स्वाइन फ्लू के वायरस को गर्म मौसम बढने नहीं देता जैसे जैसे मौसंम ठंडा होता है इसके वायरस बढते हैं. स्वाइन फ्लू क्या है-यह एक वायरल डिजीज है जो एच-1 एन-1 ए टाइप इनफ्लुएंजा वाइरस की वजह से होता है. हवा में सांस के जरिये इन्फेक्शन फैलता है .स्वाइन फ्लू छोटे बच्चों में भी हो सकता है यह बीमारी हर उम्र के लोगों पर अपना असर डालती है.इसमें फीवर के साथ जुकाम,आंखो से पानी बहना,बुखार आना तथा खाना पीना बंद होने लगता है मरीज सुस्त होने लगता है.छोटे बच्चे अधिक रोने लगते हैंइस तरह की कोई भी परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाये जांच के लिये.स्वाइन फ्लू से डरने से ज्यादा जरूरी है इसकी जानकारी रखना व सावधान रहना, अपना बचाव करना.
उन लोगों को अधिक सावधान रहना चाहिये जिन्हें-पहले से ही फेफडे, किडनी, दिल से जुडी बीमारी,या अस्थमा के मरीज हैंया फिर वो लोग जो पहले से ही किसी फ्लू टाईप के शुरूआती लक्षण से गुजर रहे हैं कारण इन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है तो इस तरह के वायरस अपना असर इन पर जल्दी दिखाते हैं.
बच्चों में स्वाइन फ्लू के लक्षण –यदि बच्चा जोर जोर से सांस ले रहा हो तो या सांस लेने में परेशानी महसूस कर रहा हो. बच्चा ठीक मात्रा में पानी नहीं पी रहा हो. त्वचा का रंग नीला पड़ रहा हो. बच्चा सुस्त पड़ता जा रहा हो गोद में लेने से अधिक रोता हो. त्वचा पर रैशेज नजर आ रहे हों तो तुरंत डॉक्टर के पास जायें.
बडों में एच-1,एन-1 स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा के लक्षण-
सांस लेने में परेशानी,सीने में दर्द या दबाव महसूस होना,अचानक एच-1,एन-1 स्वाइन फ्लू सर दर्द उल्टियां या उबकाई आ रही हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जायें.
एच-1,एन-1 स्वाइन फ्लू (वायरस) जानलेवा नहीं है मगर इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर इसका असर हमारे पूरे श्वसन तंत्र को गहराई तक प्रभावित करती है.
यदि घर में कोई स्वाइन फ्लू का पेशेंट हो तो क्या करें—
इसके वायरस का असर कम से कम सात दिन तो रहता ही है इस कारण मरीज को घर के एक ऐसे कमरे में रखें जहाँ हवा अच्छी तरह आती जाती हो मरीज सिर्फ अपने कमरे में ही रहे बाहर न निकले जहां घर के बाकी सदस्य हों.मरीज अकेला ही सोये उस कमरे में यदि संभव न हो तो दूसरा सोने वाला व्यक्ति दूसरी तरफ मुंह करके सोये तथा मास्क पहनकर रहे यदि मास्क ,संभव न हो तो साफ कपडा मुंह पर बांध कर रखे.
*मरीज स्मोमिंग न करे
*दूसरों के संपर्क में न आयें
*डॉक्टर के संपर्क में रहें
मरीज के कमरे में पूरी तरह साफ सफाई रखें
स्वाइन फ्लू से डरे नहीं बस सावधानी बरतें तथा होने से पहले कुछ उपाय करें तथा होने के बाद ढंग से इलाज करें –
आयुर्वेदिक उपाय
इन उपायों में ,से कोई एक ही अपनाए—
चार ,छै तुलसी के पत्ते लें ,एक टुकडा अदरक ,एक चुटकी काली मिर्च पावडर तथा एकचुटकी हल्दी पावडर इन सब को पानी या चाय में डाल कर उबालकर दिन में कम से कम तीन बार पियें.
आधा चम्मचहल्दी को एक पाव दूध में उबालकर पियें
आधा चम्मच हल्दी एक बडा चम्मच शहद के साथ लें
डेढ ग्लास पानी में एक चम्मच सूखा धनिया ,एक छोटी इलायची उबालकर रख लें यही पानी छानकर दिनभर थोडा थोडा पियें ।
आधा कप पानी में आधा चम्मच आंवला पावडर डालकर दिन में तीन बार पियें इससे इम्यून पावर बढता है।
अगर आप इनमें से कोई उपाय नहीं कर सकते तो बाजार से जोशांदा का पैकेट लाकर तीन ग्लास पानी में एक पुडिया जोशांदा की डालकर उबालें जब पानी आधा रह जाय तो इसे थोडा थोडा कर के घर के सभी लोग पियें.जोशांदा में गुलबनफशा होता है ये एंटी एलर्जिक होता है।
करौंदा किसी भी रूप में अवश्य खायें
इन दिनों बाहर का खाने से बचें
मौसमी फल, सब्जियां, तथा सभी प्रकार की दालें खायें
तरल अधिक मात्रा में लें जैसे जूस,मठठा,नींबू पानी,सूप तथा पानी अधिक मात्रा में पियें
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