Friday, November 5, 2010

पांच त्योहारों की माला है दीवाली



त्रयोदशी से शुरू हो कर भैया दूज तक पांच पर्वो को मिला कर बना है। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को हर्षोल्लास के साथ लक्ष्मी या काली की पूजा की जाती है। दीवाली के पांच पर्व हैं - धनतेरस , काली चौदस , दीपावली , नूतन वर्ष और भैया दूज यानी यम द्वितीया। दीपों का उत्सव दीवाली हमें अज्ञान रूपी तिमिर पर ज्ञान रूपी प्रकाश की विजय का संदेश देता है

उत्सव शब्द में ' उत् ' का भाव उत्कृष्ट से है और ' सव ' अर्थात यज्ञ। उत्कृष्ट यज्ञ को उत्सव कहा गया है। उत्सव में दुख को भूलने और खुशियां मनाने का भाव समाया है। दुख दें , दुख याद करें और ऐसा कोई काम करें कि दुख बढ़े। ऐसे सुख की जगमगाहट का अनुभव ही असली उत्सव है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जिसे लंबा जीवन चाहिए , उसे सतत एक जैसा काम नहीं करना चाहिए। कुछ नवीनता और परिवर्तन भी जरूरी है , जो हमारे त्योहार सहज में ही दे देते हैं।

धनतेरस भगवान धन्वंतरि द्वारा समुद्र से औषधि रूपी अमृत कलश लेकर प्रकट होने की याद दिलाता है। इसका संदेश यह है कि स्वास्थ्य हमारी पहली संपदा है। अच्छे स्वास्थ्य के बिना हम किसी भी अवसर का आनंद नहीं ले सकते। लोकाचार में आज के दिन लोग पुराने बर्तनों के बदले नए बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। यह परिपाटी आरोग्यता के सिद्धांतों को ध्यान में रख कर ही विकसित हुई है।

काली चौदस या नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृृष्ण ने नरकासुर केचंगुल से सोलह हजार कन्याओं छुड़ाकर उन्हें अपनी शरण दी। नरकासुर प्रतीक है हमारी वासनाओं और अहंकार का। जो लोग छल - कपट और स्वार्थ का आश्रय लेकर दूसरों का शोषण करके सुखी होना चाहते हैं , उनके पास धन सकता है , किंतु मन को आह्लादित करने वाली लक्ष्मी नहीं सकती। धन से वैभव मिल सकता है , सुख नहीं मिलता।

पिछले वर्ष का लेखाजोखा तैयार करने के लिए दीवाली से अगले दिन हम नूतन वर्ष मनाते हैं। इस दिन संकल्प लें कि सत्कर्मों के पथ पर ही आगे बढ़ें। भैया दूज भाई - बहन के बीच सद्भावना बढ़ाने का दिन है।
दीपावली में मुख्यत : चार बातें होती हैं - घर का कूड़ा - करकट निकालना , नई चीजें लाना , दीये जलाना और मिठाई खाना - खिलाना। सफाई करना स्वास्थ्य के लिए हितकर है , लेकिन इसके साथ काम , क्रोध , ईर्ष्या , घृणा , द्वेष आदि को भी अपने हृदय रूपी घर से निकाल फेंकें , तभी आसपास स्वस्थ वातावरण बनेगा।

इसके अलावा दीवाली के मौके पर लोग जूलरी , वस्त्र , बर्तन या गाड़ी अथवा अन्य जरूरत का सामान बाजार से खरीद कर लाते हैं। इसी तरह जीवन में हमें नए कौशल और गुणों की भी जरूरत पड़ती है। उन्हें भी हासिल करने का प्रयास होना चाहिए। दीये जलाना कीटों को नष्ट करने में सहायक है। वर्षा ऋतु में जीव - जंतु बढ़ जाते हैं। दीये के धुएं से कुछ कीट - पतंगे नष्ट हो जाते हैं , तो कुछ दीये की लौ में स्वाहा हो जाते हैं।

दीवाली के दिन अपने घर में घी - तेल के दीये जलाने के साथ ही किसी गरीब के घर में भी उजाला लाने का प्रयास करना चाहिए। वहां भी कुछ मिठाई एवं फल बांटे जाएं और सर्वे भवंतु सुखिन : के वैदिक ज्ञान - प्रकाश से जीवन को हम जगमगाएं तो दीवाली का महात्म्य और बढ़ेगा।

इस त्योहार पर दीये जलाएं , मिठाई खाएं - खिलाएं , घर बाहर का कचरा निकालें , लेकिन ध्यान रहे कि अंतर्तिमिर भी मिटे , भीतर का कचरा भी निकले। यह काम प्रज्ञा दीवाली मनाने से ही होगा। दीपावली को लौकिक रूप से मनाने के साथ - साथ हमें इसके आध्यात्मिक महत्व को भी समझना जरूरी है।

1 comment:

राजकुमार ग्वालानी said...

हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
जब सब हैं हम भाई-भाई
तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
आओ सब मिलकर खाए मिठाई
और भेद-भाव की मिटाए खाई