठीक करने में जादू सा असर रखता है।
बढ़ाएं शारीरिक श्रम- जितना हो सके हमें मैदे से बनी लगभग सभी तरह की वस्तुओं से दूर रहना चाहिए और इसमें भी सब से अहम् है कि हम लोग घर में जो गेहूं के आटे का सेवन करें वह मोटा होना चाहिए। इस के साथ ही साथ इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए कि उस आटे में से चोकर निकाल कर रोटियां न बनाई जाएं। बिना चोकर वाला बारीक आटा बहुत आफत करता है। पेट की तरह तरह की तकलीफों, गैस, छाती में जलन के साथ ही साथ इस का सेवन करने वाले कब्ज के शिकार हुये रहते हैं। और एक बहुत अहम् कारण है शारीरिक परिश्रम की कमी। यह भी एक तरह से आज के लाइफ-स्टाइल की देन है। छाती में जलन से बचे रहने के लिये रोजाना टहलना भी बहुत फायदेमंद है। सादा, सात्विक, संतुलित आहार लें, रात में हलका-फुलका खाएं, जीवन-शैली में जरूरी परिवर्तन लाएं और अगर कभी यूं ही किसी पार्टी आदि में थोड़ी बहुत बदपरहेजी हो भी जाए तो उस का समाधान किसी टेबलेट, कैप्सूल अथवा सीरप में ढूंढ़ने की बजाए अगर हम लोग अपना खान-पान और जीवन-शैली थोड़ी लाइन पर ले आएं तो हम लोग बहुत सी तकलीफों से बचे रह सकते हैं।
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