आस्टियोपोरोसिस है क्या-  बला आस्टियो का मतलब हड्डी से है और पोरोसिस का अर्थ कमजोर या मुलायम  करना। इस बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक कि हड्डियां नर्म होकर टूटने  नहीं लग जातीं, शुरुआत में हड्डियों में इतना तीव्र दर्द भी नहीं होता कि  इस बीमारी को पकड़ा जा सके, इसलिए इस बीमारी को ‘साइलेंट डिज़ीज़’ की भी  संज्ञा दी गई है। आस्टियोपोरोसिस ऐसी स्थिति है, जब हड्डियों का घनत्व कम  हो जाता है और इनकी शक्ति कम होने लगती है, जिसका नतीजा आसानी से चटकने  वाली हड्डियों के रूप में सामने आता है। ज्यादातर मामलों में हड्डियां केवल  मूवमेंट या छोटी-मोटी चोट से भी टूटने लगती हैं। इसका खास कारण हड्डियों  का स्पंज की तरह मुलायम होना है। सामान्य हड्डियां प्रोटीन, कोलेजन और  कैल्शियम से मिलकर बनी होती हैं।     ये सारे तत्व हडिड्यों को मजबूती देते हैं, लेकिन इस बीमारी में हड्डियां  मजबूती खोकर दो तरीके से नष्ट होती हैं, या तो अपने आप ही क्रैक होना या  फिर कोलेप्स हो जाना। इस दौरान रीढ़, नितंब, पसली और कलाई की हड्डियों में  फ्रेक्चर सबसे आम होता है, लेकिन शरीर की बाकी हड्डियों में भी फ्रैक्चर का  शिकार होने की संभावना बढ़ी हुई होती है।
एजिंग है वजह- इंसानी  शरीर में हड्डियां 26 से 30 साल के बीच सबसे ज्यादा मजबूत पाई जाती हैं,  क्योंकि ये वो वक्त है जब हड्डियों का घनत्व अपने शिखर पर होता है। इसी  दौरान हड्डियां खुद ही कमी की भरपाई कर लेती हैं और नए बोन टिश्यूज़ बनने  लगते हैं। 35 साल की उम्र के आस-पास हड्डियों की व्यवस्था क्षीण होना शुरू  हो जाती है और धीमे-धीमे इनका घनत्व कम होता जाता है। उम्र बढ़ने के साथ ही  हड्डियों को मजबूती देने वाले सेक्स हार्मोन्स-एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन  का संतुलन बिगड़ने लगता है और हड्डियों का खुद-ब-खुद होने वाला सुधार बंद हो  जाता है और वो कमजोर हो जाती हैं। अध्ययनों के अनुसार कैल्शियम की कम  खुराक हड्डियों के घनत्व को कम कर देती हैं, जिससे ये कमजोर होने लगती हैं।  डॉक्टर इससे बचने के लिए शुरुआत से ही अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन  डी की खुराक सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं।
भोजन से कीजिए भरपाई-  कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने दैनिक भोजन का हिस्सा बनाएं। ये  आहार बढ़ते बच्चों के साथ ही बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहे लोगों के लिए भी फायदेमंद  हैं। खासकर इन पदार्थों को करें शामिल- दूध, एक कप शुद्ध दूध में 300  मिलीग्राम कैल्शियम होता है। लो-फैट दूध से बनाया गया दही होगा लाभकारी।  मछली की निश्चित मात्रा या फिर हरी फूलगोभी। सोयाबीन से बना पनीर या चीज़।  कई मेडिकल खोजों के मुताबिक कैल्शियम इनटेक बढ़ाने के अलावा एक सप्ताह में  कम से कम तीन से चार बार वजन उठाने संबंधी एक्सरसाइज़ करना आस्टियोपोरोसिस  से बचाव का प्रभावी उपाय है। खान- पान पर ध्यान ना देने वाले लोगों को  खासतौर पर सावधान होने की जरूरत है। आहार संबंधी आदतें आपको बहुत तरह की  बीमारियों से बचा सकती हैं खासकर आॅस्टियोपोरोसिस से।
 
1 comment:
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
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