Saturday, November 13, 2010

बालकों में मोटापा

हाल ही में इटरनेशनल ओबेसिटी टास्क फोर्स ने मोटापा की ओर बढती समस्या को चेतावनी देते हुए कहा है कि अधिक खाने की प्रवृत्ति को त्यागना होगा।


आज की नई पीढी के आहार जैसे पिज्जा,बर्गर,कोक, आइसक्रीम,पास्ता आदि जंकफूड में वृद्धि हो रही है जिससे बालकों तथा किशोरों में मोटापा(obesity) संबंधी संकट बढता जा रहा है। यह भी कहा  जाता वे बालक जिनमें मोटापे(obesity)की प्रवृति होती है या मां बाप  बालकों के खाने पीने की आदतों से बेखबर होते हैं ऐसे बालक मोटापे की ओर बढते जाते हैं।इस तरह का मोटापा आज पूरे विश्व में बढ़ता जा रहा है इस कारण विश्व  स्वास्थ्य संस्था ने इस मोटापे (obesity) को ग्लोबेसिटी नाम दिया है।

बालकों में बढ़ता जा रहा मोटापा आयुर्विज्ञान जगत में चिंता का कारण बनता जा रहा है ।बच्चों के मोटापे में एचडीएल कॉलेस्ट्रोल की कमी तथा एलडीएल कॉलेस्ट्रोल की बढोत्तरी होती है  जिसके कारण बडे होने पर ह्रदयरोग ,उच्चरक्तचाप तथा मधुमेह होने की शंका बढती है।मोटापा  दमा जैसी बीमारी का  कारण  भी बन सकती है।

लडकियों में मोटापा प्रजननक्षमता को प्रभावित करता है। आस्ट्रेलिया के क्वीन एलिजाबेथ हास्पिटल के वैज्ञानिकों का कहना है कि मोटी महिलाओं में गर्भपात की संख्या अधिक होती है।
बलको में मोटापे(obesity)का सबसे महत्वपूर्ण कारण वंशानुगत भी हो सकता   है।दूसरा कारण वसायुक्त आहार  तथा  हर समय  खान पीने की् आदतें मोटापे का महत्वपूर्ण कारण है।बच्चों का बढता हुआ शरीर यदि जंग फूड पर आधारित है तो  उसे अतिरिक्त (ज्यादा भूख) लगती है जो बालक का वजन बढाती है ।यदि मां –बाप कामकाजी (नौकरी पेशा) हों तो बच्चे को पूर्ण रूप से पोषक तत्व नहीं मिलपाता ।
कभी –कभी बच्चा टेंशन में अधिक खाता है जैसे मां बाप के बीच का टकराव हो या बोरियत ,थकान।आजकल बच्चे खेलते भी हैं तो  कंम्प्यूटर पर गेम, जिससे  घंटों कम्प्यूटर पर  बैठे रहने से शरीर में निष्क्रियता आने लगती है जो मोटापे का कारण बनता  है जबकि  बालकों के विकास के लिये उन्हें  संतुलित आहार मिलना जरूरी है। कौनसा आहर कितनी मात्रा में दिया जाय यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

इस संबंध में कुछ जानकारियां-
  • -बालक को दिये जाने वाले आहार की संपूर्ण  पूर्ण जानकारी होनी चाहिये।
  • -घर में अधिक कैलरी वाले आहार की जगह संतुलित आहार देने का प्रयास करें।
  • -एक ही समय में तमाम तरह का भोजन  न परोसें कारण हर व्यंजन का स्वाद चखने के चक्कर में अधिक कैलोरी ले लेते हैं।
  • -संतुलित आहार में मिश्रित दालों का समावेश होना जरूरी है, पत्तेदार सब्जियां,मौसमी फल  अवश्य  होना चाहिये।
  • -बच्चों को भोजन नियमित समय पर दें, तथा चबा-चबा कर खाने की बात समझायें।
  • -बच्चों को घर बाहर तथा स्कूल में खेलने को प्रेरित करें।
  • -मोटे बालक को नियमित रूप से व्यायाम करना सिखायें।
  • -बच्चों को पर्याप्त नींद लेने दें, ये उर्जा  प्रदान करती है। बच्चों मेंजल्दी सोने तथा जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिये ।
  • -मां-बाप को बच्चों के अंदर अच्छी आदतों को डालने के लिये खुद की आदतों में सुधार लाना जरूरी है।
  • -बच्चों को पुरस्कृत करने के लिये टॉफी चोकलेट की जगह खेलकूद की सामाग्री या अच्छी पुस्तकें देनी चाहिये।
  • -बालक की  अवहेलना कदापि नकरें कारण ये उसके शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिये घातक हो सकता है।  

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