Sunday, November 21, 2010

मधुमेह का असली कारण नहीं है शुगर

शुगर के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वह दिल की बीमारी, मोटापे, दांत खराब करने, बच्चों में हाइपरऐक्टिविटी और मधुमेह का कारण है, लेकिन हकीकत यह नहीं है। यह भी सच है कि शुगर ऐसी रिक्त कैलोरी, जिससे ऊर्जा तो मिलती है, लेकिन और कोई पोषण नहीं। लेकिन यह शरीर के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं है। यह सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ हमारी जैविक प्रणाली का एक जरूरी हिस्सा है। शुगर हमारे दिमाग को सचेत रखती है। और यह ईंधन शरीर को दिन भर एनर्जेटिक रखता है। अक्सर लोगों के भोजन में बहुत सी शुगर होती है, पर उन्हें इसका आभास तक नहीं होता। यह शुगर खासकर आधुनिक जमाने के प्रौसेस्ड खाद्य पदार्थों व विविध पेय पदार्थों में अधिकता में मौजूद है। निष्क्रिय जीवनशैली, एक जगह बैठ कर काम करने की संस्कृति का संबंध हमारी डायबिटीज से है। इसलिए शहरी लोगों की आरामतलबी डायबिटीज की एक अहम वजह है।
मिथक एवं तथ्य मिथक 1- बहुत मात्रा में शकर खाने से डायबिटीज होती है।
तथ्य-टाइप1- डायबिटीज इंसुलिन बनाने वाली 90 प्रतिशत से अधिक कोशिकाओं के हृस से होती है, जो पैंक्रियाज में मौजूद होती हैं। इसका संबंध शुगर के सेवन से नहीं है।
टाइप2- डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता रहता है, कभी कभार सामान्य स्तर से भी अधिक मात्रा में, किंतु शरीर इंसुलिन के असर पर प्रतिरोध विकसित कर लेता है, जिससे शरीर की आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं होती।
मिथक 2- मधुमेह के मरीज मीठा नहीं खा सकते।
तथ्य- मधुमेह के रोगी कुछ हद तक अपने संतुलित भोजन के हिस्से के तौर पर मीठा खा सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपनी खुराक में कार्बोहाइड्रेट की कुल मात्रा को नियंत्रित करना होगा। मिष्ठान से सिर्फ कैलोरी मिलती है कोई पोषण नहीं । इसलिए मीठे को सीमित करें, लेकिन उसे बिल्कुल दरकिनार नहीं।
मिथक: 3- कम कार्बोहाइड्रेट वाली खुराक मधुमेह ग्रस्त लोगों के लिए अच्छी होती है। तथ्य: कम कार्बोहाइड्रट वाला भोजन प्रोटीन वसा से भरपूर होता है। उच्च वसा तथा उच्च प्रोटीन वाली खुराक से दिल और गुर्दे की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। मधुमेह ग्रस्त रोगियों को ऐसी भोजन योजना बनानी चाहिए, जिससे उन्हें कार्बोहाइड्रेट सेवन को संतुलित करने में मदद मिले