विश्व में जितनी भी शक्तियां है उनमें सबसे बड़ी व्यापक शक्ति है संकल्प की । संकल्प का अर्थ है मस्तिष्क और हृदय दोनों की सम्मिलित क्रिया। पशु विचार करते समय स्वयं को न अतीत से जोड़ता है और न भविष्य से इसलिए उसे न पश्चाताप होता है और न कामनाएं-कल्पनाएं। उसे न असंतोष होता है और न संतोष। मनुष्य स्वयं को बदलना चाहता है, इसलिए उसे कोई उपाय चाहिए। उस उपाय का नाम है संकल्प शक्ति। आज तक मनुष्य ने जितना विकास किया है यह इसी बल के सहारे किया है। मानव से महामानव, इन्द्रिय जगत से अतिन्द्रिय जगत की यात्रा का माध्यम यही है। इस शक्ति से केवल जड़ को चेतन नहीं बनाया जा सकता। शेष सभी कार्य संपादित किए जा सकते हैं। संकल्प विचार की सघनता का नाम है। विचार कर तरलता संकल्प से जम जाती है, संकल्प शक्ति एक प्रकार की शासक शक्ति है, जो जड़ और चेतन दोनों पर शासन करती है, निकट और दूर दोनों आकाश को बांधती है, शत्रु और मित्र दोनों को रूपातीत करती है। संकल्प इन्द्रिय और अतीन्द्रिय दोनों से संबंध रखने वाली शक्ति है एक संकल्प मन को चलाता है और एक संकल्प मन को थामता है। रूस के एक वैज्ञानिक ने लिखा है हमारे भीतर साइकोइलेक्ट्रोनिक्स अर्थात ऊर्जा का जगत है इस ऊर्जा शक्ति को घटाया बढ़ाया जा सकता है हम बहुत बार ऐसी कहानियां सुनते हैं कि कागज का एक टुकड़ा टिकट बन गया कांटे फूल बन गए बर्फ से छाले पड़ गए और आग से शरीर ठंडा यह सब जादू नहीं हमारी संकल्प शक्ति का प्रभाव है।
संकल्प और एकाग्रता
संकल्प एक विचार है। जब तक चित्त एकाग्र नहीं होता तब तक कोई संकल्प साकार नहीं होता। जिधर संकल्प जाता है उधर प्राण चेतना स्वत: सक्रिय हो जाती है । संकल्प के घर्षण से प्राण में एक प्रकार का विद्युतीय प्रवाह उत्पन्न होता है, जो लक्ष्य बिंदु पर केन्द्रित होकर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण करता है। मंत्र विद्या पर अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है, कम आवृति वाली तरंगों से महान ऊर्जा वाली तरंगें शांत होती हैं। तरंग जो नया जीवन, नया उत्साह प्रदान करती हैं। इसके विपरीत अल्ट्रासोनिक एक तरंग है (तेज आव्रति वाली) जो विनाश करती है, किंतु जब हम शुभ संकल्प की स्थिति में होते हैं, तब निर्माणकारी तरंगें ही पैदा होती हैं, विनाशकारी नहीं।
हमारा संकल्प हमारा शत्रु है और हमारा मित्र भी। मैं अंधकार में हं, मेरा भविष्य खतरे में है, मैं असफल यात्री हू ऐसा सोचने और बिना किसी वर्तमान संभावना के ऐसा बन जाता है। फिर क्यों नहीं हम अच्छे संकल्प करें । चुंबक कभी चुंबक को प्रभावित नहीं कर सकता, किंतु विचार प्रभावीकरण की प्रक्रिया इसके विपरीत है। बुरे विचार बुरे विचार तरंगों को अपनी और खींचते हैं और अच्छे विचार अच्छी विचार तरंगों को। जो संकल्प चेतन मन को छूकर रुक जाता है वह अपनी क्रियान्विति नहीं कर सकता। वह भाषा जगत तक जाकर रुक जाता है, जबकि उसे भाव जगत तक जाना चाहिए था। संकल्प को भीतरी तल तक ले जाने के लिये चाहिए एकाग्रता, निर्विचारता। पवित्र मन वाले व्यक्ति का संकल्प
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