तनाव मुक्त होकर स्कंध चक्र आसन करें तो कई तरह के लाभ अर्जित किए जा सकते हैं।
स्कंध चक्र-पहली अवस्था
दाएं बाजू को कोहनी से मोड़िए और दाएं हाथ की अंगुलियों को दाएं कंधे पर रखिए। बायां हाथ बाएं घुटने पर ही रहेगा। इस तरह स्थिति बनाते हुए दाहिने बाजू को कोहनी से गोलाकार चलाना है। पहले सांस भरते हुए कोहनी को सामने से ऊपर की ओर लाने का प्रयास करें तथा सांस छोड़ते हुए पीछे की ओर से नीचे, फिर सामने वापस उसी स्थान पर ले आइए। इस प्रकार बाजू को सामने की ओर से पांच बार तथा पांच बार विपरीत दिशा में घुमाइए. उसके बाद दाहिने हाथ को भी विधिपूर्वक वापस घुटने पर ले आइए। कुछ पल इस अवस्था में रुकें। सांस का ध्यान करें तथा कंधों में ढीलापन लाएं। इसी तरह बाएं बाजू को भी कोहनी से पांच बार सीधी दिशा में तथा पांच बार विपरीत दिशा में गोलाकार चलाइए।
स्कंध चक्र- दूसरी अवस्था
शरीर को सीधा रखिए। दोनों बाजू को कंधों के सामने लाइए, अब हथेली का रुख आकाश की ओर कर लें। उसके बाद दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ें और हाथों की अंगुलियों को अपने कंधों पर रखिए। दोनों कोहनियों को छाती के सामने मिलाने का प्रयास करें। अब सांस भरते हुए दोनों बाजू को कोहनियों को सामने से उपर की ओर लाइए। कोशिश करें कि बाजू ऊपर लाते हुए कान से स्पर्श हो जाएं। इस प्रकार सांस छोड़ते हुए बाजू पीछे की ओर से गोलाकार घुमाते हुए छाती के सामने लाएं और दोनों कोहनियों को फिर से मिलाने का प्रयास करें। इस प्रकार एक चक्र पूरा होता है। लाभ- मोटरसाइकिल चलाने के बाद, कम्प्यूटर पर देर तक काम करते रहने से जो पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में तनाव होता है, स्कन्ध चक्र उसे भी कम करने में सहायक है। जिनके कंधे सीधे नहीं हैं अर्थात छाती धंसी हुई है और कंधे आगे की तरफ से गोल दिखते हों, वो स्कन्ध चक्र के अभ्यास से लाभ उठा सकते हैं। कुछ ही हफ्तों में परिणाम देख पाएंगे। सरवाईकिल स्पांडिलॉटिस में भी सुधार लाता है।
No comments:
Post a Comment