Sunday, November 21, 2010

नियंत्रण करें मधुमेह को

निष्क्रिय जीवनशैली का नतीजा है मधुमेह। यह इसलिए होता है की हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर इंसुलिन को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता और होती हैं कई परेशानियां। अत: योगासनों का मधुमेही के शरीर पर विशेष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में खून की मात्रा नियंत्रित होती है, साथ ही पैंक्रियाज की क्रियाशीलता बढ़ती है, जिससे इंसुलिन स्रावित होता है। साथ ही इनसे खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा व रक्तचाप नियंत्रित होता है, जो कि मधुमेह रोगों में आम है तथा तनाव भी नियंत्रित होता है। इसके लिए 20 से 30 मिनट तक योगाभ्यास करें। सुबह उठकर नित्यकर्म के बाद स्वच्छ हवादार स्थान या बगीचे में कंबल या कार्पेट बिछाकर अभ्यास प्रारंभ करें।

वज्रासन
दोनों पैर मोड़कर बैठें, दोनों पैरों के अंगूठे एक के ऊपर एक रखें। दोनों हाथ घुटनों पर रखें व पीठ सीधी रहे। सभी आसनों में एकमात्र यही आसन है, जिसमें खाना खाने के फौरन बाद लगभग 20 मिनट तक बैठना चाहिए, धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। इसके अभ्यास से पाचन क्रिया सुचारू होती है और पेट से संबंधित व्याधियां दूर होती हैं और कब्ज मिटती है।

पश्चिमोत्तासन
दोनों पैर सामने फैलाकर ऐड़ी मिलाकर बैठें। दोनों हाथ ऊपर सीधे और पीठ सीधी रहे। अब श्वांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें दोनों हाथों से दोनों पैरों की अंगुलियों को पकडें  कोहनी घुटनों के साइड से जमीन से टच करें नाक दोनों घुटनों के बीच रहे। अब कुछ सैकंड रुकते हुए वापस उठते समय श्वांस लेते हुए उठें। इस प्रकार से 10 बार करें। बिल्कुल धीरे-धीरे करें झटका न दे। इसके अभ्यास से पेट की सभी तकलीफें दूरी होती है। पैंक्रियाज पर प्रेशर पड़ता है इंसुलिन का स्राव बढ़ जाता है, कमर लचीली होती है। चर्बी कम होती है व मानसिक तनाव कम होता है।

अर्द्ध मत्स्येंद्रासन
दोनों पैर सामने फैलाएं। दाएं पैर को बाएं घुटने के साइड में रखें। अब बाएं पैर को दायीं तरफ मोड़ते हुए ऐड़ी दाएं नितंब के पास रखें। बाएं हाथ को दाएं पैर के बाहर की ओर रखें और दाएं पैर के टखने को पकड़ें। दायां घुटना बाएं कंधे से टच होता हो। दायां हाथ मोड़कर पीछे पीठ पर रखें। अब शरीर को दायीं तरफ मोडें। गर्दन पीछे की तरफ मुड़ी रहेगी। कुछ देर तक इसी स्थिति में रुकने के पश्चात फिर इसका अभ्यास दूसरी दिशा में करेंगे, श्वास क्रिया सामान्य रहेगी। इस आसान का अभ्यास कम से कम चार बार करें। इससे पैंक्रियाज की क्रियाशीलता बढ़ाती है।

गोमुखासन
बाएं पैर को मोड़कर ऐड़ी को दाएं नितंब के पास रखे। दाएं पैर को बांई जांघ के ऊपर रखे। घुटने एक के ऊपर एक रहें। अब बाएं हाथ को पीठ के पीछे ले जाएं। दाएं हाथ को भी दाएं कंधे पर से पीछे ले जाएं। अब दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में बांधें। पीठ बिल्कुल सीधी रहे। मधुमेह दूर करने में यह आसन कारगर है।

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