हमारी शारीरिक अवस्था बताती है कि हमें कोई शारीरिक तनाव है या नहीं. मान लीजिए आपकी कमर या पीठ में दर्द है तो आप कुछ आगे की ओर झुककर चलेंगे.
जब आप बैठेंगे तो भी पीठ भी आगे की ओर झुकी हुई होगी. योग की नज़र से और रीढ़ के लिए यह ज़्यादा उचित होगा कि आप पीछे झुकने वाले कुछ सरल योगासनों का अभ्यास करें.
एक-दो महीने के अभ्यास से आप भविष्य में होने वाली जटिल समस्यों से छुटकारा पा सकते हैं.
रीढ़ हमारे शरीर का आधार है. इसके स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए.
योगाभ्यास करें तो इस बात का ख़्याल रखें कि पेट खाली हो, जगह साफ़-सुथरी हो, ताज़ी हवा आ-जा रही हो. ज़मीन पर मोटा कंबल बिछाकर उस पर योगाभ्यास करें.
स्फ़िंग्स आसन
पेट के बल लेट जाएँ और दोनों पैरों को मिलाकर रखें. ठुड्डी को ज़मीन पर रखें.
दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ें और हथेलियों को सिर के दाएँ-बाएँ रखें और हाथों को शरीर से सटाकर रखें. आपकी कोहनी ज़मीन को छूती हुई रहेगी.
धीरे-धीरे साँस भरें और कंधे को ऊपर की ओर उठाएँ शरीर का भार कोहनी और हाथों पर रहेगा.
कोशिश करें कि छाती भी ऊपर की ओर रहे. इस स्थिति में कुछ पल रुकें और साँस को सामान्य कर लें.
इस स्थिति में आप दो मिनट तक रुकें. अगर रोक पाना संभव न हो तो पाँच बार इस क्रिया को दोहराएँ. इसके बाद पेट के बल लेटकर ही विश्राम करें. हाथ सीधा कर लें और सिर को एक तरफ़ मोड़ें. आँख बंद कर लें और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें.
क्या होगा फ़ायदा
जिन लोगों के पीढ़ और रीढ़ में बहुत ज़्यादा अकड़ हो वे पीछे झुकने वाले आसन करने से पहले स्फ़िंग्स आसन का अभ्यास करें.इससे उन्हें काफ़ी लाभ मिलेगा.
जिन लोगों की पीठ में दर्द है. वे इसका अभ्यास ज़रूर करें. जिन लोगों को स्लिप डिस्क की समस्या है. वे इस आसन में ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रुकने का प्रयास करें. इसके अभ्यास से आप ज़्यादा आराम महसूस करेंगे.
सर्पासन
पेट के बल लेट जाएँ. दोनों पैरों को मिलाकर रखें. ठुड्डी ज़मीन को छुएगी.
अस्थमा के रोगियों के लिए यह आसन श्रेष्ठ है.इससे पीठ दर्द और कंधों में तनाव कम होता है. |
दोनों हाथों को कमर के पीछे लेकर आएँ. दोनों हथेलियों की अंगुलियों को आपस में मिलाकर पकड़ लें. यह इस आसन की प्रारंभिक स्थिति है.
साँस भरें और पीठ की माँसपेशियों का बल लगाते हुए कंधों को ऊपर उठाएँ. हाथों को पीछे की ओर खीचें, जिससे कंधों में भी पीछे की ओर खिंचाव आए. इस प्रकार शरीर को थोड़ा और ऊपर उठाने का प्रयास करें.
कुछ देर रुकें. इसके बाद साँस छोड़ते हुए धड़ को नीचे कर लें. हाथों की ढीला छोड़ दें. कंधे को भी ढीला छोड़ दें. हाथों को शरीर के साथ रखें. गर्दन को एक तरफ मोड़ें और कुछ देर आराम करें. इस तरह आप पाँच बार करें.
हृदय रोगी और हाई ब्लड प्रेशर के रोगी ज़्यादा खिंचाव न लाएँ. वे बिना किसी तनाव के इस क्रिया को कर सकते हैं.
सर्पासन के फ़ायदे
- सर्पासन से छाती में खिंचाव आता है. फेफड़ों में हवा का दबाव बढ़ जाता है. हवा के छोटे-छोटे गुच्छे जिनकी क्षमता कम हो गई है.
- उनकी क्षमता फिर से बढ़ जाती है. साँस-प्रश्वास की क्षमता भी बढ़ती है. हम ज़्यादा से ज़्यादा शुद्ध हवा को अंदर भरते हैं और अशुद्ध हवा को बाहर निकालते हैं.
- अस्थमा के रोगियों के लिए सर्पासन आसन श्रेष्ठ है, क्योंकि यह आसन हमारी दबी हुई भावनाओं को बाहर निकाल देता है.
- पीठ के दर्द और कंधों में तनाव को कम करता है. इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में आई अकड़न कम होती है. इससे हमारी बैठने, ऊठने, चलने-फिरने की क्रिया में भी सुधार आता है.
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