Sunday, December 12, 2010

हैंडलूम का जादू

तकनीक कितनी भी आगे क्यों न बढ़ जाए, हाथ से बनी चीज का महत्व कभी कम नहीं होगा। यही हाल टेक्सटाइल्स का भी है। आज भी हैंडलूम साड़ीज और ड्रेस मटेरियल्स का क्रेज बहुत ज्यादा है। हैंडलूम मटेरियल्स को न केवल क्लासी, बल्कि एलीगेंट और स्टेटस सिंबल भी माना जाता है।

देर से मिली पहचान- एलीट क्लास में हैंडलूम साड़ीज और ड्रेस मटेरियल्स को हमेशा ही तवज्जो दी गई है, लेकिन इन्हें बनाने वाले बुनकरों को इसका श्रेय बहुत बाद में मिलना शुरू हुआ। कुछ साल पहले तक भी बिचौलिया कंपनी को ही इस खूबसूरत कारीगरी का फायदा उठाते देखा जाता था। बाद में सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की पहल पर बुनकरों को डायरेक्ट एक्जीबिशन आदि में बुलाकर सीधा मुनाफा कमाने का अवसर दिया जाने लगा। 

मिल जाती है विविधता -हैंडलूम मटेरियल्स के लिए शोरूम्स तो हैं ही, लेकिन अगर देश के कोने-कोने के हैंडलूम मटेरियल्स का आनंद लेना हो, तो शहर में लगने वाले हैंडलूम एक्सपो या फिर एक्जीबिशंस का इंतजार करें। यहां पर बुनकर डायरेक्ट आते हैं, इसलिए शोरूम की अपेक्षा मटेरियल सस्ता मिलता है और विविधता की कोई सीमा नहीं रहती।

दिखते हैं सबसे जुदा- अगर आप किसी पार्टी में सबसे अलग दिखना दिखना चाहते हों, तो हैंडलूम की साड़ी से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। सादगी पसंद लोगों के साथ साथ्  स्टाइलिश साड़ी पसंद करने वाली महिलाओं तक हर किसी के टेस्ट की साड़ी हैंडलूम में उपलब्ध होती है।

फैब्रिक अलग-काम अलग- हैंडलूम साड़ीज कॉटन, सिल्क, सिल्क-कॉटन आदि मटेरियल्स में मिल जाती है। साथ ही इनपर किए गए वर्क व जहां यह वर्क किया जाता है, वहां के नाम से यह साड़ियां मशहूर होती हैं। जैसे कांचीपुरम में पाए जाने वाले सिल्क की बनी साड़ी कांचीपुरम कहलाती है। मध्यप्रदेश की चंदेरी और माहेश्वरी आदि जगहों की साड़ियां भी इसी नाम से जानी जाती हैं।

डिजाइनर हुआ हैंडलूम- हैंडलूम बाजार ने भी अपने महत्व को कायम रखने के लिए खासी मेहनत जारी रखी है। इसी का नतीजा है कि आज का हैंडलूम डिजाइनर हो चुका है। पहले की तरह इसमें प्रिंटिंग डिफेक्ट्स नहीं मिलेंगे। यही नहीं अब हैंडलूम की साड़ियों और ड्रेस मटेरियल्स के कलर्स में भी एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं।

1 comment:

Sunil Kumar said...

हैंडलूम के बारे में जानकारी देने के धन्यवाद