इन सब में से लिवर के रोग ज्यादा समस्या खड़ी करते हैं। ह्रदय रोग फिर भी दवाईयों उपचारों से ठीक होना संभव हो सकता है।परंतु लिवर में यदि खराबी हो जाय तो पूरा शरीर प्रभावित होता है।लिवर का काम बेहद विस्तृत तथा जरूरी होता है।
लिवर फंक्शन—
लिवर का काम पूरे शरीर की मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करना है जो कुछ भी खाया पिया जाता है सब लिवर तक पहुंचता है और फिर लिवर ही उनमें से जरूरी तथा गैर जरूरी, में बांटकर उनका इस्तेमाल सुनिश्चित करता है।
उपयोगी तत्वों को रक्त के जरिये शरीर अन्य भागों तक पहुंचाता है तथा अनुपयोगी तत्वों को शरीर से बाहर निकालने के लिये उपयुक्त अंगो तक पहुंचाता है।
- ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में बदलता है
- जिगर ऐसे पदार्थ बनाता है जो चर्बी को तोड देता है
- प्रोटीन के अवशिष्टों को यूरिया में बदल कर किडनी में किडनी में पहुंचाता है जो पेशाब के जरिये बाहर निकालता है
- लिवर खून से हानिकारक तत्वों को जैसे अलकोहल को बाहर निकालता है
- लिवर का शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इसका बडा रोल है जैसे लिवर में कुछ भी गडबडी होती है तो शरीर के बाकी सभी हिस्सों का काम भी गडबडा जाता है।
चिकित्सा विज्ञान, लिवर रोगों की अधिकता को देखते हुए काफी ध्यान दे रहे हैं यहां तक कि इसके प्रति जागरूकता पैदा करने के लिये लिवर डे भी वल्ड में डिक्लेयर किया जाने लगा है
लिवर रोग –हेपिटाइटिस,सिरोसिस,कैंसर,पीलिया ये लिवर में होने वाले आम रोग हैं।
आधुनिक जीवन शैली की वजह से लिवर रोग बढ़ता है जो आसानी से पता नहीं लगता है। जब तक पता लगता है काफी बढ़ चुका होता है।
लोगों की रूची घर के खाने से ज्यादा बाहर के जंक फूड में बढ़ती जा रही है, शराब रोजमर्रा की लाइफ में बढ़ती जा रही है ।शराब तथा जंक फूड़ के मेल से लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है कारण दोनों ही लिवर पर अतिरिक्त मात्रा में चर्बी को जमा करता है जिसकी वजह से लिवर बिमारी का घर बनता जाता है।इन दोनों तत्वों से दूर रह कर हम अपने जिगर को बचाकर तमाम बीमारियों से दूर रह सकते हैं।
किडनी और हार्ट फेल का तो फिर भी इलाज हो सकता है मगर लिवर डैमेज हो जाये तो एक ही तरीका रह जाता है जो बहुत मुश्किल तथा सबके बस का नहीं है। एक्सपर्ट रिपोर्ट में बताया गया है कई प्रकार के जंक-फूड खाने की वजह से हैपेटाइटिस ए एवं ई की चपेट में आ सकते हैं।जिसे साधारण पीलिया ही समझा जाता है- लेकिन जल्दी ही उससे लिवर डैमेज की बात सामने आ जाती है। लिवर का एक हिस्सा कभी-कभी इमरजेंसी में ट्रांस्पलांट करवाया जा सकता है। देश में आखिर कितने लोगों की ऐसा ट्रीटमैंट पाने की हैसियत रखते हैं। खैर जो भी हो, इन रिपोर्टों से लिवर की बीमारीयों से ग्रसित रोगियों में आशा की एक किरण देखने को मिलती है। वैसे विदेश में लिवर ट्रांस्पलांट का ट्रेंड चल निकला है लिवर डोनर को एक आप्रेशन करवाना होता है जिस में उस के लिवर का एक हिस्सा निकाला जाता है तथा मरीज को दिया जाता है ।इस पर कितना खर्च आता है, मरीज को एवं उस के डोनर को कितने दिन हास्पीटल में रहना होता है, लिवर की किन बीमारियों को इस से ठीक कर पाना संभव है- एवं देश में किन किन सैंटरों पर ऐसा आप्रेशन करवाना संभव है।
वैसे तो ये सुविधाएं देश के महानगरों में ही उपलब्ध होती हैं। लेकिन फिर भी अगर हम समय तरह अपने लिवर की सेहत की खातिर अपनी खान-पान को सुधार ही लें तो कितना बेहतर होगा। प्रकृति के वरदानों का हमें तभी अहसास होता है जब हम कभी कभी अपनी लापरवाही (या बेवकूफी) की वजह से किसी ऐसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।
लिवर की बीमारियों से बचने के सरल उपाय…….
कृपया जंक फूड से और रास्ते बिकने वाले खाद्य पदार्थों तथा अलकोहल से दूरी बना कर रखें। और पीने वाले पानी की स्वच्छता का हमेशा ध्यान रखें—- हैपेटाइटिस ए एवं इ ऐसे खाद्य पदार्थों से ही अपनी चपेट में लेता है।
हैपेटाइटिस ए के इंजेकश लगवायें।
अध्ययन दल के प्रमुख यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बर्मिंघम (यूएचबी) के प्रोफेसर टॉम इलियट कहते हैं, परीक्षण से पता चलता है कि तांबे के इस्तेमाल से काफी हद तक हानिकारक जीवाणु से मुक्त रहा जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि कॉपर बायोसाइड के इस्तेमाल से जुड़े शोध से भी पता चलता है कि तांबा संक्रमण को दूर करता है। अतः हमें रात भर ताम्बे के पात्र में पानी रखकर सुबह खाली पेट पीने से निश्चित लाभ होगा
No comments:
Post a Comment