तेल कितनी तरह के होते हैं मुख्य:
एनिमल सोर्स द्वारा – जो दूध तथा दूध से बने प्रोडक्ट से मिलता हैजैसे घी, मक्खन,क्रीम,ये पचने में भारी होते है लेकिन जमकर वर्कआउट(शरीर से पसीना बहाने) करने पर शरीर में एबजार्व भी हो जाते हैं ये बैड कोलेस्ट्राल तो जरूर बढाते हैं परंतु गुड कोलेस्ट्राल को भी कोई नुकसान नहीं पहुचाते हैं फिर भी इसकी मात्रा हमारे शरीर में कम ही आनी चाहिये।
प्लांट सोर्स द्वारा – जो हमें पौधों से प्राप्त होते हैं-रिफाइंड तथा वनस्पति घी यानि सीडस् ऑयल
रिफाइंड तेल से आप क्या समझे-इस तरह के तेलों को इतना प्रोसेस किया जाता है कि आप यह नहीं पहचान पाते कि ये किस चीज का तेल है
कुछ इस तरह के तेल भी है जो फैक्टरी में नहीं बनते कोल्हू से निकाले जाते हैंजैसे सरसों का तेल ये गुड कोलेस्ट्राल को बढाते है तथा बैड कोलेस्ट्राल को कम करते हैं।
वनस्पति घी-इसे खाने के तेल में हाइड्रोजन मिलाकर बनाया जाता है ताकि अधिक दिन तक उसका स्वाद तथा लाइफ रख सकें परंतु इससे फैट की मात्रा बढ़ जाती है जो शरीर के लिये नुकसान दायक है मतलब बैड कोलोस्ट्राल बढाते हैं और गुड़ कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं।
बाजार में किसी भी चीज को कुरकुरा बनाने के लिये यहां तक कि बेकरियों तक में भी इनका इस्तेमाल किया जाता हैजिसे खा-खा कर आपका मोटापा बढता है।
किस तेल को आप अच्छा समझें- जिस तेल में ओमेगा-3 जितना ज्यादा होगा, यानि वह दिल के लिये उतना ही अच्छा होगा ।जैस सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल, मूंगफल्ली का तेल, लेकिन फिर भी किसी एक तत्व के आधार पर अच्छा बुरा का फैसला नहीं कर सकते अच्छा यही होगा के आप बदल बदल कर तेल इस्तेमाल करें कारण अलग अलग तेलों में अलग अलग खासियत पाई जाती है कोई भी तेल रूटीन में न खायें तरह –तरह की चीजों को अलग- अलग तलों से बना सकती हैं जैस एक से सब्जी तो दूसरे से परांठे ऑलिव ऑयल सलाद में उपर से एक चम्मच डालें इस तेल को गरम कर न खायें तो अच्छा होगा। तेल हमेशा उसकी क्वालिटी तथा मात्रा को ध्यान में रख कर ही खायें तो सेहत के लिये अच्छा होगा सब मिलाकर मोटा मोटा समझ लें कि प्रति व्यक्ति आधा किलो तेल एक माह में खा सकते हैं इससे ज्यादा हानिकारक हो सकता है चाहे आप घी खायें या तेल।कारण अधिक तेल घी मोटापा बढाता है, बैड कोलेस्ट्रॉल बढाता है बी.पी हाई करता है,अस्थमा ,डाइबिटीस तथा एलर्जी जैसी बीमारियां पैदाकर सकता है आप रोज मर्रा में चाहे अचार ही क्यों न खायें उसका तेलभी जोड़ लें।हर तेल को धुआं उठने तक नहीं गरम करना चाहियेइसके लिये ज्यादातर सरसों तेल, सनफलावर, या फिर सफोला इस्तेंमाल कर सकते हैं।देसी घी इस तापमान तक गर्म करने से बचें।
तेल को स्टोर कैसे करें– यदि ज्यादा दिन तक स्टोर करना हो तो कांच की बोतल में ही रखें कारण प्लास्टिक में रिएक्शन हो सकता है यदि ज्यादा मात्रा में हो तो टिन में ही रखें।तेल हमेशा अच्छी क्वालिटी का खरीदें खुला न ही ले तो अच्छा होगा मिलावट का डर नहीं होगा।
एक ही तेल को बार बार गरम कर खाना न पकाएं जैसे पकौडे तले तेल को बार बार दोबारा गर्म करके कुछ न बनाऐ ज्यादा से ज्यादा सब्जी बना सकते हैं यदि कोई भी चीज तलनी हो तो छोटी सी कढाई का इस्तेमाल करें ताकि कम तेल में ही काम चल जाये।
तेल नुकसान कब करता है- ज्यादा मात्रा में खाने पर हर तेल नुकसान करेगा ज्यादातर वनस्पति घी जोदिल की नलियों को ब्लॉक कर बैड कोलेस्ट्रोल को बढाता है। तेल के बिना खाना पकाना असंभव सा होता है कारण तेल हमारे भोजन का स्वाद बनाता है यदि उचित मात्रा में नहीं लिया गया तो भी नुकसान कर सकता है कारण हमारे शरीर को इसकी जरूरत होती हैइसलिये जीरो फैट भी नुकसान दायक है। कुछ तेल खाने तथा मालिश दोनों में इस्तेमाल किया जाता है और दोनों तरह से शरीर के लिये फायदे मंद है।
1. नीम का तेल- नीम के कड़वा होने के बावजूद भी उसमें अनेक गुण हैं। इसका तेल चर्म रोगों में लाभदायक है। कारण यह जीवाणुओं कानाश करता है। नीम के निंबोली का तेल गर्भ निरोधक के रूप में काम आता है। पायरिया रोग में इस तेल की कुछ बूंदें टूथ पेस्ट में डाल कर ब्रश करें। मुंह की बदबू खत्म होगी। मसूड़ों के रोग नष्ट होंगे। इसका तेल बाजार में उपलब्ध है।
2. जैतून का तेल- जैतून का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।
3. तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।
जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।
4. अलसी का तेल- जिस तरह अलसी तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है, उसी तरह इसका तेल भी महत्व रखता है। अगर त्वचा जल जाये, तो अलसी का तेल लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है। इसमें विटामिन ई होता है। इसका कुष्ठ रोगियों को सेवन करना चाहिए। त्वचा पर लाभ होगा।
5. अरण्ड का तेल- इस तेल से सिर पर मालिश करने पर ठंडा महसूस होता है। बालों की जड़ों को मुलायम बनाता है। अरण्ड का तेल दो चम्मच दूध में डालकर अगर सेवन करते हैं, तो कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की किसी भी तकलीफ में अरण्ड का तेल दवा जैसा काम करता है। शरीर पर लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
6. मूंगफली का तेल- जिस तरह मूंगफली पौष्टिक होती है। उसी तरह उसका तेल भी लाभदायक होता है,पचने में हल्का। इसके सेवन से प्रोटीन मिलता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करता है। इसलिए हृदय रोगी इसका सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। इसके मालिश से चर्म रोगों में आराम मिलता है।
7. सरसों का तेल- सरसों का तेल मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार को बढ़ाता है। थकान दूर करता है। नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। सर्दियों में इस तेल की मालिश लाभदायक है। सरसों के तेल को पैर के तलुओं में सुखाने से थकान तुरंत मिटती है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात पायी जा सकती है। चर्म रोग पर सरसों का तेल, आक का तेल, हल्दी डाल कर गर्म करें। ठंडा हो जाने पर लगायें। सरसों का तेल गुनगुना कर पिंडलियों पर लगायें, दर्द ठीक हो जायेगा। गठिया पर सरसों के तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है।
सरसों का तेल नियमित रूप से बालों पर लगाते रहने से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। सरसों के तेल में सेंधा नमक डाल कर मसूड़ों की मालिश करें। पायरिया ठीक होगा। मसूड़ों से खून आना बंद होगा। बच्चों या बड़ों को जुकाम हो जाये, तो तेल में लहसुन पका कर तेल वापस थोड़ा ठंडा होने पर सीने पर मालिश करें। सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है।
8. राई का तेल- राई का तेल निमोनिया रोग से बचाव करता है। इस तेल की हल्की-हल्की मालिश कर के गुनगुनी धूप लें। इस तरह नियमित रूप से करने पर निमोनिया में फायदा होता है।
9. नारियल का तेल- नारियल के तेल में कपूर मिला कर यदि त्वचा पर लगायें, तो दाद, खाज, खुजली की शिकायत दूर होती है। यदि त्वचा जल जाये, तो तुरंत नारियल का तेल उस पर लगायें, निशान नहीं पड़ेगा। उस पर कुछ दिनों तक लगाते रहें। यह तेल बालों के लिए भी बेहतर होता है।
10. आंवले का तेल- इसमें विटामिन सी और आयरन होता है, जो बालों के लिए पोषक है। बालों के लिए आंवले का तेल बहुत अच्छा है।
शरीर के विकास के लिये अतिरिक्त फैटी एसिड तथा कैलोरी की जरूरत होती है तेल इनके मुख्य स्त्रोत हैं बच्चों को इसकी जरूरत करीब- करीब अठारह बीस साल की उम्र तक अधिक होती है इसके बाद अतिरिक्त तेल की जरूरत धीरे धीरे कम पडती जाती है हमारे शरीर को इसकी जरूरत 30/: से ज्यादा नहीं होती ये और अगर फिर भी आप लगातार अधिक तेल इस्तेमाल करते रहे तो मोटापे के साथ-साथ और कई बीमारियों के शिकार हो सकते है कारण तेल में होनेवाले कोलेस्ट्रॉल, जो हमारे शरीर के लिये नुकसान दायक भी होता है।तेल अपने में खुद बेस्वाद होता है परंतु सब्जियों में स्वाद उसमें डाले गये मसाले तथा नमक के कारण होता ।
तेल कितनी तरह के होते हैं मुख्य:
- एनिमल सोर्स द्वारा – जो दूध तथा दूध से बने प्रोडक्ट से मिलता हैजैसे घी, मक्खन,क्रीम,ये पचने में भारी होते है लेकिन जमकर वर्कआउट(शरीर से पसीना बहाने) करने पर शरीर में एबजार्व भी हो जाते हैं ये बैड कोलेस्ट्राल तो जरूर बढाते हैं परंतु गुड कोलेस्ट्राल को भी कोई नुकसान नहीं पहुचाते हैं फिर भी इसकी मात्रा हमारे शरीर में कम ही आनी चाहिये।
- प्लांट सोर्स द्वारा – जो हमें पौधों से प्राप्त होते हैं-रिफाइंड तथा वनस्पति घी यानि सीडस् ऑयल
वनस्पति घी- इसे खाने के तेल में हाइड्रोजन मिलाकर बनाया जाता है ताकि अधिक दिन तक उसका स्वाद तथा लाइफ रख सकें परंतु इससे फैट की मात्रा बढ़ जाती है जो शरीर के लिये नुकसान दायक है मतलब बैड कोलोस्ट्राल बढाते हैं और गुड़ कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं।
बाजार में किसी भी चीज को कुरकुरा बनाने के लिये यहां तक कि बेकरियों तक में भी इनका इस्तेमाल किया जाता हैजिसे खा-खा कर आपका मोटापा बढता है।
किस तेल को आप अच्छा समझें- जिस तेल में ओमेगा-3 जितना ज्यादा होगा, यानि वह दिल के लिये उतना ही अच्छा होगा ।जैस सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल, मूंगफल्ली का तेल, लेकिन फिर भी किसी एक तत्व के आधार पर अच्छा बुरा का फैसला नहीं कर सकते अच्छा यही होगा के आप बदल बदल कर तेल इस्तेमाल करें कारण अलग अलग तेलों में अलग अलग खासियत पाई जाती है कोई भी तेल रूटीन में न खायें तरह –तरह की चीजों को अलग- अलग तलों से बना सकती हैं जैस एक से सब्जी तो दूसरे से परांठे ऑलिव ऑयल सलाद में उपर से एक चम्मच डालें इस तेल को गरम कर न खायें तो अच्छा होगा। तेल हमेशा उसकी क्वालिटी तथा मात्रा को ध्यान में रख कर ही खायें तो सेहत के लिये अच्छा होगा सब मिलाकर मोटा मोटा समझ लें कि प्रति व्यक्ति आधा किलो तेल एक माह में खा सकते हैं इससे ज्यादा हानिकारक हो सकता है चाहे आप घी खायें या तेल।कारण अधिक तेल घी मोटापा बढाता है, बैड कोलेस्ट्रॉल बढाता है बी.पी हाई करता है,अस्थमा ,डाइबिटीस तथा एलर्जी जैसी बीमारियां पैदाकर सकता है आप रोज मर्रा में चाहे अचार ही क्यों न खायें उसका तेलभी जोड़ लें।हर तेल को धुआं उठने तक नहीं गरम करना चाहियेइसके लिये ज्यादातर सरसों तेल, सनफलावर, या फिर सफोला इस्तेंमाल कर सकते हैं।देसी घी इस तापमान तक गर्म करने से बचें।
तेल को स्टोर कैसे करें– यदि ज्यादा दिन तक स्टोर करना हो तो कांच की बोतल में ही रखें कारण प्लास्टिक में रिएक्शन हो सकता है यदि ज्यादा मात्रा में हो तो टिन में ही रखें।तेल हमेशा अच्छी क्वालिटी का खरीदें खुला न ही ले तो अच्छा होगा मिलावट का डर नहीं होगा।
एक ही तेल को बार बार गरम कर खाना न पकाएं जैसे पकौडे तले तेल को बार बार दोबारा गर्म करके कुछ न बनाऐ ज्यादा से ज्यादा सब्जी बना सकते हैं यदि कोई भी चीज तलनी हो तो छोटी सी कढाई का इस्तेमाल करें ताकि कम तेल में ही काम चल जाये।
तेल नुकसान कब करता है- ज्यादा मात्रा में खाने पर हर तेल नुकसान करेगा ज्यादातर वनस्पति घी जोदिल की नलियों को ब्लॉक कर बैड कोलेस्ट्रोल को बढाता है। तेल के बिना खाना पकाना असंभव सा होता है कारण तेल हमारे भोजन का स्वाद बनाता है यदि उचित मात्रा में नहीं लिया गया तो भी नुकसान कर सकता है कारण हमारे शरीर को इसकी जरूरत होती हैइसलिये जीरो फैट भी नुकसान दायक है। कुछ तेल खाने तथा मालिश दोनों में इस्तेमाल किया जाता है और दोनों तरह से शरीर के लिये फायदे मंद है।
- नीम का तेल- नीम के कड़वा होने के बावजूद भी उसमें अनेक गुण हैं। इसका तेल चर्म रोगों में लाभदायक है। कारण यह जीवाणुओं कानाश करता है। नीम के निंबोली का तेल गर्भ निरोधक के रूप में काम आता है। पायरिया रोग में इस तेल की कुछ बूंदें टूथ पेस्ट में डाल कर ब्रश करें। मुंह की बदबू खत्म होगी। मसूड़ों के रोग नष्ट होंगे। इसका तेल बाजार में उपलब्ध है।
- जैतून का तेल- जैतून का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।
- तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं। जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।
- अलसी का तेल- जिस तरह अलसी तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है, उसी तरह इसका तेल भी महत्व रखता है। अगर त्वचा जल जाये, तो अलसी का तेल लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है। इसमें विटामिन ई होता है। इसका कुष्ठ रोगियों को सेवन करना चाहिए। त्वचा पर लाभ होगा।
- अरण्ड का तेल- इस तेल से सिर पर मालिश करने पर ठंडा महसूस होता है। बालों की जड़ों को मुलायम बनाता है। अरण्ड का तेल दो चम्मच दूध में डालकर अगर सेवन करते हैं, तो कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की किसी भी तकलीफ में अरण्ड का तेल दवा जैसा काम करता है। शरीर पर लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
- मूंगफली का तेल- जिस तरह मूंगफली पौष्टिक होती है। उसी तरह उसका तेल भी लाभदायक होता है,पचने में हल्का। इसके सेवन से प्रोटीन मिलता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करता है। इसलिए हृदय रोगी इसका सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। इसके मालिश से चर्म रोगों में आराम मिलता है।
- सरसों का तेल- सरसों का तेल मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार को बढ़ाता है। थकान दूर करता है। नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। सर्दियों में इस तेल की मालिश लाभदायक है। सरसों के तेल को पैर के तलुओं में सुखाने से थकान तुरंत मिटती है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात पायी जा सकती है। चर्म रोग पर सरसों का तेल, आक का तेल, हल्दी डाल कर गर्म करें। ठंडा हो जाने पर लगायें। सरसों का तेल गुनगुना कर पिंडलियों पर लगायें, दर्द ठीक हो जायेगा। गठिया पर सरसों के तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है। सरसों का तेल नियमित रूप से बालों पर लगाते रहने से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। सरसों के तेल में सेंधा नमक डाल कर मसूड़ों की मालिश करें। पायरिया ठीक होगा। मसूड़ों से खून आना बंद होगा। बच्चों या बड़ों को जुकाम हो जाये, तो तेल में लहसुन पका कर तेल वापस थोड़ा ठंडा होने पर सीने पर मालिश करें। सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है।
- राई का तेल- राई का तेल निमोनिया रोग से बचाव करता है। इस तेल की हल्की-हल्की मालिश कर के गुनगुनी धूप लें। इस तरह नियमित रूप से करने पर निमोनिया में फायदा होता है।
- नारियल का तेल- नारियल के तेल में कपूर मिला कर यदि त्वचा पर लगायें, तो दाद, खाज, खुजली की शिकायत दूर होती है। यदि त्वचा जल जाये, तो तुरंत नारियल का तेल उस पर लगायें, निशान नहीं पड़ेगा। उस पर कुछ दिनों तक लगाते रहें। यह तेल बालों के लिए भी बेहतर होता है।
- आंवले का तेल- इसमें विटामिन सी और आयरन होता है, जो बालों के लिए पोषक है। बालों के लिए आंवले का तेल बहुत अच्छा है
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