Friday, October 29, 2010

संतुलन बनाएं द्विकोण आसन से

दबाव चाहे मानसिक हो या फिर शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाला स्टेस। यह स्ट्रेस आज सभी की समस्या है। इससे निजात पाने के लिए अपनाएं द्विकोण आसन। इससे कंधे और रीढ़ की मांसपोशियां मजÞबूत होती हैं। खड़े होकर किए जाने वाले आसन से शरीर के सभी अंगों में एक साथ खिंचाव आता है। इस दौरान कुछ पल के लिए एकाग्रता आती है और शरीर की प्राण ऊर्जा बढ़ती है। इससे मस्तिष्क परिपक्व होता है। इस तरह योगासन के अभ्यास से हम शरीर, मन और मस्तिष्क में संतुलन बढ़ा सकते हैं।

द्विकोण आसन
सामान्य स्थिति में खड़े रहें और दोनों पैरों के बीच डेढ़ फुट का अंतर रखें। दोनों हाथों को कमर के पीछे ले जाएं और अंगुलियों को आपस में मिला लें। इस दौरान हाथ को सीधा रखें। पहले सांस भरें और फिर सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुकें। हाथों को 90 अंश के कोण तक ऊपर की ओर लेकर आएं। इस स्थिति में सांस बाहर रोककर रखें और सामने की ओर देखने का प्रयास करें, जिससे आपका चेहरा जमीन के समानांतर हो जाए। इस अवस्था में कुछ देर रुकने के बाद सांस भरते हुए वापस आ जाएं और हाथों को नीचे कर ढीला छोड़ दें। इस तरह इस आसन को पांच बार दोहराएं।

सावधानी

जिन्हें कंधों में दर्द की शिकायत हो, ऐसे लोग इस आसन का अभ्यास न करें। कमर दर्द वाले लोग भी इस आसन का अभ्यास करने से बचें, क्योंकि कमर दर्द में आगे की तरफ झुकने से बचना चाहिए। द्विकोण आसन के अभ्यास से हमारे कंधे और रीढ़ के बीच की मांसपोशियां मजÞबूत होती हैं और इनका तनाव दूर होता है। फेफड़ों में खिंचाव आता है और छाती का विकास और विस्तार ठीक ढंग से होता है। इसके अभ्यास से गले का आकार भी सही होता है यानी गले और कंधे के बीच की चर्बी घटती है।

Source BBC.UK

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