Friday, November 19, 2010

Guzarish Movie Review

कलाकार : रितिक रोशन, ऐश्वर्या राय, नफीसा अली, सुहेल सेठ, आदित्य राय कपूर आदि निर्देशक : संजय लीला भंसाली संजय लीला भंसाली की भावनात्मक फिल्मों की शृंखला में एक बार फिर ‘गुजारिश’ दर्शकों के लिए तैयार है, जो इमोशंस से भरपूर है। रितिक रोशन अपनी भूमिका को हमेशा बेहतर तरीके से निभाने के लिए जाने जाते हैं और संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशक का साथ पाने के बाद वह क्या कर सकते हैं? यह बताने की जरूरत नहीं है।
 

ऐश्वर्या ने अपने काम और खूबसूरती प्रभावित किया है। इसका टाइटल सांग पहले ही हिट हो चुका है। कहानी इथान (रितिक रोशन) की है, जो बड़ा मैजीशियन था, लेकिन एक एक्सीडेंट के बाद से वह पिछले चौदह सालों से व्हीलचेयर पर है। व्हीलचेयर पर बैठे इथान की देखभाल करने वाली खूबसूरत नर्स सोफिया डिसूजा (ऐश्वर्या राय) पिछले बारह सालों से उसके साथ साए की तरह है।

इथान रेडियो जॉकी है, जिसकी जिंदादिली से श्रोता खुश होते हैं। उन्हें नहीं पता है कि इथान किसी ऐसे शख्स का नाम है, जो व्हीलचेयर पर अपनी जिंदगी के दिन काट रहा है। इथान अपनी जिंदगी को खत्म कर देना चाहता है, ताकि अपने चाहने वालों का दुख कम कर सके, लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है कि वह फिर से जीना चाहता है। इमोशंस से भरपूर यह फिल्म कुछ हटकर चाहने वालों को पसंद आएगी, जबकि मसाला फिल्में पसंद करने वाले इससे निराश हो सकते हैं। सुनने में आया है कि यह फिल्म वर्ष 2004 में आई एक स्पैनिश फिल्म ‘सी इंसाइड’ से प्रेरित है।
एक्टिंग
इससे पहले भी अपने रोल और लुक के साथ एक्सपेरिमेंट करने वाले रितिक रोशन ने इस बार ऐसा प्रयोग किया है जिसे करने से ग्लैमर इंडस्ट्री का हर बड़ा स्टार परहेज करेगा। कामयाब जादूगर और वील चेयर पर जिंदगी गुजारते एक शख्स के भावों को उन्होंने अपने अभिनय से जीवंत कर दिया है। इस मुश्किल भूमिका को निभाने के लिए उन्होंने अच्छा - खासा होमवर्क किया जो साफ नजर आता है। ऐश्वर्या ने भी अपने रोल को खूबसूरती से स्क्रीन पर उतारा है। वैसे ऐश को जब भी भंसाली का साथ मिला उन्होंने लाजवाब काम किया। आदित्य रॉय कपूर और मॉडल मोनीकांगना ने भी ठीकठाक ढंग से निभाया है।

डायरेक्शन
भंसाली ने इस कहानी को ईमानदारी के साथ बिना किसी तड़क - भड़क के पेश किया है। एंथेन की मानसिकता और उसके व्यवहार को उभारने में उन्होंने पूरी जान दी है। कहानी का ज्यादातर हिस्सा उन्होंने खूबसूरत आउटडोर लोकेशन पर फिल्माया है , जो कि मूवी का प्लस पॉइंट है। लेकिन दूसरी तरफ कहानी की धीमी रफ्तार और किरदार हर क्लास की कसौटी पर फिट नहीं बैठते।

संगीत
फिल्म के ज्यादातर गाने सुरीले हैं और कहानी के माहौल पर फिट बैठते हैं। मूवी में पहली बार संगीत दे रहे भंसाली ने साबित कर दिया है कि संगीत पर भी उनकी पकड़ कसी हुई है। फिल्म में पब कल्चर का कोई गाना नहीं है , इसके बावजूद संगीत के शौकीनों के लिए खूबसूरत है।

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