विधि- सीधे खड़े हो जाएं, दोनों पैर मिलाकर रखें। दोनों हथेलियों को प्रार्थना अर्थात नमस्कार की मुद्रा में रखें।
दूसरी अवस्था- इसी प्रकार सांस छोड़ते हुए आधा मीटर तक नीचे बैठिए, घुटने और जंघाओं की पेशियों में कंपन को महसूस करें। फिर सांस भरते हुए वापस खड़े हो जाएं।
तीसरी अवस्था- सांस छोड़ते हुए घुटने मोड़ें और पूरी तरह नीचे बैठ जाएं, हथेलियों को मिलाकर ऊपर की ओर रखें। प्रयास करें कि आगे न झुकें। इसी प्रकार सांस भरते हुए वापस खड़े हो जाएं। और बाजुओं को सामान्य अवस्था में नीचे कर लीजिए। गर्भवती महिला इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं, पर सिर्फ पहली और दूसरी अवस्था का अभ्यास करें। पूरी तरह नीचे नहीं बैठना चाहिए। विशेषज्ञ की सलाह ले लें तो बेहतर है।
लाभ- द्रुत उत्कटासन के नियमित अभ्यास से साइटिका, स्लिप डिस्क की संभावना नहीं रहती। इसके अलावा यह आसन पीठ और कमर दर्द में राहत देता है। यह आसन उन व्यक्तियों के लिए ज़्यादा लाभकारी है जिन्हें ज़्यादा देर बैठ कर काम करना पड़ता है। ज़्यादा बैठने से जब थकान हो जाती है। इस आसन को 4- 5 बार करने से थकावट को दूर किया जा सकता है। कमर, पीठ और पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती है। इसके अलावा टखने, घुटने और जंघाएं सशक्त होती हैं।
विशेष- शुरू में द्रुत उत्कटासन करने पर पैरों की एड़ियां जमीन से उठ जाती हैं, परंतु अभ्यास हो जाने पर टखनों की लचक बढ़ जाती है और एड़ियां जमीन से नहीं उठतीं।
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