क्रोध के कारण- व्यक्ति  तो जन्म से शांत होता है। क्रोधी तो कभी नहीं। हालात ही उसे क्रोधी बना  देते हैं। साथी संगी गलत होने पर भी व्यक्ति क्र ोधी हो जाता है। परीक्षा  या किसी काम में बार बार की असफलता से। किसी भी कारण से हीन भावना पालने  वाला व्यक्ति क्रोधी हो जाता है। कमजोर व्यक्ति को भी बात-बात पर क्रोध में  आ जाता है। लंबी बीमारी भी व्यक्ति को क्रोधी बना देती है। अभिभावकों,  माता-पिता द्वारा हर समय टीका-टिप्पणी भी बच्चों को क्रोधी बना देती है।    
उपचार- अधिक क्रोध आने  के ऊपर बताए कारण हो सकते हैं। इनके अतिरिक्त और भी कारण संभव हैं। यह तो  व्यक्ति के अपने वातावरण पर निर्भर करता है। निम्नलिखित उपचार कारगर सिद्ध  हो सकते हैं।उपचार भी ऐसा, जिसमें दवाओं की नहीं, बल्कि सात्विक आहार में  ही ऐसे गुण होते हैं, जो आपके क्रोध को शांत करने में अहम भूमिका निभाते  हैं।
गुलकंद व दूध: बहुत गुस्सा आता हो तो रोजाना रात के समय गुलकंद का एक बड़ा चम्मच खाकर, गुनगुना दूध पिया करें।
सेब का सेवन: क्रोधी  व्यक्ति प्रात: खाली पेट, अच्छी किस्म के दो पके हुए मीठे सेब खाना शुरू  करें। स्वभाव बदल जाएगा। आंवेल का मुरब्बा व दूध: बात- बात पर क्रोध करने  वाला व्यक्ति प्रात: आंवले का मुरब्बा खाना शुरू करे और गुनगुना दूध भी  पिए।
चबाने की आदत: कोई भी  तरल पदार्थ, पेय पदार्थ, यहां तक कि जूस, दूध, पानी सीधे नहीं चढ़ा जाए। इसे  रुक-रुककर, धीरे- धीरे पिएं। भोजन में कुछ भी खाएं, भले ही खीर, कस्टर्ड,  दही जैसे नर्म पदार्थ इन्हें भी चबा- चबाकर खाएं।
नशा व मांस: यदि बहुत जल्दी क्रोध आता है, तो मांस, मछली, अंडा, शराब या अन्य कोई नशा न करते हों तो छोड़ दें।
पानी का करें सेवन:  प्रतिदिन दस गिलास पानी पिया करें। अपने आहार में शहतूत, पोदीना, सौंफ,  संतरा, नींबू, छोटी इलायची, खस-खस का शर्बत, बादाम शर्बत शामिल करें। पेठा:  मिठाई के तौर पर पेठा क्रोध शांत करने में मदद करता है।
प्रात: की सेर: क्रोधी  व्यक्ति प्रात: खुली हवा में सैर तो किया ही करें, ध्यान, प्रायायाम आदि भी  करें। अवश्य लाभ होगा। जो व्यक्ति इन बातों को अपने ध्यान में रखकर, इनमें  से कुछ ही, अपना ले तो आप शांत रह सकेंगे।
 
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