Thursday, December 9, 2010

अकेले किशोर होते हैं खराब सेहत का शिकार

आपके किशोर होते बच्चे के खूब सारे दोस्त हैं कि नहीं। यह सवाल जरूर आपको अजीब सा लग सकता है, लेकिन इसके पीछे वास्तविकता यह है कि इसका सीधा संबंध आपके बच्चे की सेहत से भी हो सकता है। दोस्तों की संख्या आपके बच्चे की सेहत को प्रभावित करती है। एक अध्ययन के अनुसार विशेषज्ञों ने बताया है कि किशोर होते बच्चों की सेहत से जुड़ी समस्याओं के पीछे मूल कारण है उनके कम दोस्त होना। इसके लिए अमेरिका के शोधकर्ताओं ने करीब 2,060 किशोर होते बच्चों का परीक्षण किया और उन पर लंबे समय तक शोध किया। इस शोध के लिए उनकी सेहत और दोस्तों की संख्या के बारे में भी विस्तार से पता लगाया गया। करीब दो तिहाई किशोरों की हेल्थ को विविध पैमानों पर एक्सीलेंट और वेरी गुड कैटेगरी में पाया गया और बाकी किशोर सिर्फ गुड, फेयर और पूअर श्रेणी में आए, जिनमें अस्थमा, मोटापा, कमजोरी और अंधत्व के लक्षण भी अन्य की तुलना में विशेषज्ञों ने देखे। इनके मित्रों के बारे में भी जो आंकड़े आए वे दर्शाते हैं कि ऐसे बच्चों का फ्रेंड सर्कल बहुत कम या बिल्कुल सिफर था। अच्छी सेहत वाले बच्चों के लिए विशेषज्ञों का मत है कि दोस्तों का भावनात्मक सहयोग और उनका सपोर्ट व उनसे अपने दुख-सुख का आदान प्रदान बच्चों को मानसिक स्तर से मजबूत होने के साथसाथ् ा सेहत संबंधी समस्याओं से भी बचाता है। इसलिए निष्कर्ष यह निकला है कि बच्चों के जितने मित्र होंगे उनकी सेहत अच्छी रहती है, क्योंकि ऐसे बच्चे कई कारणों से खुशमिजाज रहते हैं। इस शोध को हेल्थ एंड सोशल विहेवियर जर्नल के दिसंबर अंक में प्रकाशित किया गया है।
एक्सपर्ट्स व्यू.. चिकित्सकों का कहना है कि अकेलेपन की समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है। यदि बच्चे के माता-पिता ने भी अपने जीवन में दोस्तों से कम ही सरोकार रखा हो या फिर उनके मित्रों की संख्या कम रही हो, तो उनके बच्चों में भी अकेलेपन को पसंद करने की प्रवृत्ति देखी जा सकती है। ऐसे बच्चे क्लास में कम बोलते हैं, सहपाठियों से एक निश्चित दूरी रखते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के समुचित विकास के लिए आवश्यक है कि वो पढ़ाई को प्राथमिकता देने के साथ-साथ मित्र बनाएं, कम्यूनिकेशन स्किल बढ़ाएं और अंदर की झिझक दूर करें, जिससे मन प्रसन्न रहता है और सेहत का हर पक्ष मजबूत होगा।

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