खामियाजा
कम नींद लेने का खामियाजा कुछ वक्त के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक भुगतना पड़ता है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निकोलस ग्लोज़ियेर कहते हैं कि मिडिल ऐज और उनसे भी ज्यादा उम्र के लोग आजकल के युवाओं से ज्यादा नींद लेते हैं। उनका ये भी कहना है कि बड़ी संख्या में उनके पास ऐसे युवा मानसिक परेशानियां लेकर आते हैं, जो कि इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स या फिर आनलाइन गेम्स में देर रात दो बजे तक बिजी रहते हैं, लेकिन उन्हें हर हाल में सुबह सात बजे तक उठना ही पड़ता है। नतीजा ये कि वो सामान्य नींद नहीं ले पाते और अपने लिए भविष्य की बीमारियों का इंतेजाम कर लेते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो कम नींद संबंधी परेशानियों और मानसिक बीमारियों में सीधा संबंध है। कुछ युवाओं में नींद ना लेने के चलते शुरुआती दौर में ही बॉडी क्लॉक एडजस्ट न होने से बेचैनी और चिंता जैसी शिकायतें पैदा हो जाती हैं। जो आगे चलकर बायोपोलर या मेजर डिप्रेशन जैसी समस्याओं में तब्दील हो जाती हैं। इसलिए अपने दिमाग को स्वस्थ रखें, भरपूर नींद लें और इंटरनेट का काम दिन के लिए छोड़ दें।
कम नींद लेने का खामियाजा कुछ वक्त के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक भुगतना पड़ता है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निकोलस ग्लोज़ियेर कहते हैं कि मिडिल ऐज और उनसे भी ज्यादा उम्र के लोग आजकल के युवाओं से ज्यादा नींद लेते हैं। उनका ये भी कहना है कि बड़ी संख्या में उनके पास ऐसे युवा मानसिक परेशानियां लेकर आते हैं, जो कि इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स या फिर आनलाइन गेम्स में देर रात दो बजे तक बिजी रहते हैं, लेकिन उन्हें हर हाल में सुबह सात बजे तक उठना ही पड़ता है। नतीजा ये कि वो सामान्य नींद नहीं ले पाते और अपने लिए भविष्य की बीमारियों का इंतेजाम कर लेते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो कम नींद संबंधी परेशानियों और मानसिक बीमारियों में सीधा संबंध है। कुछ युवाओं में नींद ना लेने के चलते शुरुआती दौर में ही बॉडी क्लॉक एडजस्ट न होने से बेचैनी और चिंता जैसी शिकायतें पैदा हो जाती हैं। जो आगे चलकर बायोपोलर या मेजर डिप्रेशन जैसी समस्याओं में तब्दील हो जाती हैं। इसलिए अपने दिमाग को स्वस्थ रखें, भरपूर नींद लें और इंटरनेट का काम दिन के लिए छोड़ दें।
2 comments:
NICE
सामान्य घंटे क्या हों? वह भी तो बताइए। बहुतेरे ब्लॉगर इस समस्या से ग्रस्त हैं।
मेरी समझ से 12 बजे रात के पहले की नींद गुणवत्ता और प्रभावोत्पादकता के मामले में बेहतर है। अधिकतम 10.30 बजे सोना और 5 बजे जगना ठीक है। बाकी लोग भी अपनी बात बताएँ। आयु वर्ग से भी सम्बन्ध है।
WORD VERIFICATION सॆ कोई खास लाभ न हो तो हटा दीजिए। कभी कभार आलसी लोग भी टिपियाना चाहते हैं।
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