Monday, November 22, 2010

अवसाद से बचाव

जॉब या पढ़ाई के लिए घर से दूर शहरों में रह रहे युवा अकेलेपन और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि परिवार से दूरी, उनकी बढ़ती अपेक्षाएं और जॉब या पढ़ाई का दबाव इसके बाद किसी अपने का करीब न होना, किसी से मन की बात न कह पाने की परेशानी के चलते अलग-अलग शहरों से शहर आकर पढ़ाई या जॉब करने वाले युवा अवसाद और अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं।   समाजशास्त्रियों का मानना है पारिवारिक सपोर्ट परिजनों द्वारा युवाओं को समझने और सफलता-असफलता में बराबर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहना युवाओं को इस तरह की परेशानी से दूर रख सकता है। यह सही है कि व्यावसायिक मजबूरी के चलते युवाओं का लगातार या बार-बार परिवार के पास पहुंचना संभव नहीं लेकिन अगर परिजन निश्चित समय अंतराल पर उनसे मिलने आते रहते हैं तो वे इस तरह की समस्या से बच सकते हैं।

घेरता डिप्रेशन- हॉस्टल में रहने वाले अंतरमुखी युवा इस तरह की परेशानी का सामना जल्द करने लगते हैं। छोटी सी असफलता भी उन्हें परेशान करती है। समाजशास्त्रियों का कहना है कि वे युवा जिनके माता-पिता दोनों जॉब में होते हैं और बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते, जो बच्चे घर में अकेले होते हैं, जो बच्चे शुरू से ही संयुक्त परिवार के हिस्सा नहीं रहे हों वे कई बार मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और माता-पिता से संवाद की कमी होने के कारण अपनी समस्या किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते।

टिप्स-
# अपनी क्षमताओं को पहचानें और उसके अनुसार गोल सेट करें।
# माता-पिता परिवार से कोई भी बात न छिपाएं।
# उन्हें अपनी सफलता व असफलता से अवगत कराएं।
# असफलता को जीवन की असफलता न मानें बल्कि इसे कुछ सीखने के रूप में लें।
# दोस्तों से स्वस्थ संबंध रखें उनके साथ खुशी और गम शेयर करें।
# योग की मदद लें। मॉर्निंग वाक करें और अधिकतम फिजिकल एक्सरसाइज भी करें।
# हस्तियों की आटोबायोग्राफी पढ़ें। स्वस्थ साहित्य पढ़कर समय बिताएं।
सुझाव पेरेंट्स के लिए
# बच्चों के साथ स्वस्थ संवाद बनाए रखें।
# घर में आने वाली सभी परेशानियों और खुशियों की जानकारी उन्हें दें और उनके साथ सेलिब्रेट करें ताकि बच्चे परिवार से अधिक से अधिक जुड़ सकें।
# बच्चों के पढ़ाई और जॉब के अनुभव लगातार और लगभग प्रतिदिन जानते रहें।
# बच्चों के दोस्तों से भी संबंध बनाए रखें और उनसे भी जानते रहें कि उसके ग्रुप में क्या चल रहा है।
# अगर आपको लगता है कि बच्चा बेहतर नहीं कर पा रहा तो उसे अधिक मानसिक सपोर्ट मुहैया कराएं।
# बच्चे को समझाएं कि अपेक्षित सफलता ही सब कुछ नहीं हर व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता के अनुसार सफलता अर्जित करता है।
# बच्चे को योग की खूबियों से परिचित कराएं और योग अपनाने की सलाह दें। प्रयास करें आपकी अधिकतम छुट्टियां बच्चों के साथ बीतें।
# बर्थडे जैसे सेलिब्रेशन तो उसके साथ आपका रिश्ता मजबूत करेंगे ही अपने मैरिज एनिवर्सरी जैसे सेलिबे्रशन में भी उन्हें शामिल करें। अगर वे आप तक न आ सकें तो आप उनके पास पहुंचे।
# बच्चे की क्षमताओं को आप बेहतर जानते हैं अत: गोल सेट करने में मदद करें।
# पढ़ाई कर रहे बच्चे के टीचर्स और जॉब कर रहे बच्चे के इमिडिएट बॉस से उसकी परफॉर्मेंस के बारे में जानते रहें और आवश्यकतानुसार मदद मुहैया कराएं।
# बच्चों की सफलता को भी खुलकर सेलिब्रेट करें, इसका पूरा श्रेय उनकी मेहनत को दें। सफलता के आगे का गोल सेट करने के बजाए उसे रμतार मेंटेन कर चलने की सलाह दें।

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