प्रकृति की यह विलक्षण प्रक्रिया है की जन्म लेने से कही पहले बच्चा अपनी माँ से संवाद बना लेता है ! ये कुछ इस तरह का होता है जिसमे माँ का कर्तव्य और बच्चे का अधिकार जैविक तरह स विकसित होता है ! माँ के गर्भ में प्रवेश लेने के साथ ही भ्रूण माँ से रासायनिक संवाद स कहता है -" मै आ गया हू "!
निषेचन की प्रक्रिया में माँ और पिता के 23 गुणसूत्र आलिंगनबद्ध होते हैं! यह प्रकृति की विलाक्षनतम प्रक्रिया में स एक है , जिसके फलस्वरूप गुणसूत्रों में स्थित सूचना स संचालित एक कोशिका से असंख्य कोशिकाओं वाला एक मानव शरीर विकसित होता है और पूरा जीवन संचालन होता रहता है ! भ्रूण विकास प्रक्रिया के लिए संप्रेषण उस युग्म के बनने के साथ ही शुरू होता है , पर युग्म से प्रेषित रशायानिक माध्यमो की अभी खुलाशा नही हुआ है !
डिम्ब वाहिनी में एक कोशिका युग्म विभाजित होकर 16 कोशिकाओ का गुच्छा मोरुला बन जाता है ! कोशिकाएं गर्भाशय की और अग्रसर होती हैं और विभाजित होकर मोरुला की कोशिकाएं विशेष क्षमतायुक्त कोशिकाओं में विकसित होने लगती हैं ! मोरुला के मध्य में तरल इकठ्ठा होने से यह पानी स भरी गेंद का रूप ले लेता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं !
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