Saturday, November 13, 2010

एलर्जी

एलर्जी क्या है,कैसे होती है …..
व्यक्ति को वास्तव में किन-किन चीजों से एलर्जी होती है यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कारण हर व्यक्ति के साथ अलग अलग कारण हो सकते हैं इसके लिए विशेशज्ञ के पास जाना पड़ता है। एलर्जी के निदान में रोगी के बारे में छोटी-से-छोटी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है जो एलर्जी के संभावित कारणों का पता लगाती हैं।


यह पता लगा लेने के बाद कि व्यक्ति को किन-किन चीजों से एलर्जी है, उसका उपचार  किया जाता है। आम व्यक्तियों की यह धारणा है कि एलर्जी का कोई कारगर उपचार नहीं है। यह कुछ हद तक सही भी है। सर्वप्रथम तो आप यह जान लें कि एलर्जी का उपचार दवाइयों से पूर्णतः संभव नहीं है। दवाइयाँ एलर्जी में कुछ समय के लिए राहत देती हैं। दवाइयाँ एलर्जी के रिएक्शन को रोके रखती हैं परंतु दवाइयाँ बंद करने पर रोगी की परेशानियाँ फिर शुरू हो सकती हैं।


एलर्जी के उपचार में बचाव ही सबसे कारगर उपचार है बचाव के साथ-साथ कुछ विशेष तरह की एलर्जी जैसे धूल, पराग कण, फफूँद, धूल के जीवाणु आदि एलर्जी का टीकों द्वारा उपचार भी हो सकते हैं।

कई लोगों की त्वचा अत्यधिक सेंसेटिव होती है। किसी विशेष चीज के संपर्क में आने पर त्वचा पर एलर्जी उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में उन्हें उन चीजों से दूर रहने की जरूरत होती है। त्वचा रोग विशेषज्ञों का कहना है- कि विशेष चीज के संपर्क में आने के बाद त्वचा पर खुजलाहट, जलन, दाने, ददोरे, लाल हो जानाजैसे परफ्यूम आदि से किसी को ऊनी कपडे त्वचा पर रगडने से( तो सूती कपडे के ऊपर पहने) समस्या दिखाई दे तो समझना चाहिए उन चीजों से आपको एलर्जी है।

हमारे शरीर में एक प्रकार की एंटी बॉडीज तैयार होती रहती है जो बाहरी रोग आदि से बचाव करती है, जिनकी त्वचा अत्यधिक संवेदनशील होती है, उसके रक्त में एलर्जी संबंधी तत्व अधिक मात्रा में प्रवाहित होते हैं। त्वचा एलर्जिक तत्व के संपर्क में आते ही, उस स्थान पर शोथ, लाल होना या दाने निकल जाते हैं। एलर्जी वाले स्थान पर कभी कभी  किसी-किसी को कोई परेशानी नहीं होती, मगर कुछ लोगों को यह एलर्जी काफी परेशान करती है। एलर्जी वाले स्थान पर दर्द, खुजलाहट, जलन, छाले पड़ना, छाले फूटकर पानी निकलना,घाव हो जाना, घाव न सूखना आदि समस्याएँ दिखाई देती हैं। किसी भी चीज से बार-बार एलर्जी  होने पर आगे चलकर त्वचा रोग का रूप भी धारण कर सकती है । कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें प्लास्टिक की चीजों, जैसे नकली आभूषण, बिंदी, परफ्यूम, चश्मे के फ्रेम, खुशबूदार साबुन, चमड़े की वस्तु आदि से (एलर्जी) परेशानी हो जाती



आई फ्लू
कंजंक्टिवाइटिस को बोलचाल की भाषा में आई फ्लूआंख आना कहते हैं। इसकी वजह से आंखें लाल, सूजन युक्त, चिपचिपी [कीचड़युक्त] होने के साथ-साथ उसमें बाल जैसी चुभने की समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के इंफेक्शन अथवा एलर्जी के कारण यह तकलीफ होती है।
*बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस :दोनों आंखों से बहुत अधिक कीचड़ आना।
समाधानी — डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ड्रॉप्स या ऑइंटमेंट का इस्तेमाल करें।
*वायरल कंजंक्टिवाइटिस: कीचड़युक्त पानी काम आना, एक आंख से पानी आना।
समाधानी — गुनगुने या फिर नमक मिले पानी अथवा बोरिक एसिड पाउडर से दिन में कई बार आंखों को धोएं। डॉक्टरी सलाह लें।
*एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस: दोनों आंखों से पानी आना, खुजली होना और लाली आना
समाधानी— वायरल कंजंक्टिवाइटिस में बताए उपायों पर अमल करें।
बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। यह परिवार और डॉक्टर की क्लिनिक में आए लोगों में बहुत तेजी से फैल सकता है। यदि आप या आपका बच्चा “आई इंफेक्शन” का शिकार हो गया है, तो परिवार के सभी सदस्य साफ सफाई पर खास तवज्जों दें। अच्छी तरह हाथ धोएं, रोगी के टॉवेल, रूमाल का इस्तेमाल न करें और तकिए का कवर रोजाना बदलें। धैर्य रखें, डॉक्टर के बताएं निर्देशों का पालन करें, कुछ दिनों में कंजंक्टि वाइटिस ठीक हो जाती है।
आई फ्लू की बीमारी आंखों से पानी निकलता है, आंखों में चुभन महसूस होती है।

बचाव के उपाय
  • आई फ्लू होने पर चश्मे का प्रयोग करें।
  • किसी व्यक्ति से हाथ नहीं मिलाना चाहिए।
  • आंखों को हाथ से नहीं रगड़ना चाहिए।
  • यदि बच्चों के आंख में हो गया हो, तो उसे स्कूल नहीं भेजना चाहिए।
  • आंखों को तीन-चार बार गुनगुने पानी से धोना चाहिए।
  • तीन-चार दिन रोगी को आराम करना चाहिए।
  • किसी दूसरे को तौलिया, रुमाल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

नाक की एलर्जी से बचने का घरेलू उपाय

धूल मिट्टी  के कारणनाक में एलर्जी हो जाती है बार –बार छींके आती रहती है या नाक से पानी गिरता रहता है बराबर  जुकाम  बना रहता है तो इसे एलर्जी कहते हैं।किसी किसी को धूल,धुएं या अन्य किसी चीज से एलर्जी होती है या नाक की हड्डी बढ़जाती है,या मांस बढ़ जाता हैयदि इस तरह की एलर्जी हो जाए तो मेथी की कोमल पत्तियां सलाद के रूप में खायें ,मेथी दाना रात में पानी में भिगाकर या बिना भिगाये भी  सुबह शाम पानी से निगलें काफी फायदा होगा।मेथी भिगाया पानी न पियें इससे कोई फायदा नहीं होता

सोंठ, काली मिर्च, छोटी पीकर और मिश्री सभी एक-एक बडा चम्मच लेकर चूर्ण  बना लें बीज निकाला हुआ दस मुनक्का 50 ग्राम, गोदंती हरताल भस्म 10 ग्राम तथा तुलसी के दस पत्ते सभी को मिलाकर  पीस लें औरछोटी- छोटी गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें।
  • सुबह  शाम  गर्म पानी के साथदो दो गोली तीन माह तक सेवन करें। ठंडे पदार्थ, बर्फ, दही, ठंडे पेय से परहेज करें। नाक की एलर्जी दूर हो जाएगी।
  • खान-पीने की चीजों से एलर्जी होना एक आम बात है।
  • दूध-अंडे जैसी कई चीजे हैं जिन्हें लेते वक्त हम शायद कभी नहीं सोचते कि वो सही है या नहीं और क्या इनसे एलर्जी भी हो सकती है
  • अक्सर हम अच्छे से अच्छा भोजन करते हैं,  फिर भी बीमार पड़ जाते हैं। इसकी वजह है कि हमेशा संतुलित भोजन लेने के साथ –साथ  यह देखना भी जरूरी होता है कि आप जो खा रहे हैं वो आपके शरीर के लिए कितना सही है।  यह एक आम समस्या है खासकर बच्चों में।
  • बच्चों पर विशेष ध्यान दें जो भी उन्हें खाने को दें ।बच्चों को  खिलौनों (सॉफ्ट टॉयज) से एलर्जी  न हो जाए।
  • शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार सस्ते रंगीन खिलौनों के पेंट में लेड मौजूद होता है। यह इतना अधिक खतरनाक होता है कि इसके मुंह में डालने से उनके ब्रेन और किडनी में परेशानी हो सकती है।
  • लेड के मुंह में जाने से बच्चा एनिमिक हो सकता हैं जिसके कारण बच्चा पीला पड़ने लगता है।
  • सॉफ्ट टॉयज(फर वाले खिलौने) में होने वाली धूल मिट्टी  बच्चे की नाक और आंख में जाने से बच्चों को आंख तथा नाक में एलर्जी हो सकती है।
  • गर्मियों के मौसम में हमें अपनी त्वचा के साथ साथ आंखों का भी पूरा ध्यान रखना चाहिये गर्मियों में आंखों में वायरल संक्रमण(आई फ्लू) होने का खतरा ज्यादा रहता है। कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप इन परेशानियों से बच सकते हैं।
चर्म रोग, स्किन एलर्जी
एलर्जी कई प्रकार की होती हैं। इस तरह के सभी रोग परेशान करने वाले होते हैं। इन रोगों का यदि ठीक समय   पर इलाज न किया गया, तो परेशानी बढ़ जाती है। त्वचा के कुछ रोग ऐसे होते हैं, जो अधिक पसीना आने की जगह पर होते हैं दाद या खुजली। परंतु मुख्य रूप से दाद, खाज और कुष्ठ रोग मुख्य हैं। इनके पास दूसरे लोग बैठने से घबराते हैं। परंतु  इतना परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। इन रोगों में ज्यादातर साफ सफाई रखने की जरूरत होती है। वरना ये खुद आपके ही शरीर पर जल्द से जल्द फैल सकते हैं। तथा आपके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजें अगर दूसरे लोग इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें भी यह रोग लग सकता है। ये रोग रक्त की अशुद्धि से भी होता है। एक्जिमा, दाद, खुजली हो जाये तो उस स्थान का उपचार करें। ये रोग अधिकतर बरसात में होता है। जो बिगड़ जाने पर जल्दी ठीक नहीं होता है।

उपाचार -
  • फिटकरी के पानी से प्रभावित स्थान को धोकर साफ करें।
उसपर  कपूर सरसों का तेल लगाते रहें।
  • आंवले की गुली जलाकर राख कर लें उसमें एक चुटकी फिटकरी,
  • नारियल का तेल मिलाकर इसका पेस्ट उस स्थान पर लगाते
  • रहें।
  • एक विकार दूर करने के लिये खट्टी चीजें, चीबी, मिर्च, मसाले  से दूर रहें।
  • जब तक उपलब्ध हो गाजर का रस पियें दाद में।
  • विटामिन ए की कमी से त्वचा शुष्क होती है। ये शुष्कता सर्दियों में अधिक बढ़ जाती है। इस कारण सर्दियों में गाजर का रस पियें ये विटामिन ए का भरपूर स्त्रोत है।
  • चुकंदर के पत्तों का रस, नींबू का रस मिलाकर लगायें दाद ठीक होगा।
  • गाजर व खीरे का रस बराबर-बराबर लेकर चर्म रोग पर दिन में चार बार लगायें।
  • चर्म रोग कैसा भी हो उस स्थान को नींबू पानी से धोते रहें लाभ होगा। रोज सुबह नींबू पानी पियें लाभ होगा।
  • नींबू में फिटकरी भरकर पीड़ित स्थान पर रगड़े लाभ होगा।
  • चंदन का बूरा, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पेष्ट बनाऐं व दाद, खुजली पर लगायें।
  • दाद होने पर नीला थोथा, फिटकरी दोनों को आग में भूनकर पीस लें फिर नींबू निचोड़कर लेप बनाऐं और दाद पर लगायें पुराना दाद भी ठीक हो जायेगा।
  • दाद पर जायफल, गंधक, सुहागा को नींबू के रस में रगड़कर लगाने से लाभ होगा।
  • दाद व खाज के रोगी, उबले नींबू का रस, शहद, अजवाइन के साथ रोज सुबह शाम पियें। दाद खाज में आराम होगा।
  • नींबू के रस में इमली का बीज पीसकर लगाने से दाद मिटता   है।
  • पिसा सुहागा नींबू का रस मिलाकर लेप बनाऐं तथा दाद को खुजला कर उस पर लेप करें।
  • दिन में चार बार दाद को खुजलाकर उस पर नींबू रगड़ें।
  • सूखें सिंघाड़े को नींबू के रस घिसें इसे दाद पर लगायें पहले तो थोड़ी जलन होगी फिर ठंडक पड़ जायेगी इससे दाद ठीक होगा।
  • तुलसी के पत्तों को नींबू के साथ पीसें यानी चटनी जैसा बना लें इसे 15 दिन तक लगातार लगायें। दाद ठीक होगा।
  • प्याज का बीज नींबू के रस के साथ पीस लें फिर रोज दाद पर करीब दो माह तक लगायें दाद ठीक होगा।
  • नहाते समय उस स्थान पर साबुन न लगायें। पानी में नींबू का रस डालकर  नहायें। दाद फैलने का डर नहीं रहेगा।
  • पत्ता गोभी, चने के आटे का सेवन करें। नीम का लेप लगायें। नीम का शर्बत पियें थोड़ी मात्रा में।
  • प्याज पानी में उबालकर प्रभावित स्थान पर लगायें। कैसा भी रोग होगा ठीक हो जायेगा। लंम्बे समय तक लगाये।
  • प्याज के बीज को पीसकर गोमूत्र में मिलाकर दाद वाले हिस्से पर लगायें। प्याज भी खायें।
  • बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाने से दाद ठीक होगा। ठीक होने तक लगायें।
  • चर्म रोग कोई भी हो, शहद, सिरका मिलाकर चर्म रोग पर लगाये मलहम की तरह। कुष्ठ रोग में भी शहद खायें, शहद लगायें।
  • तुलसी का तेल बनाएं चर्म रोग के लिये– जड़ सहित तुलसी का हरा भरा पौधा लेकर धो लें, इसे पीसकर इसका रस निकालें। आधा कि. पानी- आ. कि तेल डालकर हल्की आंच पर पकाएं, जब तेल रह जाए तो छानकर शीशी में भर कर रख दें। तेल बन गया। इसे सफेद दाग पर लगाएं। इन सब इलाज के लिए धैर्य की जरूरत है। कारण ठीक होने में समय लगता है। सफेद दाग में नीम एक वरदान है। कुष्ठ रोग का इलाज नीम के जितने करीब होगा, उतना ही फायदा होगा। नीम लगाएं, नीम खाएं, नीम पर सोएं, नीम के नीचे बैठे, सोये यानि कुष्ठ रोग के व्यक्ति जितना संभव हो नीम के नजदीक रहें। नीम के पत्ते पर सोएं, उसकी कोमल पत्तियां, निबोली चबाते रहें। रक्त शुद्धिकरण होगा। अंदर से त्वचा ठीक होगी। कारण नीम अपने में खुद एक एंटीबायोटिक है। इसका वृक्ष अपने आसपास के वायुमंडल को शुद्ध, स्वच्छ, कीटाणुरहित रखता है। इसकी पत्तियां जलाकर पीसकर नीम के ही तेल में मिलाकर घाव पर लेप करें। नीम की फूल, पत्तियां, निबोली पीसकर इसका शर्बत चालीस दिन तक लगाताकर पियें। कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलेगी। नीम का गोंद, नीम के ही रस में पीसकर पिएं थोड़ी-थोड़ी मात्रा से शुरू करें इससे गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाता है

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