Saturday, December 4, 2010

बच्चों के पैरों की सेहत का है सवाल

अक्सर बच्चों के लिए जूते का चुनाव करते समय उनके पैरों की सेहत को हम इग्नोर करते हैं, लेकिन विशेषज्ञों की हिदायत है कि बच्चों के पैरों के लिए दुकान पर जूते का चयन करना कोई मजाक नहीं है। यहां रखना होता है बहुत एहतियात। उनका कहना है कि अधिकतर माता-पिता रंग, आकार और उनका फैंसी स्टाइल देखकर जूते खरीद लेते हैं और तत्काल बच्चे को भी समझ नहीं आता। लेकिन बाद में यह बच्चों के पैरों में गलत जूता फंगस, एड़ी या टखने में दर्द और अन्य तरह की स्किन प्राब्लम का कारण हो सकता है। .

बच्चों को जूता पहनाकर देख लें कि वह उसे ठीक से आ रहा है कि नहीं। उसमें करीब आधे इंच की जगह अतिरिक्त होनी चाहिए, ताकि उनके पैरों को पूरी तरह से प्रसार मिल सके। आवश्यकता से अधिक बड़ा जूता भी बच्चों की पैरों से संबंधित तमाम तकलीफों का कारण हो सकता है। बच्चों का जूता ऐसे मटैरियल से बना हो, जिसमें से हवा पास हो सके। कैनवास और लैदर ब्रीदएबल मटैरियल कहलाते हैं। ये लंबे समय तक चलते तो हैं ही साथ ही बच्चों के पैरों को ढंडा और सूखा रखते हैं। इससे उनके पैरों में छालों से बचाव होता है, जूतों में बदबू नहीं आती है और पैरों में स्किन सबंधी समयाएं भी नहीं होती। बच्चों के पैरों के लिए हील वाले फुटवियर्स से परहेज करें, क्योंकि इस तरह के जूते उन्हें चलने में ही परेशान नहीं करते, बल्कि उनके पैरों के विकास को भी अवरुद्ध करते हैं। उनके जूतों में सोल भी जरूर हों।

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