इसलिए पैदा होते हैं टॉक्सिन्स- हमारा भोजन, सांस लेने के लिए हवा और पानी ये सभी किसी न किसी तरह से दूषित हैं। इनके जरिए शरीर में जाने वाले टॉक्सिन्स से बचा नहीं जा सकता। दूसरे, हम खुद भी सिगरेट, शराब, तंबाकू और चाय जैसी चीजों के आदी होकर रही सही कसर भी पूरीकर देते हैं। नतीजतन ये टॉक्सिन्स शरीर में जाकर स्किन सेल्स से बेकार पदार्थों को बाहर निकालने वाले लिसोसोम्स पर जम जाते हैं। कुछ वक्त बाद ये लिसोसोम्स वेस्टेज बाहर नहीं निकाल पाते और सेल्स पर जहर की परतें चढ़ती जाती हैं और हम होते हैंकई सारी बीमारियों से ग्रस्त और समझ नहीं पाते बीमारी का असल कारण।
करें डिटॉक्सिफाई- मेडिकल साइंस ने विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का त्वरित रास्ता खोज लिया है। बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए केलेशन थैरेपी अपनाई जाती है। इसमें इंजेक्शन के जरिए शरीर में एक खास तरह का कैमिकल प्रवाहित किया जाता है जो फ्री रेडिकल्स की रोकथाम करने के साथ ही उन्हें सेल्स को आगे डैमेज करने से रोकता है। इस थैरेपी के बाद ज्यादातर टॉक्सिन्स यूरीनरी सिस्टम के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं। हमारा शरीर प्रकृतिक तरीके से भी केलेशन कर सकता है। आंसू, छींक, बलगम, पसीना, मासिक स्राव, मल और मूत्र डिटॉक्सिफिकेशन के प्राकृतिक तरीके हैं। बेहतर होगा कि पहले आप दुर्व्यसन छोड़ें। इसके बाद ही आप अपने शरीर को अंदर से पूरी तरह से शुद्ध कर पाएंगे।
सुबह नाश्ते में लें एसिड फ्रूट्स- मौसंबी, नींबू, ताजे संतरे, टमाटर और पाइनेपल एसिड फ्रूट्स की श्रेणी में आते हैं। इन फलों में से अपने नाश्ते का चुनाव करें। ध्यान रहे कि अगर आप बीमार हैं तो एसिड फ्रूट्स की डाइट रोक दें। क्योंकि आपका शरीर पहले से ही डिटॉक्सिफिकेशन में व्यस्त है, उस पर और लोड डालने से बात बनने की जगह बिगड़ सकती है।
खूब पानी पिएं- पानी भी आपके शरीर से बेकार के तत्वों को निकाल देता है। पानी और फ्रूट जूस के अलावा सब्जियों का पल्प या जूस लेना फायदेमंद होगा।
योग की करें शुरुआत- कपालभाती क्रिया दिमाग में आक्सीकृत रक्त पहुंचाती है, जिससे दिमाग का शुद्धिकरण होता है। याद रखें शरीर में जमे विषैले पदार्थ निकालना एक हफ्ते या एक महीने का काम नहीं है। बॉडी के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए आपको धैर्य रखना पड़ेगा। शरुआत में शरीर को नए डायटरी प्रोग्राम से तालमेल बैठाने में ही वक्त लग जाएगा और बॉडी इसकी तरफ रिस्पॉन्ड करे इसके लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। बेहतर होगा कि आप पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें कि आपके शरीर के हिसाब से किस तरह का डायटरी प्रोग्राम सही रहेगा। दिनचर्या धीमे-धीमे बदलें, शरीर को एकदम से स्ट्रेस न दें। कुछ वक्त के बाद आपको खुद में फर्क दिखाई देगा। साथ ही एजिंग जैसी दिक्कतों समेत कई सारी बीमारियों को आप वक्त रहत काबू में कर सकते हैं।
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