एक शोध के मुताबिक यदि किशोरावस्था में नमक सेवन की मात्रा में कमी रखी जाए तो वयस्क होने पर ऐसे किशोरों को दिल व पक्षाघात के खतरे कम हो जाते हैं। एक कंप्यूटर मॉडलिंग एनालिसिस आधारित शोध के मुताबिक नमक सेवन में प्रतिदिन महज तीन ग्राम कमी लाने से वयस्क होने पर हाइपर टेंशन व उच्च रक्तचाप में 30 से 45 फीसदी कमी लाई जा सकती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा पेश किए आंकड़े के मुताबिक नमक का कम उपभोग करने वाले ऐसे किशोरों में उम्र के 50वें पड़ाव पर पहुंचने पर कोरोनरी हार्ट डिसीज के खतरे 7 से 12 फीसदी कम हो जाते हैं, वहीं हार्ट अटैक जैसे जोखिम में भी 8 से 14 फीसदी कमी हो सकती है, जबकि पक्षाघात की समस्या में 5 से 8 फीसदी की कमी लाई जा सकती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक डेढ़ ग्राम नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है, जबकि हालात यह है कि आज किशोर अन्य उम्र की तुलना में 3800 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में नमक का उपभोग कर रहे हैं। नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट कहती है कि किशोर उम्र के बच्चों में प्रोसेस्ड फूड की ओर बढ़ता रुझान ही इसका प्रमुख कारण है, क्योंकि प्रोसेस्ड फूड में सोडियम क्लोराइड यानी नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है।
गौरतलब है कि एक बैग नैचो चीज में 310 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में नमक पाई जाती है, वहीं पिज्जा को किशारों के लिए सर्वाधिक हानिकारक बतलाया गया है। शीर्ष शोधकर्ता व कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में मेडिसन एंड इपीडिमियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. किर्सटन बिबिन्स के मुताबिक किशोरवय में कम मात्रा में नमक सेवन से व्यक्ति के प्रत्याशित जायके में भी परिर्वतन लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किशोरवय में कम मात्रा में नमक सेवन से व्यक्ति भविष्य में अपनी आवश्यकतानुसार जायके में बदलाव लाने में भी सक्षम हो सकेगा।
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