ऋग्वेद के अनुसार कर्मयोग के धरातल पर काम के फूल, अर्थ के पौधों पर ही खिलते है। धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, सम्मान आदि अर्थ के वे स्वरूप हैं, जो कर्मयोग के भंवर में फंसे जीवन में हर पल संघर्ष पैदा करते हैं। इस सृष्टि में धन, संपन्नता, यश आदि का नियंत्रण महालक्ष्मी के तेज में निहित हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार लक्ष्मी केवल उन्हीं घरों में निवास करती है, जो पंचतत्वों-जल, वायु, पृथ्वी, आकाश और अग्नि के सात्विक प्रकाश में हर पल जगमगाते हैं और दीपावली की रात्रि वह पुण्यकाल है, जो किसी जातक को कार्तिक कृष्णपक्ष की
अमावस्या के अंधकार में अपने घरों को दीपमालाओं से रोशन कर धन की देवी को प्रसन्न करने का सुअवसर प्रदान करता है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन भगवान विष्णु ने राक्षस बालि का वध कर लक्ष्मी को मुक्त कराया था। इसी दिन समुद्र मंथन से कमल की गोद में प्रकट होकर लक्ष्मी ने समूचे जगत को धन और, ऐश्वर्य के अप्रतिम सौंदर्य से जगमगा दिया था। पुराणों के अनुसार दीपावली के दिन मध्यरात्रि के पश्चात महालक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं तथा अदृश्य द्वार से उन घरों में प्रवेश करती है, जो दीपमालाओं के प्रकाश में उनका स्वागत श्रद्वा से करते हैं।
नवरात्र के बाद दीपावली का स्वागत श्रद्वा से करते हैं। नवरात्र केबाद दीपावली का आगमन होता है, जो दरअसल शृंखला है उन पांच पर्वों की जिनका महत्व आयु, स्वास्थ्य, वैभव, ज्ञान, भक्ति व मोक्ष प्राप्ति कामना से जुड़ा है। घमंड के प्रतीक रावण के वध में पश्चात मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का दीपमालाओं के प्रकाश में स्वागत इस पर्व का मूल केंद्र है। भगवान महावीर को मोक्ष इसी दिन प्राप्त हुआ था। सिखों के छठे गुरू हरगोविंद सिंह साहिब ने ग्वालियर के किले से 52 हिंदू राजाओं को इसी दिन मुक्त कराया था। सिख समुदाय के लोग वीर गुरू को बंदी छोड़ दाता के रूपमें दीये जला कर याद करते है। दीपावली दीपों कर अग्नि में छिपे कर्मयोग की शक्ति का पर्व है। यह पर्व है काल के भाल पर आर्थिक संपन्नता की ज्योति जलाने का । मृत्युलोक को यह वरदान प्राप्त है कि जो मानव कार्तिक शुक्ल की घोर अमावस्या के अंधकार में महाप्रदोष अथवा महानिशीथ काल में जगमगाती दीपमालाओं के बीच घी के पांच दीप जलाकर महालक्ष्मी की आरधना श्रद्वा से करेगा, उसके जीवन में हर्ष, उल्लास, धन आदि का अभाव कभी नहीं रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्थायी संपन्नता के लिए लक्ष्मी का पूजन स्थिर लग्न में ही किया जाना चाहिए।
ज्योतिपर्व दीपावली का अस्तित्व अनेक गाथाओं तथा आध्यात्मिक ज्ञान की गहराइयों में छिपा है। पांच पर्वों के इस महासंगम का प्रारंभ होता है-धनवन्तरी त्रयोदशी या धनतेरस से । धन का यह पर्व जीवन में स्वास्थ्य व समृद्घि का प्रतीक है। धनतेरस के अगले दिन आता है यमराज को प्रसन्न करने का पर्व नरक चतुर्दश। कहते हैं कि सतयुग के राजा रांतिदेव ने नरक के श्राप से बचने के लिए पृथ्वी पर घोर तप कर इस दिन यमराज को प्रसन्न किया था। इसके अगले दिन कार्तिक कृष्णपक्ष अमावस्या की रात्रि को दीयों के प्रकाश में लक्ष्मीपूजन किया जाता है, परंन्तु विष्णु के बिना लक्ष्मी अस्थिर रहती हंै, इसलिए दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को महाविष्णु के सम्मान में अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। पांच पर्वों की इस अद्भुत शृंखला का आखिरी पड़ाव है- भैया दूज। भाई-बहन के स्नेह के इस पर्व को यम-द्वितीया भी कहा जाता है। यम के वरदान के अनुसार जो भाई इस दिन अपनी बहन को प्रसन्न करता है, वह मानव योनि में यम की यातनाओं मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्त हो जाता है।
Saturday, October 30, 2010
Friday, October 29, 2010
फिट रहें स्कंध आसन से
तनाव मुक्त होकर स्कंध चक्र आसन करें तो कई तरह के लाभ अर्जित किए जा सकते हैं।
स्कंध चक्र-पहली अवस्था
दाएं बाजू को कोहनी से मोड़िए और दाएं हाथ की अंगुलियों को दाएं कंधे पर रखिए। बायां हाथ बाएं घुटने पर ही रहेगा। इस तरह स्थिति बनाते हुए दाहिने बाजू को कोहनी से गोलाकार चलाना है। पहले सांस भरते हुए कोहनी को सामने से ऊपर की ओर लाने का प्रयास करें तथा सांस छोड़ते हुए पीछे की ओर से नीचे, फिर सामने वापस उसी स्थान पर ले आइए। इस प्रकार बाजू को सामने की ओर से पांच बार तथा पांच बार विपरीत दिशा में घुमाइए. उसके बाद दाहिने हाथ को भी विधिपूर्वक वापस घुटने पर ले आइए। कुछ पल इस अवस्था में रुकें। सांस का ध्यान करें तथा कंधों में ढीलापन लाएं। इसी तरह बाएं बाजू को भी कोहनी से पांच बार सीधी दिशा में तथा पांच बार विपरीत दिशा में गोलाकार चलाइए।
स्कंध चक्र- दूसरी अवस्था
शरीर को सीधा रखिए। दोनों बाजू को कंधों के सामने लाइए, अब हथेली का रुख आकाश की ओर कर लें। उसके बाद दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ें और हाथों की अंगुलियों को अपने कंधों पर रखिए। दोनों कोहनियों को छाती के सामने मिलाने का प्रयास करें। अब सांस भरते हुए दोनों बाजू को कोहनियों को सामने से उपर की ओर लाइए। कोशिश करें कि बाजू ऊपर लाते हुए कान से स्पर्श हो जाएं। इस प्रकार सांस छोड़ते हुए बाजू पीछे की ओर से गोलाकार घुमाते हुए छाती के सामने लाएं और दोनों कोहनियों को फिर से मिलाने का प्रयास करें। इस प्रकार एक चक्र पूरा होता है। लाभ- मोटरसाइकिल चलाने के बाद, कम्प्यूटर पर देर तक काम करते रहने से जो पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में तनाव होता है, स्कन्ध चक्र उसे भी कम करने में सहायक है। जिनके कंधे सीधे नहीं हैं अर्थात छाती धंसी हुई है और कंधे आगे की तरफ से गोल दिखते हों, वो स्कन्ध चक्र के अभ्यास से लाभ उठा सकते हैं। कुछ ही हफ्तों में परिणाम देख पाएंगे। सरवाईकिल स्पांडिलॉटिस में भी सुधार लाता है।
स्कंध चक्र-पहली अवस्था
दाएं बाजू को कोहनी से मोड़िए और दाएं हाथ की अंगुलियों को दाएं कंधे पर रखिए। बायां हाथ बाएं घुटने पर ही रहेगा। इस तरह स्थिति बनाते हुए दाहिने बाजू को कोहनी से गोलाकार चलाना है। पहले सांस भरते हुए कोहनी को सामने से ऊपर की ओर लाने का प्रयास करें तथा सांस छोड़ते हुए पीछे की ओर से नीचे, फिर सामने वापस उसी स्थान पर ले आइए। इस प्रकार बाजू को सामने की ओर से पांच बार तथा पांच बार विपरीत दिशा में घुमाइए. उसके बाद दाहिने हाथ को भी विधिपूर्वक वापस घुटने पर ले आइए। कुछ पल इस अवस्था में रुकें। सांस का ध्यान करें तथा कंधों में ढीलापन लाएं। इसी तरह बाएं बाजू को भी कोहनी से पांच बार सीधी दिशा में तथा पांच बार विपरीत दिशा में गोलाकार चलाइए।
स्कंध चक्र- दूसरी अवस्था
शरीर को सीधा रखिए। दोनों बाजू को कंधों के सामने लाइए, अब हथेली का रुख आकाश की ओर कर लें। उसके बाद दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ें और हाथों की अंगुलियों को अपने कंधों पर रखिए। दोनों कोहनियों को छाती के सामने मिलाने का प्रयास करें। अब सांस भरते हुए दोनों बाजू को कोहनियों को सामने से उपर की ओर लाइए। कोशिश करें कि बाजू ऊपर लाते हुए कान से स्पर्श हो जाएं। इस प्रकार सांस छोड़ते हुए बाजू पीछे की ओर से गोलाकार घुमाते हुए छाती के सामने लाएं और दोनों कोहनियों को फिर से मिलाने का प्रयास करें। इस प्रकार एक चक्र पूरा होता है। लाभ- मोटरसाइकिल चलाने के बाद, कम्प्यूटर पर देर तक काम करते रहने से जो पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में तनाव होता है, स्कन्ध चक्र उसे भी कम करने में सहायक है। जिनके कंधे सीधे नहीं हैं अर्थात छाती धंसी हुई है और कंधे आगे की तरफ से गोल दिखते हों, वो स्कन्ध चक्र के अभ्यास से लाभ उठा सकते हैं। कुछ ही हफ्तों में परिणाम देख पाएंगे। सरवाईकिल स्पांडिलॉटिस में भी सुधार लाता है।
जरुरी है सफाया टॉक्सिन्स का
शरीर में टॉक्सिन्स या जहरीले तत्वों का जमाव तरह-तरह की बीमारियों की वजह बनता है। कभी-कभी इन टॉक्सिन्स के चलते इतनी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी हो जाती हैं कि जान पर ही बन आती है। अत: आवश्यक है कि हम अपनी लाइफ स्टाइल और खान-पान संबंधी आदतों में सुधार कर शरीर की विषाक्त चीजों को बाहर निकालें।
इसलिए पैदा होते हैं टॉक्सिन्स- हमारा भोजन, सांस लेने के लिए हवा और पानी ये सभी किसी न किसी तरह से दूषित हैं। इनके जरिए शरीर में जाने वाले टॉक्सिन्स से बचा नहीं जा सकता। दूसरे, हम खुद भी सिगरेट, शराब, तंबाकू और चाय जैसी चीजों के आदी होकर रही सही कसर भी पूरीकर देते हैं। नतीजतन ये टॉक्सिन्स शरीर में जाकर स्किन सेल्स से बेकार पदार्थों को बाहर निकालने वाले लिसोसोम्स पर जम जाते हैं। कुछ वक्त बाद ये लिसोसोम्स वेस्टेज बाहर नहीं निकाल पाते और सेल्स पर जहर की परतें चढ़ती जाती हैं और हम होते हैंकई सारी बीमारियों से ग्रस्त और समझ नहीं पाते बीमारी का असल कारण।
इसलिए पैदा होते हैं टॉक्सिन्स- हमारा भोजन, सांस लेने के लिए हवा और पानी ये सभी किसी न किसी तरह से दूषित हैं। इनके जरिए शरीर में जाने वाले टॉक्सिन्स से बचा नहीं जा सकता। दूसरे, हम खुद भी सिगरेट, शराब, तंबाकू और चाय जैसी चीजों के आदी होकर रही सही कसर भी पूरीकर देते हैं। नतीजतन ये टॉक्सिन्स शरीर में जाकर स्किन सेल्स से बेकार पदार्थों को बाहर निकालने वाले लिसोसोम्स पर जम जाते हैं। कुछ वक्त बाद ये लिसोसोम्स वेस्टेज बाहर नहीं निकाल पाते और सेल्स पर जहर की परतें चढ़ती जाती हैं और हम होते हैंकई सारी बीमारियों से ग्रस्त और समझ नहीं पाते बीमारी का असल कारण।
करें डिटॉक्सिफाई- मेडिकल साइंस ने विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का त्वरित रास्ता खोज लिया है। बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए केलेशन थैरेपी अपनाई जाती है। इसमें इंजेक्शन के जरिए शरीर में एक खास तरह का कैमिकल प्रवाहित किया जाता है जो फ्री रेडिकल्स की रोकथाम करने के साथ ही उन्हें सेल्स को आगे डैमेज करने से रोकता है। इस थैरेपी के बाद ज्यादातर टॉक्सिन्स यूरीनरी सिस्टम के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं। हमारा शरीर प्रकृतिक तरीके से भी केलेशन कर सकता है। आंसू, छींक, बलगम, पसीना, मासिक स्राव, मल और मूत्र डिटॉक्सिफिकेशन के प्राकृतिक तरीके हैं। बेहतर होगा कि पहले आप दुर्व्यसन छोड़ें। इसके बाद ही आप अपने शरीर को अंदर से पूरी तरह से शुद्ध कर पाएंगे।
सुबह नाश्ते में लें एसिड फ्रूट्स- मौसंबी, नींबू, ताजे संतरे, टमाटर और पाइनेपल एसिड फ्रूट्स की श्रेणी में आते हैं। इन फलों में से अपने नाश्ते का चुनाव करें। ध्यान रहे कि अगर आप बीमार हैं तो एसिड फ्रूट्स की डाइट रोक दें। क्योंकि आपका शरीर पहले से ही डिटॉक्सिफिकेशन में व्यस्त है, उस पर और लोड डालने से बात बनने की जगह बिगड़ सकती है।
खूब पानी पिएं- पानी भी आपके शरीर से बेकार के तत्वों को निकाल देता है। पानी और फ्रूट जूस के अलावा सब्जियों का पल्प या जूस लेना फायदेमंद होगा।
योग की करें शुरुआत- कपालभाती क्रिया दिमाग में आक्सीकृत रक्त पहुंचाती है, जिससे दिमाग का शुद्धिकरण होता है। याद रखें शरीर में जमे विषैले पदार्थ निकालना एक हफ्ते या एक महीने का काम नहीं है। बॉडी के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए आपको धैर्य रखना पड़ेगा। शरुआत में शरीर को नए डायटरी प्रोग्राम से तालमेल बैठाने में ही वक्त लग जाएगा और बॉडी इसकी तरफ रिस्पॉन्ड करे इसके लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। बेहतर होगा कि आप पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें कि आपके शरीर के हिसाब से किस तरह का डायटरी प्रोग्राम सही रहेगा। दिनचर्या धीमे-धीमे बदलें, शरीर को एकदम से स्ट्रेस न दें। कुछ वक्त के बाद आपको खुद में फर्क दिखाई देगा। साथ ही एजिंग जैसी दिक्कतों समेत कई सारी बीमारियों को आप वक्त रहत काबू में कर सकते हैं।
आस्टियोपोरोसिस ‘साइलेंट डिज़ीज़’
आस्टियोपोरोसिस नामक खतरनाक बीमारी के बारे में दुनियाभर में जागृति के लाने के उद्देश्य से हाल ही में हमने 20 अक्टूबर को वर्ल्ड आस्टिओपरोसिस दिवस मनाया है। इसी संदर्भ में जानते हैं इस बीमारी के कारण और उसके उपचार के बारे में...
आस्टियोपोरोसिस है क्या- बला आस्टियो का मतलब हड्डी से है और पोरोसिस का अर्थ कमजोर या मुलायम करना। इस बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक कि हड्डियां नर्म होकर टूटने नहीं लग जातीं, शुरुआत में हड्डियों में इतना तीव्र दर्द भी नहीं होता कि इस बीमारी को पकड़ा जा सके, इसलिए इस बीमारी को ‘साइलेंट डिज़ीज़’ की भी संज्ञा दी गई है। आस्टियोपोरोसिस ऐसी स्थिति है, जब हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और इनकी शक्ति कम होने लगती है, जिसका नतीजा आसानी से चटकने वाली हड्डियों के रूप में सामने आता है। ज्यादातर मामलों में हड्डियां केवल मूवमेंट या छोटी-मोटी चोट से भी टूटने लगती हैं। इसका खास कारण हड्डियों का स्पंज की तरह मुलायम होना है। सामान्य हड्डियां प्रोटीन, कोलेजन और कैल्शियम से मिलकर बनी होती हैं। ये सारे तत्व हडिड्यों को मजबूती देते हैं, लेकिन इस बीमारी में हड्डियां मजबूती खोकर दो तरीके से नष्ट होती हैं, या तो अपने आप ही क्रैक होना या फिर कोलेप्स हो जाना। इस दौरान रीढ़, नितंब, पसली और कलाई की हड्डियों में फ्रेक्चर सबसे आम होता है, लेकिन शरीर की बाकी हड्डियों में भी फ्रैक्चर का शिकार होने की संभावना बढ़ी हुई होती है।
एजिंग है वजह- इंसानी शरीर में हड्डियां 26 से 30 साल के बीच सबसे ज्यादा मजबूत पाई जाती हैं, क्योंकि ये वो वक्त है जब हड्डियों का घनत्व अपने शिखर पर होता है। इसी दौरान हड्डियां खुद ही कमी की भरपाई कर लेती हैं और नए बोन टिश्यूज़ बनने लगते हैं। 35 साल की उम्र के आस-पास हड्डियों की व्यवस्था क्षीण होना शुरू हो जाती है और धीमे-धीमे इनका घनत्व कम होता जाता है। उम्र बढ़ने के साथ ही हड्डियों को मजबूती देने वाले सेक्स हार्मोन्स-एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का संतुलन बिगड़ने लगता है और हड्डियों का खुद-ब-खुद होने वाला सुधार बंद हो जाता है और वो कमजोर हो जाती हैं। अध्ययनों के अनुसार कैल्शियम की कम खुराक हड्डियों के घनत्व को कम कर देती हैं, जिससे ये कमजोर होने लगती हैं। डॉक्टर इससे बचने के लिए शुरुआत से ही अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं।
भोजन से कीजिए भरपाई- कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने दैनिक भोजन का हिस्सा बनाएं। ये आहार बढ़ते बच्चों के साथ ही बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहे लोगों के लिए भी फायदेमंद हैं। खासकर इन पदार्थों को करें शामिल- दूध, एक कप शुद्ध दूध में 300 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। लो-फैट दूध से बनाया गया दही होगा लाभकारी। मछली की निश्चित मात्रा या फिर हरी फूलगोभी। सोयाबीन से बना पनीर या चीज़। कई मेडिकल खोजों के मुताबिक कैल्शियम इनटेक बढ़ाने के अलावा एक सप्ताह में कम से कम तीन से चार बार वजन उठाने संबंधी एक्सरसाइज़ करना आस्टियोपोरोसिस से बचाव का प्रभावी उपाय है। खान- पान पर ध्यान ना देने वाले लोगों को खासतौर पर सावधान होने की जरूरत है। आहार संबंधी आदतें आपको बहुत तरह की बीमारियों से बचा सकती हैं खासकर आॅस्टियोपोरोसिस से।
जरूर लें भरपूर नींद
पिछले कई दशकों में औसत से कम नींद लेने वाले युवाओं में बेचैनी और किसी काम में मन न लगने जैसी शिकायतों समेत कई मेंटल प्रॉब्लम्स बढ़ी हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इंटरनेट का घंटों इस्तेमाल करना है। खासकर देर रात तक जागकर इंटरनेट पर चैटिंग या नेट सर्फिंग करने वाले युवा भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं। आस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने 17 से 24 साल की उम्र के दो हजार युवाओं पर एक यह शोध अध्ययन किया है। इस अध्ययन के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं। इनमें से ज्यादातर युवाओं ने माना कि वो सोने के लिए पांच घंटे से भी कम समय निकाल पाते हैं। सामान्य नींद लेने वाले युवाओं की तुलना में इन युवाओं को अगले एक साल के अंदर मानसिक बीमारी होने की आशंका तीन गुना ज्यादा बढ़ गई है। नींद के सामान्य घंटों में से कम हुआ हर एक घंटा दिमागी परेशानी को 14 फीसदी तक बढ़ा देता है। नींद में बाधा या अनिद्रा की बीमारी भविष्य में डिप्रेशन का सबब बन जाती है।
खामियाजा
कम नींद लेने का खामियाजा कुछ वक्त के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक भुगतना पड़ता है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निकोलस ग्लोज़ियेर कहते हैं कि मिडिल ऐज और उनसे भी ज्यादा उम्र के लोग आजकल के युवाओं से ज्यादा नींद लेते हैं। उनका ये भी कहना है कि बड़ी संख्या में उनके पास ऐसे युवा मानसिक परेशानियां लेकर आते हैं, जो कि इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स या फिर आनलाइन गेम्स में देर रात दो बजे तक बिजी रहते हैं, लेकिन उन्हें हर हाल में सुबह सात बजे तक उठना ही पड़ता है। नतीजा ये कि वो सामान्य नींद नहीं ले पाते और अपने लिए भविष्य की बीमारियों का इंतेजाम कर लेते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो कम नींद संबंधी परेशानियों और मानसिक बीमारियों में सीधा संबंध है। कुछ युवाओं में नींद ना लेने के चलते शुरुआती दौर में ही बॉडी क्लॉक एडजस्ट न होने से बेचैनी और चिंता जैसी शिकायतें पैदा हो जाती हैं। जो आगे चलकर बायोपोलर या मेजर डिप्रेशन जैसी समस्याओं में तब्दील हो जाती हैं। इसलिए अपने दिमाग को स्वस्थ रखें, भरपूर नींद लें और इंटरनेट का काम दिन के लिए छोड़ दें।
कम नींद लेने का खामियाजा कुछ वक्त के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक भुगतना पड़ता है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निकोलस ग्लोज़ियेर कहते हैं कि मिडिल ऐज और उनसे भी ज्यादा उम्र के लोग आजकल के युवाओं से ज्यादा नींद लेते हैं। उनका ये भी कहना है कि बड़ी संख्या में उनके पास ऐसे युवा मानसिक परेशानियां लेकर आते हैं, जो कि इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स या फिर आनलाइन गेम्स में देर रात दो बजे तक बिजी रहते हैं, लेकिन उन्हें हर हाल में सुबह सात बजे तक उठना ही पड़ता है। नतीजा ये कि वो सामान्य नींद नहीं ले पाते और अपने लिए भविष्य की बीमारियों का इंतेजाम कर लेते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो कम नींद संबंधी परेशानियों और मानसिक बीमारियों में सीधा संबंध है। कुछ युवाओं में नींद ना लेने के चलते शुरुआती दौर में ही बॉडी क्लॉक एडजस्ट न होने से बेचैनी और चिंता जैसी शिकायतें पैदा हो जाती हैं। जो आगे चलकर बायोपोलर या मेजर डिप्रेशन जैसी समस्याओं में तब्दील हो जाती हैं। इसलिए अपने दिमाग को स्वस्थ रखें, भरपूर नींद लें और इंटरनेट का काम दिन के लिए छोड़ दें।
भोजन में हो वैरायटी
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस भोजन में एंटीआॅक्सिडेंट, अनाज और जरूरी फैटी एसिड्स हों, ऐसा विविधता वाला खाना तमाम तरह की बीमारियों और हृदय संबंधी परेशानियों से भी व्यक्ति को बचाने में कारगर होता है। साथ ही इस तरह के गुणकारी भोजन से अल्जाइमर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी काफी हद तक बचने में मदद मिलती है। सिर्फ शाकाहारी ही नहीं, बल्कि कुछ विशेष मांसाहारी भोजन में भी इस वैरायटी को अपनाया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने पाया है कि इस तरह की डाइट सेहत की मजबूती के लिए जरूरी है, जिसमें आयली फिश, ब्लूबेरी और दलिया को भी शामिल किया जा सकता है। यह अध्ययन स्वीडन यूनिवर्सिटी के एंटीडायबिटिक फूड सेंटर द्वारा किया गया है। इसलिए एक बार फिर हिदायत दी गई है कि अपने भोजन में इन चीजों को सेहत की दृष्टि से अवश्य शामिल करें और फास्ट फूड व अनावश्यक चर्बी युक्त मिर्च मसालेदार भोजन से जितना बच सकें उतना स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा है।
विशेषज्ञों ने पाया है कि इस तरह की डाइट सेहत की मजबूती के लिए जरूरी है, जिसमें आयली फिश, ब्लूबेरी और दलिया को भी शामिल किया जा सकता है। यह अध्ययन स्वीडन यूनिवर्सिटी के एंटीडायबिटिक फूड सेंटर द्वारा किया गया है। इसलिए एक बार फिर हिदायत दी गई है कि अपने भोजन में इन चीजों को सेहत की दृष्टि से अवश्य शामिल करें और फास्ट फूड व अनावश्यक चर्बी युक्त मिर्च मसालेदार भोजन से जितना बच सकें उतना स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा है।
संतुलन बनाएं द्विकोण आसन से
दबाव चाहे मानसिक हो या फिर शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाला स्टेस। यह स्ट्रेस आज सभी की समस्या है। इससे निजात पाने के लिए अपनाएं द्विकोण आसन। इससे कंधे और रीढ़ की मांसपोशियां मजÞबूत होती हैं। खड़े होकर किए जाने वाले आसन से शरीर के सभी अंगों में एक साथ खिंचाव आता है। इस दौरान कुछ पल के लिए एकाग्रता आती है और शरीर की प्राण ऊर्जा बढ़ती है। इससे मस्तिष्क परिपक्व होता है। इस तरह योगासन के अभ्यास से हम शरीर, मन और मस्तिष्क में संतुलन बढ़ा सकते हैं।
द्विकोण आसनसामान्य स्थिति में खड़े रहें और दोनों पैरों के बीच डेढ़ फुट का अंतर रखें। दोनों हाथों को कमर के पीछे ले जाएं और अंगुलियों को आपस में मिला लें। इस दौरान हाथ को सीधा रखें। पहले सांस भरें और फिर सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुकें। हाथों को 90 अंश के कोण तक ऊपर की ओर लेकर आएं। इस स्थिति में सांस बाहर रोककर रखें और सामने की ओर देखने का प्रयास करें, जिससे आपका चेहरा जमीन के समानांतर हो जाए। इस अवस्था में कुछ देर रुकने के बाद सांस भरते हुए वापस आ जाएं और हाथों को नीचे कर ढीला छोड़ दें। इस तरह इस आसन को पांच बार दोहराएं।
सावधानी
जिन्हें कंधों में दर्द की शिकायत हो, ऐसे लोग इस आसन का अभ्यास न करें। कमर दर्द वाले लोग भी इस आसन का अभ्यास करने से बचें, क्योंकि कमर दर्द में आगे की तरफ झुकने से बचना चाहिए। द्विकोण आसन के अभ्यास से हमारे कंधे और रीढ़ के बीच की मांसपोशियां मजÞबूत होती हैं और इनका तनाव दूर होता है। फेफड़ों में खिंचाव आता है और छाती का विकास और विस्तार ठीक ढंग से होता है। इसके अभ्यास से गले का आकार भी सही होता है यानी गले और कंधे के बीच की चर्बी घटती है।
द्विकोण आसनसामान्य स्थिति में खड़े रहें और दोनों पैरों के बीच डेढ़ फुट का अंतर रखें। दोनों हाथों को कमर के पीछे ले जाएं और अंगुलियों को आपस में मिला लें। इस दौरान हाथ को सीधा रखें। पहले सांस भरें और फिर सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुकें। हाथों को 90 अंश के कोण तक ऊपर की ओर लेकर आएं। इस स्थिति में सांस बाहर रोककर रखें और सामने की ओर देखने का प्रयास करें, जिससे आपका चेहरा जमीन के समानांतर हो जाए। इस अवस्था में कुछ देर रुकने के बाद सांस भरते हुए वापस आ जाएं और हाथों को नीचे कर ढीला छोड़ दें। इस तरह इस आसन को पांच बार दोहराएं।
सावधानी
जिन्हें कंधों में दर्द की शिकायत हो, ऐसे लोग इस आसन का अभ्यास न करें। कमर दर्द वाले लोग भी इस आसन का अभ्यास करने से बचें, क्योंकि कमर दर्द में आगे की तरफ झुकने से बचना चाहिए। द्विकोण आसन के अभ्यास से हमारे कंधे और रीढ़ के बीच की मांसपोशियां मजÞबूत होती हैं और इनका तनाव दूर होता है। फेफड़ों में खिंचाव आता है और छाती का विकास और विस्तार ठीक ढंग से होता है। इसके अभ्यास से गले का आकार भी सही होता है यानी गले और कंधे के बीच की चर्बी घटती है।
Source BBC.UK
Wednesday, October 27, 2010
जब पहली बार माँ से बच्चा बात करता है
प्रकृति की यह विलक्षण प्रक्रिया है की जन्म लेने से कही पहले बच्चा अपनी माँ से संवाद बना लेता है ! ये कुछ इस तरह का होता है जिसमे माँ का कर्तव्य और बच्चे का अधिकार जैविक तरह स विकसित होता है ! माँ के गर्भ में प्रवेश लेने के साथ ही भ्रूण माँ से रासायनिक संवाद स कहता है -" मै आ गया हू "!
निषेचन की प्रक्रिया में माँ और पिता के 23 गुणसूत्र आलिंगनबद्ध होते हैं! यह प्रकृति की विलाक्षनतम प्रक्रिया में स एक है , जिसके फलस्वरूप गुणसूत्रों में स्थित सूचना स संचालित एक कोशिका से असंख्य कोशिकाओं वाला एक मानव शरीर विकसित होता है और पूरा जीवन संचालन होता रहता है ! भ्रूण विकास प्रक्रिया के लिए संप्रेषण उस युग्म के बनने के साथ ही शुरू होता है , पर युग्म से प्रेषित रशायानिक माध्यमो की अभी खुलाशा नही हुआ है !
डिम्ब वाहिनी में एक कोशिका युग्म विभाजित होकर 16 कोशिकाओ का गुच्छा मोरुला बन जाता है ! कोशिकाएं गर्भाशय की और अग्रसर होती हैं और विभाजित होकर मोरुला की कोशिकाएं विशेष क्षमतायुक्त कोशिकाओं में विकसित होने लगती हैं ! मोरुला के मध्य में तरल इकठ्ठा होने से यह पानी स भरी गेंद का रूप ले लेता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं !
निषेचन की प्रक्रिया में माँ और पिता के 23 गुणसूत्र आलिंगनबद्ध होते हैं! यह प्रकृति की विलाक्षनतम प्रक्रिया में स एक है , जिसके फलस्वरूप गुणसूत्रों में स्थित सूचना स संचालित एक कोशिका से असंख्य कोशिकाओं वाला एक मानव शरीर विकसित होता है और पूरा जीवन संचालन होता रहता है ! भ्रूण विकास प्रक्रिया के लिए संप्रेषण उस युग्म के बनने के साथ ही शुरू होता है , पर युग्म से प्रेषित रशायानिक माध्यमो की अभी खुलाशा नही हुआ है !
डिम्ब वाहिनी में एक कोशिका युग्म विभाजित होकर 16 कोशिकाओ का गुच्छा मोरुला बन जाता है ! कोशिकाएं गर्भाशय की और अग्रसर होती हैं और विभाजित होकर मोरुला की कोशिकाएं विशेष क्षमतायुक्त कोशिकाओं में विकसित होने लगती हैं ! मोरुला के मध्य में तरल इकठ्ठा होने से यह पानी स भरी गेंद का रूप ले लेता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं !
सेवफल की खीर
सामग्री : दो सेवफल मध्यम आकार के, एक कप कंडेस्ड मिल्क, 2 कप दूध, एक कप शक्कर, एक टी स्पून इलायची पावडर, मिक्स ड्रायफ्रूटस (काजू, बादाम, किशमिश)।
विधि : दूध को शक्कर डालकर उबालें। सेवफल को कद्दूकस करके एक चम्मच घी में हल्का ब्राउन होने तक भून लें। दूध ठंडा होने पर कंडेस्ड मिल्क व कद्दूकस किया हुआ सेवफल डालकर अच्छी तरह से मिला लें। फिर इलायची पावडर और मिक्स ड्रायफ्रूट्स डालकर सर्व करें।
दिवाली मिठाईयों के लिये गुड लिंक - Diwali Sweets Recipe
विधि : दूध को शक्कर डालकर उबालें। सेवफल को कद्दूकस करके एक चम्मच घी में हल्का ब्राउन होने तक भून लें। दूध ठंडा होने पर कंडेस्ड मिल्क व कद्दूकस किया हुआ सेवफल डालकर अच्छी तरह से मिला लें। फिर इलायची पावडर और मिक्स ड्रायफ्रूट्स डालकर सर्व करें।
दिवाली मिठाईयों के लिये गुड लिंक - Diwali Sweets Recipe
Tuesday, October 26, 2010
रसगुल्ला
दूध- एक लीटर , नींबू का रस - 3 टी स्पून, मैदा- दो टेबल स्पून, रोस एसेंस या इलायची पाउडर-एक चौथाई टी स्पून, पानी- एक कप, शक्कर -एक कप।
यूं बनाएं :
एक कटोरे में दूध को उबालें। दूध उबल जाने पर इसमें नींबू का रस मिलाएं और मिश्रण को तब तक चलाते रहें, जब तक कि इसमें से छेना अलग न हो जाए। अब आंच बंद कर दें और छेने को अच्छी तरह निचोड़कर निकाल लें। फिर इसे अच्छी तरह गूंथ लें। इस मिश्रण में मैदा मिलाएं और फिर से गूंथे। इसकी छोटी छोटी लोईयां बना लें। घ्यान रहे कि इन लोईयों में कोई दरार नहीं होनी चाहिए। अब एक पैन में पानी और शक्कर डालकर उबलने के लिए चढ़ा दें। मिश्रण के उबल जाने पर इसमें छेने की लोईयां डालें और ढक्कर से ढांककर लगभग 30 मिनट तक पकाएं। इसमें रोज एसेंस या इलायची पाउडर डालकर आंच बंद कर दें। ठंडा होने के बाद सर्व करें।
यूं बनाएं :
एक कटोरे में दूध को उबालें। दूध उबल जाने पर इसमें नींबू का रस मिलाएं और मिश्रण को तब तक चलाते रहें, जब तक कि इसमें से छेना अलग न हो जाए। अब आंच बंद कर दें और छेने को अच्छी तरह निचोड़कर निकाल लें। फिर इसे अच्छी तरह गूंथ लें। इस मिश्रण में मैदा मिलाएं और फिर से गूंथे। इसकी छोटी छोटी लोईयां बना लें। घ्यान रहे कि इन लोईयों में कोई दरार नहीं होनी चाहिए। अब एक पैन में पानी और शक्कर डालकर उबलने के लिए चढ़ा दें। मिश्रण के उबल जाने पर इसमें छेने की लोईयां डालें और ढक्कर से ढांककर लगभग 30 मिनट तक पकाएं। इसमें रोज एसेंस या इलायची पाउडर डालकर आंच बंद कर दें। ठंडा होने के बाद सर्व करें।
Monday, October 25, 2010
पिज्जा
सामग्री :
सूजी - 2 कटोरी,
बेसन - 1 कटोरी,
टोमेटो सॉस - आधी कटोरी,
कद्दूकस पनीर - 50 ग्राम,
प्याज - 2 बड़ी,
टमाटर - 1 बड़ा
शिमला मिर्च - 1 बड़ा,
कद्दूकस गाजर - 1 कप,
पत्ता गोभी - 250 ग्राम,
हरा धनिया - 100 ग्राम,
हरी मिर्च - 2-3,
हल्दी - आधा चम्मच तेल - आधी
कटोरी, नमक - स्वादानुसार।
विधि :
सबसे पहले बेसन, सूजी और नमक का पतला घोल बनाएं। इसे दो घंटों के लिए रख दें। अब नॉन स्टिक तवे को आंच पर रखें और गर्म हो जाने पर एक चम्मच तेल डालें। अब घोल को एक बड़े चम्मच से तवे पर फैला दें। घ्यान रखें कि ये काफी मोटी पर्त का हो। इसे धीमी आंच पर सेकें। अब इसके ऊपर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी कटी हुई सब्जियों को इस तरह डालें कि वे उससे चिपक जाएं। एक चम्मच तेल तवे की किनारे से चारों ओर डालें ताकि सामग्री तवे से चिपक नहीं। थोड़ी देर सेंकने के बाद इसे सावधानी से पलट दें। इसे एक मिनट तक तवे पर रखें ताकि सारी सब्जियां पक जाएं। अब इसे तवे से उतार लें। इसके ऊपर सॉस और कद्दूकस किया पनीर डालें। लीजिए आपका "पिज्जा देसी स्टाइल" तैयार है।
सूजी - 2 कटोरी,
बेसन - 1 कटोरी,
टोमेटो सॉस - आधी कटोरी,
कद्दूकस पनीर - 50 ग्राम,
प्याज - 2 बड़ी,
टमाटर - 1 बड़ा
शिमला मिर्च - 1 बड़ा,
कद्दूकस गाजर - 1 कप,
पत्ता गोभी - 250 ग्राम,
हरा धनिया - 100 ग्राम,
हरी मिर्च - 2-3,
हल्दी - आधा चम्मच तेल - आधी
कटोरी, नमक - स्वादानुसार।
विधि :
सबसे पहले बेसन, सूजी और नमक का पतला घोल बनाएं। इसे दो घंटों के लिए रख दें। अब नॉन स्टिक तवे को आंच पर रखें और गर्म हो जाने पर एक चम्मच तेल डालें। अब घोल को एक बड़े चम्मच से तवे पर फैला दें। घ्यान रखें कि ये काफी मोटी पर्त का हो। इसे धीमी आंच पर सेकें। अब इसके ऊपर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी कटी हुई सब्जियों को इस तरह डालें कि वे उससे चिपक जाएं। एक चम्मच तेल तवे की किनारे से चारों ओर डालें ताकि सामग्री तवे से चिपक नहीं। थोड़ी देर सेंकने के बाद इसे सावधानी से पलट दें। इसे एक मिनट तक तवे पर रखें ताकि सारी सब्जियां पक जाएं। अब इसे तवे से उतार लें। इसके ऊपर सॉस और कद्दूकस किया पनीर डालें। लीजिए आपका "पिज्जा देसी स्टाइल" तैयार है।
मिक्स वेज
सामग्री
आलू— दो पीस (कटे हुए),
पत्तागोभी —आघा कप (बारीक कटी हुई),
गाजर— दो पीस (कटे हुए),
शिमला मिर्च — एक (कटी हुई),
हरी मटर— एक चौथाई कप,
मशरूम—आघा कप (बारीक कटे हुए ),
लहसुन—एक टीस्पून (बारीक कटा हुआ ),
टमाटर प्यूरी—दो कप,
प्याज—एक कप (बारीक पीसा हुआ),
नमक— स्वादानुसार,
जीरा—एक टीस्पून,
घनिया पाउडर—एक टीस्पून,
लाल मिर्च पाउडर—एक टीस्पून,
हल्दी पाउडर—एक टीस्पून,
गरम मसाला पाउडर —आघा टीस्पून,
दालचीनी— चार—पांच स्टिक,
लौंग —चार—पांच पीस,
हरी घनिया पत्ती—दो टीस्पून (बारीक कटी हुई)
विघि
सबसे पहले सारी सब्जियों को अलग-अलग क्रिस्पी होने तक डीप फ्राई करें। अब ग्रेवी बनाने के लिए एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें लौंग और दालचीनी स्टिक्स डालें। चटकने लगे तब प्याज और लहसुन का पेस्ट डालें। एक मिनट भूनें और टमाटर प्यूरी डालें। अच्छे से मिल जाने के बाद इसमें सारे सूखे मसाले डाल दें। इस मिश्रण को अच्छी तरह भूनें। जब मसाला तेल छोड़ने लगे तब इसमें फ्राई की हुई सारी सब्जियां डालें। अब स्वादानुसार नमक मिला दें और पकने दें। पांच मिनट के बाद गैस ऑफ कर दें। बाउल में निकाल कर घनिया पत्ती के साथ गार्निश करके सर्व करें।
आलू— दो पीस (कटे हुए),
पत्तागोभी —आघा कप (बारीक कटी हुई),
गाजर— दो पीस (कटे हुए),
शिमला मिर्च — एक (कटी हुई),
हरी मटर— एक चौथाई कप,
मशरूम—आघा कप (बारीक कटे हुए ),
लहसुन—एक टीस्पून (बारीक कटा हुआ ),
टमाटर प्यूरी—दो कप,
प्याज—एक कप (बारीक पीसा हुआ),
नमक— स्वादानुसार,
जीरा—एक टीस्पून,
घनिया पाउडर—एक टीस्पून,
लाल मिर्च पाउडर—एक टीस्पून,
हल्दी पाउडर—एक टीस्पून,
गरम मसाला पाउडर —आघा टीस्पून,
दालचीनी— चार—पांच स्टिक,
लौंग —चार—पांच पीस,
हरी घनिया पत्ती—दो टीस्पून (बारीक कटी हुई)
विघि
सबसे पहले सारी सब्जियों को अलग-अलग क्रिस्पी होने तक डीप फ्राई करें। अब ग्रेवी बनाने के लिए एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें लौंग और दालचीनी स्टिक्स डालें। चटकने लगे तब प्याज और लहसुन का पेस्ट डालें। एक मिनट भूनें और टमाटर प्यूरी डालें। अच्छे से मिल जाने के बाद इसमें सारे सूखे मसाले डाल दें। इस मिश्रण को अच्छी तरह भूनें। जब मसाला तेल छोड़ने लगे तब इसमें फ्राई की हुई सारी सब्जियां डालें। अब स्वादानुसार नमक मिला दें और पकने दें। पांच मिनट के बाद गैस ऑफ कर दें। बाउल में निकाल कर घनिया पत्ती के साथ गार्निश करके सर्व करें।
Sunday, October 24, 2010
फलों में छुपा मनुष्य की सेहत का राज
इन फलों को बनाते समय उसनेआकार का खास ध्यान रखा। अगर ध्यान से इनके आकार और आंतरिक संरचना का अध्ययन किया जाए तो पाएंगे कि यह मनुष्य के अंगों से काफी मिलते- जुलते हैं। साथ ही यह हमारे जिस अंग के जैसे दिखते हैं, शरीर के उसी हिस्से के लिए उतने ही उपयोगी हैं। यह बात विज्ञान ने भी साबित की है। शायद आपको इस बात पर यकीन नहीं हो रहा? तो आप खुद ही देख लीजिए
प्रकृति ईश्वर का मनुष्य को दिया सबसे खूबसूरत तोहफा है। कहा जाता है सृष्टि के रचयिता ने मनुष्य के जन्म के पहले पेड़-पौधे, पानी, जमीन और जानवरों को बनाया। साथ ही मनुष्य की जरूरतों के अनुरूप तमाम तरह के फलों और सब्जियों से प्रकृति को भर दिया। पौष्टिकता के मामले में इनका जवाब नहीं।
गाजर- गाजर के गुणों से सभी वाकिफ है। इसे गोल काटने पर यह बिल्कुल मनुष्य की आंख की तरह दिखती है। बीच के हिस्से को ध्यान से देखने पर यह आंख की पुतली की आकृति की नजर आएगी। इसके सेवन से रक्त की कमी को दूर किया जाता है। साथ ही आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद होती है।
टमाटर- यह लाल रंग का होता है और इसमें चार कक्ष होते हैं। मनुष्य के दिल में भी चार कक्ष होते हैं और यह भी लाल होता है। विभिन्न शोधों में बताया गया है कि इसमें लाइकोपीन पाया जाता है। यह दिल के मरीजों के लिए लाभदायक होता है।
अंगूर- यह दिल के आकार में गुच्छे में लटकने वाला फल है। हर अंगूर रक्त कोशिका की तरह दिखता है। इसके सेवन से खून की मात्रा बढ़ती है।
अखरोट- अखरोट के बीच का हिस्सा छोटे से दिमाग की तरह दिखता है। इसकी सिलवटें नियो-कारटेक्स की तरह दिखती हैं। नियो-कारटेक्स स्तनधारियों के मस्तिष्क का हिस्सा है। यह मस्तिष्क के कार्य के लिए तीन दर्जन से ज्यादा न्यूरान ट्रांसमीटर विकसित करता है। टमाटर के सेवन से शारीरिक और मानसिक विकास अच्छा होता है।
सैलेरी- यह हड्डी की तरह दिखने के साथ उसकी ताकत को बढ़ाने का काम करती है। हड्डी में 30 प्रतिशत सोडियम होता है। इनमें भी यही मात्रा पाई जाती है। अगर आपके खाने में ज्यादा सोडियम नहीं है तो शरीर की हड्डियों में खिंचाव आ जाता है और यह कमजोर हो जाती हैं। इसके सेवन से हड्डियों की जरूरतें पूरी होती हैं।
एवाकेडो, बैगन और नाशपाती- आकार के हिसाब से यह गर्भ और महिला के गर्भाशय ग्रीवा की तरह दिखते हैं। हाल के शोधों में यह बात निकलकर आई है कि कोई महिला हफ्ते में एक बार एवाकेडो खाती है तो उसका हार्मोस संतुलित रहता है और सरवाइकल कैंसर से बचाव होता है। एक औरत को मां बनने में नौ महीने का समय लगता है। इतना ही समय एवाकेडो को कली से फल पकने तक में लगता है।
अंजीर- यह बीज से भरा फल होता है। पेड़ पर इसके दो फल एक साथ बढ़ते हैं। यह पुरुषों के शुक्राणुओं की गतिशीलता के साथ उसकी संख्या को बढ़ाते हैं।
आलू- यह पैंक्रियाज [अग्नाश्य] की तरह दिखता है। यह डायबिटिज के मरीजों में ग्लूकोज के स्तर के अनुरूप कार्बोहाइड्रेट बनाता है।
ओलिव [जैतून]- यह दिखने में अंडाशय की तरह होता है। इसका सेवन भी स्वास्थ्य और अंडाशय के लिए उपयोगी होता है।
संतरा- आम तौर पर खट्टे फल महिलाओं के स्तन की भांति दिखते हैं। यह वास्तव में स्तनों के स्वास्थ्य के लाभकारी होता है।
प्याज- यह शरीर की कोशिकाओं की तरह दिखता है। हाल ही में शोध में यह बताया गया है कि प्याज शरीर की कोशिकाओं से अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालती है। इनको काटने पर आंखों में आंसू आ जाते हैं जो आंखों की ऊपरी परत [एपीथेलियल लेयर] को धो देती है। इसका साथी लहसुन भी अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालने का काम करता है।
प्रकृति ईश्वर का मनुष्य को दिया सबसे खूबसूरत तोहफा है। कहा जाता है सृष्टि के रचयिता ने मनुष्य के जन्म के पहले पेड़-पौधे, पानी, जमीन और जानवरों को बनाया। साथ ही मनुष्य की जरूरतों के अनुरूप तमाम तरह के फलों और सब्जियों से प्रकृति को भर दिया। पौष्टिकता के मामले में इनका जवाब नहीं।
गाजर- गाजर के गुणों से सभी वाकिफ है। इसे गोल काटने पर यह बिल्कुल मनुष्य की आंख की तरह दिखती है। बीच के हिस्से को ध्यान से देखने पर यह आंख की पुतली की आकृति की नजर आएगी। इसके सेवन से रक्त की कमी को दूर किया जाता है। साथ ही आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद होती है।
टमाटर- यह लाल रंग का होता है और इसमें चार कक्ष होते हैं। मनुष्य के दिल में भी चार कक्ष होते हैं और यह भी लाल होता है। विभिन्न शोधों में बताया गया है कि इसमें लाइकोपीन पाया जाता है। यह दिल के मरीजों के लिए लाभदायक होता है।
अंगूर- यह दिल के आकार में गुच्छे में लटकने वाला फल है। हर अंगूर रक्त कोशिका की तरह दिखता है। इसके सेवन से खून की मात्रा बढ़ती है।
अखरोट- अखरोट के बीच का हिस्सा छोटे से दिमाग की तरह दिखता है। इसकी सिलवटें नियो-कारटेक्स की तरह दिखती हैं। नियो-कारटेक्स स्तनधारियों के मस्तिष्क का हिस्सा है। यह मस्तिष्क के कार्य के लिए तीन दर्जन से ज्यादा न्यूरान ट्रांसमीटर विकसित करता है। टमाटर के सेवन से शारीरिक और मानसिक विकास अच्छा होता है।
सैलेरी- यह हड्डी की तरह दिखने के साथ उसकी ताकत को बढ़ाने का काम करती है। हड्डी में 30 प्रतिशत सोडियम होता है। इनमें भी यही मात्रा पाई जाती है। अगर आपके खाने में ज्यादा सोडियम नहीं है तो शरीर की हड्डियों में खिंचाव आ जाता है और यह कमजोर हो जाती हैं। इसके सेवन से हड्डियों की जरूरतें पूरी होती हैं।
एवाकेडो, बैगन और नाशपाती- आकार के हिसाब से यह गर्भ और महिला के गर्भाशय ग्रीवा की तरह दिखते हैं। हाल के शोधों में यह बात निकलकर आई है कि कोई महिला हफ्ते में एक बार एवाकेडो खाती है तो उसका हार्मोस संतुलित रहता है और सरवाइकल कैंसर से बचाव होता है। एक औरत को मां बनने में नौ महीने का समय लगता है। इतना ही समय एवाकेडो को कली से फल पकने तक में लगता है।
अंजीर- यह बीज से भरा फल होता है। पेड़ पर इसके दो फल एक साथ बढ़ते हैं। यह पुरुषों के शुक्राणुओं की गतिशीलता के साथ उसकी संख्या को बढ़ाते हैं।
आलू- यह पैंक्रियाज [अग्नाश्य] की तरह दिखता है। यह डायबिटिज के मरीजों में ग्लूकोज के स्तर के अनुरूप कार्बोहाइड्रेट बनाता है।
ओलिव [जैतून]- यह दिखने में अंडाशय की तरह होता है। इसका सेवन भी स्वास्थ्य और अंडाशय के लिए उपयोगी होता है।
संतरा- आम तौर पर खट्टे फल महिलाओं के स्तन की भांति दिखते हैं। यह वास्तव में स्तनों के स्वास्थ्य के लाभकारी होता है।
प्याज- यह शरीर की कोशिकाओं की तरह दिखता है। हाल ही में शोध में यह बताया गया है कि प्याज शरीर की कोशिकाओं से अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालती है। इनको काटने पर आंखों में आंसू आ जाते हैं जो आंखों की ऊपरी परत [एपीथेलियल लेयर] को धो देती है। इसका साथी लहसुन भी अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालने का काम करता है।
बच्चों में बढ़ता तनाव
परिवार का तनावपूर्ण वातावरण और खाली समय की कमी बच्चों को कई मायनों में बेबस बनाता है। ओहायो, यूएस के क्लीवलैंड क्लीनिक में हुई इस स्टडी में पाया गया कि इससे बच्चों में सिरदर्द से जुड़ी समस्याओं का होना आम है। रिसर्चर जेनिफर गेजमैन और उनके साथियों के मुताबिक इन्हीं कुछ वजहों के चलते वैश्विक स्तर पर करीब 30 प्रतिशत बच्चे सप्ताह में कम से कम एक बार सिरदर्द की शिकायत करते हैं। गौरतलब है कि बड़े स्तर पर हुए "चिल्ड्रन, एडोलेसेंट्स एंड हैड-ऎक" विषयक इस रिसर्च में चार साल के डेटा कलेक्ट किए गए।
इसमें पारिवारिक सामंजस्य और वातावरण के साथ ही बच्चों को मिलने वाले खाली समय को खास तौर पर घ्यान में रखा गया। सप्ताह में एकाधिक बार होने वाले लड़ाई-झगड़ों से बॉयज में सिरदर्द की प्रवृत्ति उन बच्चों की अपेक्षाकृत ज्यादा देखी गई, जिन बच्चों के परिवार का माहौल तुलनात्मक रूप से सुखद और शांत था। रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों के पास खाली समय की कमी थी, उनमें भी ये लक्षण अधिक पाए गए। खास बात यह है कि सिरदर्द के बारे में बताने पर पेरेंट्स का रवैया भी इसमें काफी अहम साबित हुआ। विशेष तौर पर गल्र्स में सिरदर्द के लक्षणों की पुनरावृत्ति पर इसका असर देखा गया।
इसमें पारिवारिक सामंजस्य और वातावरण के साथ ही बच्चों को मिलने वाले खाली समय को खास तौर पर घ्यान में रखा गया। सप्ताह में एकाधिक बार होने वाले लड़ाई-झगड़ों से बॉयज में सिरदर्द की प्रवृत्ति उन बच्चों की अपेक्षाकृत ज्यादा देखी गई, जिन बच्चों के परिवार का माहौल तुलनात्मक रूप से सुखद और शांत था। रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों के पास खाली समय की कमी थी, उनमें भी ये लक्षण अधिक पाए गए। खास बात यह है कि सिरदर्द के बारे में बताने पर पेरेंट्स का रवैया भी इसमें काफी अहम साबित हुआ। विशेष तौर पर गल्र्स में सिरदर्द के लक्षणों की पुनरावृत्ति पर इसका असर देखा गया।
लड़कों के लिए खास 'ब्यूटी' टिप्स
रसोई में मौजूद आकर्षक त्वचा के राज
सौंदर्य के प्रति स्त्री-पुरुष दोनों का ही झुकाव पहले भी रहा है और आज भी है। यह कहना गलत न होगा कि पहले की तुलना में स्त्री-पुरुष आज अपने सौंदर्य और स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हैं। उनमें एक दूसरे से अधिक सुंदर देखने की जो होड़ मची है, वह वाजिब भी है क्योंकि सुंदरता ही स्वास्थ्य की सही पहचान है।
जड़ी-बूटियाँ कुदरत ने जो हमें दी है,उनमें सौंदर्य और स्वास्थ्य को बनाए रखने की गजब की ताकत है। आप इन सहज-सुलभ सस्ती जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर किसी भी मौसम में अपने आप को सुंदर और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार इन सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल स्त्री-पुरुष दोनों ही समान रूप से बेहिचक कर सकते हैं।
झुर्रियाँ : आपके चेहरे पर, गले पर, बाँहों पर झुर्रियाँ पड़ गई हैं तो आप अंडे को सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। अंडे की सफेदी को फेंटें और उसमें थोड़ा नींबू को भी निचोड़ दें। अब इस फेस पैक को आँखों के हिस्से को छोड़कर पूरे चेहरे पर,बाँहों पर,गले पर लगाएँ। दस मिनट के बाद ठंडे पानी से इसे धो दें। अंडे की सफेदी त्वचा के खुले रोम छिद्रों को कसती है,जिससे ढीली त्वचा कस जाती है। झुर्रियों वाली त्वचा के लिए यह एक बढ़िया फेस पैक है।
चिकनी त्वचा : चेहरे की त्वचा को चिकनी और कोमल बनाए रखने के लिए जौ के आटे को फेस पैक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि यह कुदरती तौर पर त्वचा को कोमल, गोरा और चमकदार बनाता है। जौ के आटे को पहले गर्म पानी में दस मिनट तक भिगोकर रखें। िफर चेहरे पर लगाएँ या चार चम्मच जौ का आटा या चने का बेसन लें और इसमें आठ चम्मच दूध तथा एक नींबू का रस डालकर पानी में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह इसे फेंट कर चेहरे पर लगाएँ,गले पर भी लगाएँ। दस पंद्रह मिनट के बाद इसे हल्के हाथों से रगड़ कर छुड़ा दें। आपकी त्वचा चिकनी होकर दमक उठेगी। कुछ सप्ताह ऐसा करने से चेहरा गोरा और कोमल हो जाता है।
तैलीय त्वचा : आपकी त्वचा तैलीय है तो टमाटर तथा नींबू से बना फेस पैक अच्छा रहेगा। एक टमाटर को नींबू के रस के साथ मसल दें। इस प्रसाधन को आँखों के हिस्से को छोड़कर पूरे चेहरे पर लगाएँ। और दस मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। त्वचा की तैलियता गायब हो जाएगी।
Source: http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/health/1010/19/1101019020_1.htm
सौंदर्य के प्रति स्त्री-पुरुष दोनों का ही झुकाव पहले भी रहा है और आज भी है। यह कहना गलत न होगा कि पहले की तुलना में स्त्री-पुरुष आज अपने सौंदर्य और स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हैं। उनमें एक दूसरे से अधिक सुंदर देखने की जो होड़ मची है, वह वाजिब भी है क्योंकि सुंदरता ही स्वास्थ्य की सही पहचान है।
जड़ी-बूटियाँ कुदरत ने जो हमें दी है,उनमें सौंदर्य और स्वास्थ्य को बनाए रखने की गजब की ताकत है। आप इन सहज-सुलभ सस्ती जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर किसी भी मौसम में अपने आप को सुंदर और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार इन सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल स्त्री-पुरुष दोनों ही समान रूप से बेहिचक कर सकते हैं।
झुर्रियाँ : आपके चेहरे पर, गले पर, बाँहों पर झुर्रियाँ पड़ गई हैं तो आप अंडे को सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। अंडे की सफेदी को फेंटें और उसमें थोड़ा नींबू को भी निचोड़ दें। अब इस फेस पैक को आँखों के हिस्से को छोड़कर पूरे चेहरे पर,बाँहों पर,गले पर लगाएँ। दस मिनट के बाद ठंडे पानी से इसे धो दें। अंडे की सफेदी त्वचा के खुले रोम छिद्रों को कसती है,जिससे ढीली त्वचा कस जाती है। झुर्रियों वाली त्वचा के लिए यह एक बढ़िया फेस पैक है।
चिकनी त्वचा : चेहरे की त्वचा को चिकनी और कोमल बनाए रखने के लिए जौ के आटे को फेस पैक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि यह कुदरती तौर पर त्वचा को कोमल, गोरा और चमकदार बनाता है। जौ के आटे को पहले गर्म पानी में दस मिनट तक भिगोकर रखें। िफर चेहरे पर लगाएँ या चार चम्मच जौ का आटा या चने का बेसन लें और इसमें आठ चम्मच दूध तथा एक नींबू का रस डालकर पानी में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह इसे फेंट कर चेहरे पर लगाएँ,गले पर भी लगाएँ। दस पंद्रह मिनट के बाद इसे हल्के हाथों से रगड़ कर छुड़ा दें। आपकी त्वचा चिकनी होकर दमक उठेगी। कुछ सप्ताह ऐसा करने से चेहरा गोरा और कोमल हो जाता है।
तैलीय त्वचा : आपकी त्वचा तैलीय है तो टमाटर तथा नींबू से बना फेस पैक अच्छा रहेगा। एक टमाटर को नींबू के रस के साथ मसल दें। इस प्रसाधन को आँखों के हिस्से को छोड़कर पूरे चेहरे पर लगाएँ। और दस मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। त्वचा की तैलियता गायब हो जाएगी।
Source: http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/health/1010/19/1101019020_1.htm
लाजवाब औषधि है चुकंदर
चुकंदर बनाए गुलाबी और सुंदर
लाल-लाल ताजे चुकंदर से ना सिर्फ आप सेहतमंद रहते हैं बल्कि यह आपकी ब्यूटी में भी चार चाँद लगाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके सेवन से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। ब्लड प्यूरीफाई होता है।
एक नए शोध से यह उजागर हुआ है कि चुकंदर का जूस सेहत के लिए सबसे फायदेमंद होता है। इसके जूस की यह विशेषता है कि इससे स्टेमिना में बढ़ता है। खासकर तब जब आप एक्सरसाइज कर के थक गए हों। इस पेय से व्यायाम करते समय थकान कम अनुभव होती है। यह व्यायाम की अवधि 16 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
एक्सिटर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार चुकंदर के जूस में पाए जाने वाले नाइट्रेट कसरत के दौरान आक्सीजन की अधिक मात्रा शरीर में जाने से रोकता है। जिससे थकान कम महसूस होती है। शोधकर्ताओं ने इसके प्रमाण के लिए कुछ एक्सपेरिमेंट भी किए।
परीक्षण दौरान 19 से 38 साल के आठ लोगों को शामिल किया गया। साइकिल एक्सरसाइज करते हुए उन्हें लगातार छह दिनों तक चुकंदर का 500 एमएल जूस पिलाया गया। एक दूसरे परीक्षण में साइकिल एक्सर्साइज के दौरान प्लेसबो नामक पेय दिया गया। दोनों की तुलना करने पर पाया गया कि चुकंदर का जूस प्लेसबो नामक पेय से अधिक प्रभावी है। चुकंदर के जूस से व्यायाम की अवधि में 92 सेकंड की वृद्धि हो जाती है। इसके अलावा चुकंदर का जूस व्यायाम के दौरान रक्तचाप स्थिर रखता है।
थके हुए जीवन में ताजगी के अहसास को बनाए रखने में चुकंदर का जूस असरकारी सिद्ध होता है। एक अन्य शोध यह साबित करने में जुटा है कि स्किन और आँखों की सुंदरता के लिए चुकंदर खासा लाभकारी है। त्वचा को जवाँ, चमकदार, चिकनी और गुलाबी बनाए रखने में चुकंदर का जवाब नहीं। उधर भारतीय मूल के एक शोधकर्ता ने अपने अध्ययन में कहा है कि दिल का दौरा पड़ने का जोखिम कम करने के लिए यह अचूक औषधि है ।
लंदन के क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी के अमृत्य आहलूवालिया के नेतृत्व में एक दल ने पाया कि चुकंदर के जूस में मौजूद नाइट्रेट नामक रसायन रक्त के दबाव को काफी कम कर देता है। इससे दिल की बीमारी अथवा दौरे का जोखिम कम होता है। चुकंदर में प्राकृतिक तौर पर नाइट्रेट होता है जिससे रक्त में नाइट्रिक आक्साइड गैस बनती है जो रक्त वाहिकाओं और धमनियों को चौड़ा कर रक्त दबाव कम करती है। ‘हाइपरटेंशन ’ पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चूँकि हाई ब्लडप्रैशर दिल की बीमारी और किडनी फेल होने का मुख्य कारण है इसलिये चुकंदर की अहमियत को स्वीकार करना होगा।
Source: http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/health/1010/24/1101024026_1.htm
लाल-लाल ताजे चुकंदर से ना सिर्फ आप सेहतमंद रहते हैं बल्कि यह आपकी ब्यूटी में भी चार चाँद लगाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके सेवन से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। ब्लड प्यूरीफाई होता है।
एक नए शोध से यह उजागर हुआ है कि चुकंदर का जूस सेहत के लिए सबसे फायदेमंद होता है। इसके जूस की यह विशेषता है कि इससे स्टेमिना में बढ़ता है। खासकर तब जब आप एक्सरसाइज कर के थक गए हों। इस पेय से व्यायाम करते समय थकान कम अनुभव होती है। यह व्यायाम की अवधि 16 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
एक्सिटर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार चुकंदर के जूस में पाए जाने वाले नाइट्रेट कसरत के दौरान आक्सीजन की अधिक मात्रा शरीर में जाने से रोकता है। जिससे थकान कम महसूस होती है। शोधकर्ताओं ने इसके प्रमाण के लिए कुछ एक्सपेरिमेंट भी किए।
परीक्षण दौरान 19 से 38 साल के आठ लोगों को शामिल किया गया। साइकिल एक्सरसाइज करते हुए उन्हें लगातार छह दिनों तक चुकंदर का 500 एमएल जूस पिलाया गया। एक दूसरे परीक्षण में साइकिल एक्सर्साइज के दौरान प्लेसबो नामक पेय दिया गया। दोनों की तुलना करने पर पाया गया कि चुकंदर का जूस प्लेसबो नामक पेय से अधिक प्रभावी है। चुकंदर के जूस से व्यायाम की अवधि में 92 सेकंड की वृद्धि हो जाती है। इसके अलावा चुकंदर का जूस व्यायाम के दौरान रक्तचाप स्थिर रखता है।
थके हुए जीवन में ताजगी के अहसास को बनाए रखने में चुकंदर का जूस असरकारी सिद्ध होता है। एक अन्य शोध यह साबित करने में जुटा है कि स्किन और आँखों की सुंदरता के लिए चुकंदर खासा लाभकारी है। त्वचा को जवाँ, चमकदार, चिकनी और गुलाबी बनाए रखने में चुकंदर का जवाब नहीं। उधर भारतीय मूल के एक शोधकर्ता ने अपने अध्ययन में कहा है कि दिल का दौरा पड़ने का जोखिम कम करने के लिए यह अचूक औषधि है ।
लंदन के क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी के अमृत्य आहलूवालिया के नेतृत्व में एक दल ने पाया कि चुकंदर के जूस में मौजूद नाइट्रेट नामक रसायन रक्त के दबाव को काफी कम कर देता है। इससे दिल की बीमारी अथवा दौरे का जोखिम कम होता है। चुकंदर में प्राकृतिक तौर पर नाइट्रेट होता है जिससे रक्त में नाइट्रिक आक्साइड गैस बनती है जो रक्त वाहिकाओं और धमनियों को चौड़ा कर रक्त दबाव कम करती है। ‘हाइपरटेंशन ’ पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चूँकि हाई ब्लडप्रैशर दिल की बीमारी और किडनी फेल होने का मुख्य कारण है इसलिये चुकंदर की अहमियत को स्वीकार करना होगा।
Source: http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/health/1010/24/1101024026_1.htm
Friday, October 22, 2010
ब्रेड बॉल्स
सामग्री :
4 आलू,1/2 कप हरी मटर,
1 प्याज,4-5 काली मिर्च,
1 नींबू का रस,
1/4टी स्पून अदरक कसा हुआ,
10 बे्रड स्लाइस, तलने के लिए तेल,
1/2 कप हरा धनिया बारीक कटा,
नमक स्वादानुसार।
4 आलू,1/2 कप हरी मटर,
1 प्याज,4-5 काली मिर्च,
1 नींबू का रस,
1/4टी स्पून अदरक कसा हुआ,
10 बे्रड स्लाइस, तलने के लिए तेल,
1/2 कप हरा धनिया बारीक कटा,
नमक स्वादानुसार।
विधि:
आलू उबालकर छीलकर मैश करें। गाजर बारीक काटें। मटर के साथ उबालकर प्याज बारीक काटें। कड़ाही में मिर्च, प्याज डालकर पारदर्शी होने तक फ्राई करें। अब अदरक डालें। ठंडा होने पर आलू में हरा धनिया, गाजर,मटर और गाजर डालकर मिलाएं। ब्रेड के स्लाइस को पानी में भिगोकर बाहर निकालकर निचोड़ दें। आलू के मिश्रण से बॉल बनाकर ब्रेड स्लाइस का गोला बना लें। तेल गर्म कर ब्रेड बॉल्स को गोल्डन ब्राउन कलर में आने तक तल लें। अब चटनी के साथ सर्व करें।
स्टफ्ड चीला
सामग्री : 2 कटोरी बेसन,
/4 कटोरी सूजी,
1/4 कटोरी छाछ,
1 टी स्पून प्याज,
अदरक,
लहसुन का पेस्ट,
चुटकी भर मीठा सोडा,
100 ग्राम पनीर छोटे टुकड़े,
3 टमाटर छोटे टुकड़ों में,
1/2 कटोरी उबले मटर के दाने,
हरी धनिया कटी हुई,
नमक और मिर्च स्वादानुसार।
/4 कटोरी सूजी,
1/4 कटोरी छाछ,
1 टी स्पून प्याज,
अदरक,
लहसुन का पेस्ट,
चुटकी भर मीठा सोडा,
100 ग्राम पनीर छोटे टुकड़े,
3 टमाटर छोटे टुकड़ों में,
1/2 कटोरी उबले मटर के दाने,
हरी धनिया कटी हुई,
नमक और मिर्च स्वादानुसार।
विधि:
बेसन, सूजी, छाछ, सोडा को अच्छी तरह मिलाएं। पानी डालकर चीला बनाने के लिए घोल बनाएं। इसमें नमक, मिर्च, अदरक, प्याज का पेस्ट डालें। तवे पर चीले का घोल फैलाएं। कलछी से गोलाकार बनाएं। अच्छी तरह सेंक लें। गोल्डन ब्राउन रंग होने पर प्लेट में निकाल लें। पनीर, टमाटर, मटर में मिर्च, नमक , धनियापत्ती डालकर फोल्ड करें। अब स्टफ्ड चीला धनिया-पुदीने की चटनी के साथ सर्व करें।
पंजाबी राजमा
आवश्यक सामग्री
डेढ़ कप लाल राजमा रात में भिगो दें
1 बड़ा चम्मच चने की दाल रात में भिगो दें
ढाई छोटा चम्मच नमक या स्वादानुसार
2 प्याज 1 छोटा टुकड़ा अदरक
6-8 कली लहसुन
5 बड़े चम्मच तेल
1 तेज पत्ता # 1 बड़ी इलायची
2 लौंग
आधा छोटा चम्मच हल्दी
3 छोटे चम्मच धनिया पाउडर
एक चौथाई छोटा चम्मच अमचूर
आधा छोटा चम्मच गर्म मसाल
1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर या स्वादानुसार
3 टमाटर मिक्सी में प्यूरी करें
आधा कप दही - अच्छी तरह फेटें
2 बड़े चम्मच कटा हुआ हरा धनिया।
डेढ़ कप लाल राजमा रात में भिगो दें
1 बड़ा चम्मच चने की दाल रात में भिगो दें
ढाई छोटा चम्मच नमक या स्वादानुसार
2 प्याज 1 छोटा टुकड़ा अदरक
6-8 कली लहसुन
5 बड़े चम्मच तेल
1 तेज पत्ता # 1 बड़ी इलायची
2 लौंग
आधा छोटा चम्मच हल्दी
3 छोटे चम्मच धनिया पाउडर
एक चौथाई छोटा चम्मच अमचूर
आधा छोटा चम्मच गर्म मसाल
1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर या स्वादानुसार
3 टमाटर मिक्सी में प्यूरी करें
आधा कप दही - अच्छी तरह फेटें
2 बड़े चम्मच कटा हुआ हरा धनिया।
रात में भिगोए हुए राजमा और चने की दाल को नमक और 10 कप पानी डालकर प्रेशर कुकर में एक सीटी आने तक पका लें। अब धीमी आंच पर 15 मिनट तक पकाएं। इसके बाद आंच से उतार लें। अब प्याज, अदरक और लहसुन को पीसकर पेस्ट बना लें।
एक भारी पेंदे की कढ़ाई में 5 बड़े चम्मच तेल गर्म करें और तेज पत्ता, बड़ी इलायची और लौंग को उसमें डाल दें। इस मसाले को 1 मिनट तक भून लें। अब प्याज के बने पेस्ट को तेले में डालें और सुनहरा होने तक फ्राई कर लें। अब आंच कम करें और हल्दी, धनिया पाउडर, अमचूर, गर्म मसाला और लाल मिर्च पाउडर डाल दें। कुछ सेकेण्ड तक मसाले को हिलाएं और प्यूरी किए हुए टमाटर उसमें डाल दें और पकाएं जब तक टमाटर का पानी सूख न जाए और तेल ऊपर से न तैरने लग जाए।
इसके बाद गैस मंदी कर दें और फें टे हुए दही को उसमें डाल दें। अब धीमी आंच पर लगातार हिलाते रहें जब तक मसाला लाल न हो जाए और तेल अलग होने लगे। अब राजमा से पानी निकालें और उसका पानी बचाकर रख लें। अब मसाले में राजमा डालें और मध्यम आंच पर 2-3 मिनट तक फ्राई करें। राजमें को बीच - बीच में मेश करते रहें। राजमे का बचा हुआ पानी डालें और धीमी आंच पर 8- 10 मिनट तक दोबारा प्रेशर कुकर में एक सीटी आने तक पकाएं। आपका राजमा तैयार है अब उसे आंच से उतार लें और ताजा कटा हुआ हरा धनिया डालकर सजा दें। गर्मा गर्म राजमा तैयार है उसे रोटी या चावल के साथ गर्म- गर्म परोसें और स्वयं भी खाएं।
बनाना से बनाएं सेहत
रिसर्च से ये साबित हो गया है कि सिर्फ दो केले खाने के बाद आपको अगले 90 मिनट के लिए कड़ी शारीरिक एक्सरसाइज करने की एनर्जी मिल जाती है। इस फल की खासियतों के चलते ही ये दुनिया भर के एथलीट्स की फेवरिट लिस्ट में नंबर एक के स्थान पर है। इसके और भी फायदे हैं, जैसेडि प्रेशन से बचाए: माइंड संस्था के एक हालिया सर्वे के अनुसार केला डिप्रेशन से बचाता है। केले का ट्रिप्टोफेन नामक प्रोटीन शरीर में पहुंच कर सेरोटोनिन में बदलकर व्यक्ति को खुशी देता है।
केले को अपनी डेली डाइट में शामिल कर कई पुराने मर्जों से भी निजात पाई जा सकती है। केले में सूक्रोज़, फ्रक्टोज़ और ग्लूकोज़ नाम की तीन नेचुरल शुगर्स पाई जाती हैं, जो तुरंत, निरंतर और पर्याप्त ऊर्जा देती हैं।
प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम में लाभदायक: माहवारी से पहले महिलाओं में मूड फ्लाक्चुएशन और तनाव की शिकायतों को दूर करने के लिए भी केला फायदेमंद है। इसमें विटामिन बी6 होता है, जो ब्लड ग्लूकोज़ को नियमित करता है, जिससे मूड अच्छा रहता है।
एनीमिया ठीक करें: केले में भरपूर आयरन है जो खून में हीमोग्लोबिन उत्पादन को प्रोत्साहित कर एनीमिया ठीक करता है। इसमें पोटेशियम की अधिकता और नमक की कमी से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
दिमाग बनेगा तेज : लंदन के ट्विकेनहैम में हुए एक अध्ययन के अनसार करीब 200 स्कूली बच्चों ने इस साल सिर्फ अपने ब्रेकफास्ट और लंच में केले को शामिल कर एक्ज़ाम में पहले से अच्छा प्रदर्शन किया, क्योंकि ये पोटेशियम-पैक्ड फ्रूट छात्रों को अलर्ट रहने और सीखी हुई चीजों को याद रखने में मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज दूर होती है।
हैंगओवर से निजात: शहद मिला बनाए गए बनाना मिल्कशेक से हैंगओवर से निजात मिलती है। केला पेट को शांत करता है, शहद ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है व दूध आपके सिस्टम को हाइड्रेट करेगा। केले में मौजूद नेचुरल एंटेसिड एसिडिटी ठीक करता है।
मॉर्निंग सिकनेस : केला खाने की आदत डालकर गर्भवती महिलाएं सुबह होने वाली मतली की परेशानी को दूर कर सकती हैं।
नर्वस सिस्टम चंगा : इसमें मौजूद विटामिन बी आपके नर्वस सिस्टम को चंगा रखता है। केला खाने के बाद चॉकलेट, चिप्स जैसी हाई कैलोरी चीजों को खाने की इच्छा कम हो जाती है, इसलिए इइसके सेवन से वजन भी कंट्रोल किया जा सकता है।
स्किन को जवां बनाती है मिट्टी
खूबसूरत दिखने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। खासतौर पर अपनी स्किन को आकर्षक बनाए रखने के लिए तो लोग तरह-तरह की तरकीबें इस्तेमाल करते हैं। मगर अब यह काफी आसान हो सकता है। एक रिसर्च से पता चला है कि कई तरह की मिट्टी का इस्तेमाल क्रीम के तौर पर किया जा सकता है। यह क्रीम यानी मिट्टी स्किन इंफेक्शन और स्किन की कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार नुकसानदायक बैक्टीरिया से स्किन को बचा सकती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जल्द ही मिट्टी को मेडिसिन के तौर पर यूज किया जा सकेगा। मिट्टी में मौजूद मिनरल्स स्किन को एंटी-माइक्रोबियल्स मुहैया कराते हैं। ये एंटी-माइक्रोबियल्स छोटे जीवाणुओं "सुपर बग्स" की वजह से होने वाले इंफेक्शन से भी लड़ सकते हैं। सुपर बग्स एंटी-बायोटिक्स के असर को खत्म कर देते हैं और हर साल इनकी वजह से हजारों मौतें होती हैं।
अरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक, मिट्टी को परंपरागत एंटी-बायोटिक्स की तरह इंजेक्शन या पिल्स के जरिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसे क्रीम की तरह स्किन पर लगाया जा सकता है, ताकि यह इंफेक्शन को फैलने से
रोक सके।
मिट्टी से इलाज
मिट्टी का इस्तेमाल सैकड़ों सालों से किया जा रहा है। इसे चोटों, पेट की दिक्कतों और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए यूज किया जाता था। रानी क्लियोपेट्रा की खूबसूरती का राज भी मिट्टी को ही माना जाता है। आज भी मिट्टी को फैशियल के लिए यूज किया जाता है। अब शैली हाइडल और लिंडा विलियम्स मिट्टी के फायदों पर अध्ययन कर रहे हैं। विलियम्स कहते हैं कि मिट्टी के फायदों को देखते हुए हम इसे छोटा दवाओं का स्टोर कह सकते हैं। इसमें सैकड़ों तत्व मौजूद होते हैं। इनमें से कुछ तो बेहद फायदेमंद होते हैं मगर कुछ नुकसानदायक। विलियम्स कहते हैं कि हमारा मकसद इन फायदेमंद तत्वों को खोज निकालना है। नेचुरोपैथी में तो मिट्टी के लाभदायक गुणों को विभिन्न तरह के मिट्टी की पट्टी, लेप के रू प में परंपरागत रूप से उपयोग किया जाता रहा है।
रिसर्च
विलियम्स, हाइडल और उनके सहयोगियों ने दुनिया भर की 20 अलग-अलग मिटि्टयों का सैंपल लिया। इन मिटि्टयों का इस्तेमाल रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया पर किया गया। इनमें से फ्रांस की हरी मिट्टी और अमरीका की मिट्टी में बैक्टीरिया को खत्म करने की क्वालिटी देखी गई। उन्होंने उम्मीद जताई कि कई तरह की मिटि्टयों में स्किन क्रीम की तरह यूज किया जा सकेगा। कई कंपनियों ने भी इस रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए कहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जल्द ही मिट्टी को मेडिसिन के तौर पर यूज किया जा सकेगा। मिट्टी में मौजूद मिनरल्स स्किन को एंटी-माइक्रोबियल्स मुहैया कराते हैं। ये एंटी-माइक्रोबियल्स छोटे जीवाणुओं "सुपर बग्स" की वजह से होने वाले इंफेक्शन से भी लड़ सकते हैं। सुपर बग्स एंटी-बायोटिक्स के असर को खत्म कर देते हैं और हर साल इनकी वजह से हजारों मौतें होती हैं।
अरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक, मिट्टी को परंपरागत एंटी-बायोटिक्स की तरह इंजेक्शन या पिल्स के जरिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसे क्रीम की तरह स्किन पर लगाया जा सकता है, ताकि यह इंफेक्शन को फैलने से
रोक सके।
मिट्टी से इलाज
मिट्टी का इस्तेमाल सैकड़ों सालों से किया जा रहा है। इसे चोटों, पेट की दिक्कतों और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए यूज किया जाता था। रानी क्लियोपेट्रा की खूबसूरती का राज भी मिट्टी को ही माना जाता है। आज भी मिट्टी को फैशियल के लिए यूज किया जाता है। अब शैली हाइडल और लिंडा विलियम्स मिट्टी के फायदों पर अध्ययन कर रहे हैं। विलियम्स कहते हैं कि मिट्टी के फायदों को देखते हुए हम इसे छोटा दवाओं का स्टोर कह सकते हैं। इसमें सैकड़ों तत्व मौजूद होते हैं। इनमें से कुछ तो बेहद फायदेमंद होते हैं मगर कुछ नुकसानदायक। विलियम्स कहते हैं कि हमारा मकसद इन फायदेमंद तत्वों को खोज निकालना है। नेचुरोपैथी में तो मिट्टी के लाभदायक गुणों को विभिन्न तरह के मिट्टी की पट्टी, लेप के रू प में परंपरागत रूप से उपयोग किया जाता रहा है।
रिसर्च
विलियम्स, हाइडल और उनके सहयोगियों ने दुनिया भर की 20 अलग-अलग मिटि्टयों का सैंपल लिया। इन मिटि्टयों का इस्तेमाल रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया पर किया गया। इनमें से फ्रांस की हरी मिट्टी और अमरीका की मिट्टी में बैक्टीरिया को खत्म करने की क्वालिटी देखी गई। उन्होंने उम्मीद जताई कि कई तरह की मिटि्टयों में स्किन क्रीम की तरह यूज किया जा सकेगा। कई कंपनियों ने भी इस रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए कहा है।
चटपटी आलू चाट
सामग्री :
तीन आलू, आधा चम्मच लाल मिर्च पावडर, एक चम्मच भूना जीरा पावडर, एक चम्मच चाट मसाला, आधा कप इमली की चटनी, आधा कप पुदीने की चटनी, दो चम्मच हरा धनिया, तलने के लिए तेल। सजाने के लिए- 1 टमाटर बारीक कटा, पाव कटोरी अनार के दाने, बारीक आलू सेंव।
विधि :
आलू को छीलकर चौकोर टुकड़ों में काट लें। एक पैन में तेल गरम करें और आलू को सुनहरा होने तक तलकर एक बाउल में निकाल लें। अब इसमें लाल मिर्च पावडर, जीरा पावडर और चाट मसाला डाल दें।
स्वादानुसार पुदीने और इमली की चटनी भी डालकर मिक्स कर लें। तैयार आलू चाट को टमाटर व अनार के दानों से सजाकर पेश करें।
तीन आलू, आधा चम्मच लाल मिर्च पावडर, एक चम्मच भूना जीरा पावडर, एक चम्मच चाट मसाला, आधा कप इमली की चटनी, आधा कप पुदीने की चटनी, दो चम्मच हरा धनिया, तलने के लिए तेल। सजाने के लिए- 1 टमाटर बारीक कटा, पाव कटोरी अनार के दाने, बारीक आलू सेंव।
विधि :
आलू को छीलकर चौकोर टुकड़ों में काट लें। एक पैन में तेल गरम करें और आलू को सुनहरा होने तक तलकर एक बाउल में निकाल लें। अब इसमें लाल मिर्च पावडर, जीरा पावडर और चाट मसाला डाल दें।
स्वादानुसार पुदीने और इमली की चटनी भी डालकर मिक्स कर लें। तैयार आलू चाट को टमाटर व अनार के दानों से सजाकर पेश करें।
साबूदाना चकली
सामग्री :
250 ग्राम साबूदाना, 250 ग्राम उबले आलू, लाल मिर्च 4 चम्मच, जीरा दो बड़े चम्मच, नमक स्वादानुसार।
विधि :
साबूदाने को 5-6 घंटे पानी में भिगोकर धो लें, फिर जीरा सेंक लें व पीस लें। अब मिक्सर में साबूदाना व आलू 250 ग्राम पानी डालकर पीस लें।
नमक व जीरा डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अब चकली प्लास्टिक पर बनाएँ और सुखाएँ। इसे घी या तेल में तलकर खाने के काम में ले सकते हैं।
250 ग्राम साबूदाना, 250 ग्राम उबले आलू, लाल मिर्च 4 चम्मच, जीरा दो बड़े चम्मच, नमक स्वादानुसार।
विधि :
साबूदाने को 5-6 घंटे पानी में भिगोकर धो लें, फिर जीरा सेंक लें व पीस लें। अब मिक्सर में साबूदाना व आलू 250 ग्राम पानी डालकर पीस लें।
नमक व जीरा डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अब चकली प्लास्टिक पर बनाएँ और सुखाएँ। इसे घी या तेल में तलकर खाने के काम में ले सकते हैं।
दाँत दर्द के घरेलू नुस्खे
10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। तेज दर्द में सुबह तथा रात को इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दाँत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं।
* अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
* दाँत-दाढ़ दर्द में अदरक का टुकड़ा कुचलकर दर्द वाले दाँत के खोखले भाग में रखकर मुँह बंद कर लें और धीरे-धीरे रस चूसते रहें। फौरन राहत महसूस होगी।
* अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
* दाँत-दाढ़ दर्द में अदरक का टुकड़ा कुचलकर दर्द वाले दाँत के खोखले भाग में रखकर मुँह बंद कर लें और धीरे-धीरे रस चूसते रहें। फौरन राहत महसूस होगी।
Thursday, October 21, 2010
एग बिरयानी
सामग्री :
दो कप धुले हुए बासमती चावल (दस मिनट के लिए भिगो दें),
छह अण्डे,
एक पतला कटा प्याज,
दस हरी मिर्ची,
एक तेजपत्ता,
चार लौंग,
आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर,
एक चम्मच पिसा हुआ अदरक व लहसुन,
एक चम्मच पुलाव मसाला,
नमक स्वादानुसार,
दो चम्मच तेल
अण्डों को उबालें और छिलके उतार लें। तेल गर्म करें और उसमेें सारे मसाले मिला दे कुछ सेकण्ड बाद प्याज मिलाएं । हरी मिर्च और पिसा अदरक लहसुन का मिला दें। पूरा मिश्रण भूरा होने तक तलें। अब दो अण्डे फोड़े कर इसमें डालें। धुले हुए चावल इसमें डाले और कुछ मिनट के लिए तलेें। स्वादानुसार नमक मिलाएं। अब उबले अण्डे डालें और चार कप पानी मिलाएं। चावल के आधे पक जाने तक इसे ढक कर रखें। अब इसमें पुलाव मसाला डालें इसके साथ नींबू का रस इसमें छिड़कें । चावल के पकने (पानी सोखने तक) ढक कर रखें । गर्मागर्म परोसें।
दो कप धुले हुए बासमती चावल (दस मिनट के लिए भिगो दें),
छह अण्डे,
एक पतला कटा प्याज,
दस हरी मिर्ची,
एक तेजपत्ता,
चार लौंग,
आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर,
एक चम्मच पिसा हुआ अदरक व लहसुन,
एक चम्मच पुलाव मसाला,
नमक स्वादानुसार,
दो चम्मच तेल
अण्डों को उबालें और छिलके उतार लें। तेल गर्म करें और उसमेें सारे मसाले मिला दे कुछ सेकण्ड बाद प्याज मिलाएं । हरी मिर्च और पिसा अदरक लहसुन का मिला दें। पूरा मिश्रण भूरा होने तक तलें। अब दो अण्डे फोड़े कर इसमें डालें। धुले हुए चावल इसमें डाले और कुछ मिनट के लिए तलेें। स्वादानुसार नमक मिलाएं। अब उबले अण्डे डालें और चार कप पानी मिलाएं। चावल के आधे पक जाने तक इसे ढक कर रखें। अब इसमें पुलाव मसाला डालें इसके साथ नींबू का रस इसमें छिड़कें । चावल के पकने (पानी सोखने तक) ढक कर रखें । गर्मागर्म परोसें।
कश्मीरी फिश
सामग्री:
500 ग्राम फिश,
2 टेबलस्पून कटा धनिया,
एक टीस्पून गरम मसाला,
2 लौंग,
2 टीस्पून धनिया पाउडर,
1 टीस्पून जीरा,
2 टीस्पून अदरक,
2 कप दही,
4 हरी मिर्च,
1 कप पानी,
1 चुटकी हल्दी,
1 चुटकी हींग,
3 टेबलस्पून घी और
नमक स्वादानुसार।
हरी मिर्च के अंदर से सारे बीजें निकाल दें। अब दही लें और थोड़ा नमक मिलाएं। दही को अच्छे से फेंटे। फिश के टुकड़ों को लेकर इस पर हल्दी और नमक डालें। पांच मिनट के लिए मैरीनेट होने दें। एक कड़ाही में घी डालें और फिश के टुकड़ों को सुनहरा भूरा होने तक भूनें। एक पेपर पर निकाल कर रखें जिससे सारा अतिरिक्त घी निकल जाए। अब कड़ाही में बचे हुए घी को फिर गर्म करें।
जीरा, अदरक, हींग और लौंग डाले। अब इसमें दही डालें। तब तक भूनें जब तक कि दही रेडिश ब्राउन न हो जाए। फिर धनिया पाउडर डालकर अच्छे से चलाएं और फिश के टुकड़ों को डालें। नमक व पानी डालकर पकाएं। 20 मिनट धीमी आंच पर पकाएं। अब हरी मिर्च, गरम मसाला, धनिया पत्ती डालें। दसç मनट फिर ढक कर रख दें व इसके बाद आंच से हटा लें। गर्मागर्म सर्व कीजिए।
500 ग्राम फिश,
2 टेबलस्पून कटा धनिया,
एक टीस्पून गरम मसाला,
2 लौंग,
2 टीस्पून धनिया पाउडर,
1 टीस्पून जीरा,
2 टीस्पून अदरक,
2 कप दही,
4 हरी मिर्च,
1 कप पानी,
1 चुटकी हल्दी,
1 चुटकी हींग,
3 टेबलस्पून घी और
नमक स्वादानुसार।
हरी मिर्च के अंदर से सारे बीजें निकाल दें। अब दही लें और थोड़ा नमक मिलाएं। दही को अच्छे से फेंटे। फिश के टुकड़ों को लेकर इस पर हल्दी और नमक डालें। पांच मिनट के लिए मैरीनेट होने दें। एक कड़ाही में घी डालें और फिश के टुकड़ों को सुनहरा भूरा होने तक भूनें। एक पेपर पर निकाल कर रखें जिससे सारा अतिरिक्त घी निकल जाए। अब कड़ाही में बचे हुए घी को फिर गर्म करें।
जीरा, अदरक, हींग और लौंग डाले। अब इसमें दही डालें। तब तक भूनें जब तक कि दही रेडिश ब्राउन न हो जाए। फिर धनिया पाउडर डालकर अच्छे से चलाएं और फिश के टुकड़ों को डालें। नमक व पानी डालकर पकाएं। 20 मिनट धीमी आंच पर पकाएं। अब हरी मिर्च, गरम मसाला, धनिया पत्ती डालें। दसç मनट फिर ढक कर रख दें व इसके बाद आंच से हटा लें। गर्मागर्म सर्व कीजिए।
दम आलू
सामग्री —
आलू (छोटे साइज के)—250 ग्राम,
टमाटर —100 ग्राम,
गरम मसाला—आघा टीस्पून,
जीरा—एक टीस्पून,
घनिया पाउडर—एक टीस्पून,
हल्दी पाउडर—आघा टीस्पून,
लाल मिर्च पाउडर—आघा टीस्पून,
हींग —चुटकी भर,
नमक— स्वादानुसार,
तेल —तड़का लगाने के लिए और
थोड़ी सी ताजी हरी घनिया पत्ती।
विघि —
आलुओं को छीलकर पानी में डाल दें। साथ ही टमाटरो को मिक्सर में बारीक पीस लें। छीले हुए आलुओं में सींक की सहायता से कई छेद बना दें और डीप फ्राई कर लें। अब प्रेशर कुकर गर्म करें और इसमें तेल डालें। तेल गर्म हो जाने पर हींग और जीरा डाल कर चटकाएं। जीरा चटकने लगे तब पिसे हुए टमाटर डालकर 2 मिनट के लिए भूनें। अब घनिया, लाल मिर्च, हल्दी, नमक और गरम मसाला डाल दें। दो मिनट तक चलाएं और दो ग्लास भर के पानी डालकर प्रेशर कुकर को ढंक दें। गाढ़ा हो जाने पर इसमें आलू डाल दें और घीमी आंच पर पकने दें। लगभग दस मिनट के बाद गैस से उतार लें। उल में निकाल कर घनिया पत्ती से गार्निश करें और गर्मागर्म पराठे , रोटी अथवा चावल के साथ परोसे।
आलू (छोटे साइज के)—250 ग्राम,
टमाटर —100 ग्राम,
गरम मसाला—आघा टीस्पून,
जीरा—एक टीस्पून,
घनिया पाउडर—एक टीस्पून,
हल्दी पाउडर—आघा टीस्पून,
लाल मिर्च पाउडर—आघा टीस्पून,
हींग —चुटकी भर,
नमक— स्वादानुसार,
तेल —तड़का लगाने के लिए और
थोड़ी सी ताजी हरी घनिया पत्ती।
विघि —
आलुओं को छीलकर पानी में डाल दें। साथ ही टमाटरो को मिक्सर में बारीक पीस लें। छीले हुए आलुओं में सींक की सहायता से कई छेद बना दें और डीप फ्राई कर लें। अब प्रेशर कुकर गर्म करें और इसमें तेल डालें। तेल गर्म हो जाने पर हींग और जीरा डाल कर चटकाएं। जीरा चटकने लगे तब पिसे हुए टमाटर डालकर 2 मिनट के लिए भूनें। अब घनिया, लाल मिर्च, हल्दी, नमक और गरम मसाला डाल दें। दो मिनट तक चलाएं और दो ग्लास भर के पानी डालकर प्रेशर कुकर को ढंक दें। गाढ़ा हो जाने पर इसमें आलू डाल दें और घीमी आंच पर पकने दें। लगभग दस मिनट के बाद गैस से उतार लें। उल में निकाल कर घनिया पत्ती से गार्निश करें और गर्मागर्म पराठे , रोटी अथवा चावल के साथ परोसे।
स्मार्ट बनाएं अपना ई-मेल
याहू, जीमेल, हॉटमेल और रेडिफमेल, हम में से ज्यादातर लोग इनमें से किसी न किसी का इस्तेमाल जरूर करते हैं। कमाल की सुविधा है यह, जो दुनिया में किसी भी स्थान से अपनी मेल देखने की आजादी देती है, लेकिन ईमेल सेवाओं के भीतर ऐसे ढेरों फीचर्स मौजूद हैं जिनका प्रयोग आम इंटरनेट यूजर नहीं करता। कुछ उपाय इस्तेमाल कर आप अपने ईमेल अकाउंट को अधिक स्मार्ट और सुविधाजनक बना सकते हैं। शुरुआत याहू मेल (क्लासिक) से करते हैं जिसके भीतर कुछ बेहद उपयोगी सुविधाएं छुपी हैंफि ल्टर क्या ऐसा नहीं हो सकता कि किसी खास सोर्स से आई ईमेल इनबॉक्स की बजाए हर बार सीधे टारगेट फोल्डर में पहुंच जाएं? मेलबॉक्स के ऊपरी दाएं हिस्से में दिए आप्शन लिंक से होते हुए मेल आप्शन्स तक पहुंचें। बार्इं ओर फिल्टर्स लिंक दिखेगा। इसे क्लिक कर आप नई मेल के बारे में रूल्स बना सकते हैं। जैसे किस खास ईमेल एड्रेस या किसी विशेष सब्जेक्ट वाली मेल आपके बताए फोल्डर में पहुंच जाए। वहां ईमेल में किसी खास शब्द का जिक्र होने से लेकर किसी खास व्यक्ति को सीसी किए गए मेल जैसे कई अन्य फिल्टर मौजूद हैं। इसे आजमा कर देखें।
फोल्डरआपके इनबॉक्स आई हजारों ईमेल को क्यों न अलग- अलग सोर्सेज या श्रेणियों की ईमेल को अलग-अलग फोल्डरों में आर्गनाइज किया जाए? मेलबॉक्स के बार्इं ओर माई फोल्डर नामक लिंक होता है। वहीं दिए एड लिंक पर क्लिक करें और फोल्डर का नाम बताएं, बस। अगली बार जब भी पढ़ाई से संबंधित मेल आए तो उसे एजुकेशन और नौकरी से जुड़े संदेशों को जॉब फोल्डर के हवाले करें।
जोड़ें जीमेल सें
अगर आप अपने जीमेल या हॉटमेल संदेशों को याहू मेल में पढ़ना चाहते हैं (ताकि अलग-अलग मेल न खोलनी पड़ें) तो दाएं ओर दिए आॅप्शंस लिंक से होकर मेल आप्शन्स, फिर एकाउंट्स और अंत में रिसीविंग मेल तक पहुंचें। यहां संबंधित सर्वर (जीमेल, हॉटमेल आदि) का सही पॉप-3 पता लिखें और उस ईमेल पते का यूजरनेम और पासवर्ड डालें।
अगर आप अपने जीमेल या हॉटमेल संदेशों को याहू मेल में पढ़ना चाहते हैं (ताकि अलग-अलग मेल न खोलनी पड़ें) तो दाएं ओर दिए आॅप्शंस लिंक से होकर मेल आप्शन्स, फिर एकाउंट्स और अंत में रिसीविंग मेल तक पहुंचें। यहां संबंधित सर्वर (जीमेल, हॉटमेल आदि) का सही पॉप-3 पता लिखें और उस ईमेल पते का यूजरनेम और पासवर्ड डालें।
प्रतिबंधित करें-
अगर आप किसी व्यक्ति के ईमेल संदेशों से परेशान हो चुके हैं और चाहते हैं कि आगे से उसका कोई ईमेल आप तक न पहुंचे तो उसे ब्लॉक कर सकते हैं। इसके लिए पहले आप्शन्स फिर मेल आप्शन्स और अंत में स्पैम लिंक तक पहुंचें। एड ए ब्लॉक्ड एड्रेस विकल्प पर वह ईमेल पता लिखकर एड बटन दबाएं।
अगर आप किसी व्यक्ति के ईमेल संदेशों से परेशान हो चुके हैं और चाहते हैं कि आगे से उसका कोई ईमेल आप तक न पहुंचे तो उसे ब्लॉक कर सकते हैं। इसके लिए पहले आप्शन्स फिर मेल आप्शन्स और अंत में स्पैम लिंक तक पहुंचें। एड ए ब्लॉक्ड एड्रेस विकल्प पर वह ईमेल पता लिखकर एड बटन दबाएं।
बैक-अप करें-
अगर आपको अपने जीमेल अकाउंट में आने वाली मेल के गलती से डिलीट होने की आशंका है, तो आप हर ईमेल की एक प्रति किसी अन्य ईमेल खाते में स्थानांतरित कर सकते हैं। इसके लिए जीमेल सेटिंग्स खोलें फिर फॉरवर्ड एंड पीओपी- आईएमएपी पर क्लिक करें। अब फारवर्डिंग सेक्शन में फॉरवर्ड ए कॉपी आफ इनकमिंग मेल के सामने अपना वैकल्पिक ईमेल खाता लिख दें।
अगर आपको अपने जीमेल अकाउंट में आने वाली मेल के गलती से डिलीट होने की आशंका है, तो आप हर ईमेल की एक प्रति किसी अन्य ईमेल खाते में स्थानांतरित कर सकते हैं। इसके लिए जीमेल सेटिंग्स खोलें फिर फॉरवर्ड एंड पीओपी- आईएमएपी पर क्लिक करें। अब फारवर्डिंग सेक्शन में फॉरवर्ड ए कॉपी आफ इनकमिंग मेल के सामने अपना वैकल्पिक ईमेल खाता लिख दें।
अलग लेबल
अगर जीमेल में आप किसी खास व्यक्ति का ईमेल देखना ही नहीं चाहते या किसी विशेष स्रोत से आए ईमेल को एक अलग लेबल देना चाहते हैं तो फिल्टर प्रयोग कीजिए। इस सुविधा के जरिए आप किसी किसी विशेष व्यक्ति की सभी ईमेल पर स्वत: स्टार निशान अंकित करने का निर्देश भी दे सकते हैं और उन्हें फॉरवर्ड भी कर सकते हैं। तरीका सीधा सा है। जीमेल पेज के ऊपर की ओर बने क्रियेट ए फिल्टर लिंक पर क्लिक करें। इसमें संबंधित ईमेल को अलग से पहचानने के लिए जरूरी सूचनाएं दीजिए और क्रियेट फिल्टर बटन दबाएं।
अगर जीमेल में आप किसी खास व्यक्ति का ईमेल देखना ही नहीं चाहते या किसी विशेष स्रोत से आए ईमेल को एक अलग लेबल देना चाहते हैं तो फिल्टर प्रयोग कीजिए। इस सुविधा के जरिए आप किसी किसी विशेष व्यक्ति की सभी ईमेल पर स्वत: स्टार निशान अंकित करने का निर्देश भी दे सकते हैं और उन्हें फॉरवर्ड भी कर सकते हैं। तरीका सीधा सा है। जीमेल पेज के ऊपर की ओर बने क्रियेट ए फिल्टर लिंक पर क्लिक करें। इसमें संबंधित ईमेल को अलग से पहचानने के लिए जरूरी सूचनाएं दीजिए और क्रियेट फिल्टर बटन दबाएं।
Wednesday, October 20, 2010
टाई से बदले पर्सनालिटी
फैशन की दुनिया में टाई का अपना एक अलग ही इंपॉर्टेंस है। यह न सिर्फ पर्सनालिटी को आकर्षक बनाती है, बल्कि अच्छा लुक भी देती है। खास तौर पर कॉर्पोरेट सेक्टर में तो टाई लगाना जरूरी हो गया है। कुछ स्कूल-कॉलेजेज़ में तो ये कंपलसरी होती है। वहीं शादी-विवाह से लेकर फॉर्मल पार्टियों के लिए भी यह आॅन डिमांड रहती है। पता करते हैं टाई की नई रेंज और ट्रेंड के बारे में, जो आजकल ज्यादा पसंद की जा रही हैं।
क्रेवेट टाई
फैशन की दुनिया की यह पहली टाई है, जो आज भी पॉपुलर है। इसकी कई वैराइटीज और कलर्स हैं। क्रेवेट टाई को हर मौके पर पहन सकते हैं। मसलन, बर्थडे पार्टी, आॅफिस और नॉर्मली किसी भी समय। इसे पहनने से लुक तो अच्छा मिलता ही है, साथ ही यह कंफर्टेबल भी रहती है। क्रेवेट टाई 1850 के दशक में ब्रिटेन में काफी फेमस हुआ करती थी। इसकी वैराइटी में फोर इन हैंड टाई भी शामिल है। इसका आखिरी सिरा स्क्वेयर में होता है। यह सामान्य तौर पर सिल्क और पॉलिएस्टर से बना होती है। क्रेवेट में सिक्स एंड सेवन फोल्ड टाई भी आती है। यह सिल्क की बनी होती है और इसे सात भागों में फोल्ड किया जाता है।क्लिप आन टाई
यह टाई खासकर टीनएजर्स के लिए है। इसके निचले हिस्से में स्क्वेयर कट होता है, जो दिखने में काफी आकर्षक होता है। यह फुल, मिड और शॉर्ट तीनों लेंथ्स में मिलती है। फैशन गुरुओं के मुताबिक इसे क्लब, पार्टीज और कैजुअल वेयर के रूप में पहना जा सकता है। सबसे खास बात यह कि क्लिप आॅन टाई काफी पतली होती है। अपने स्लीक लुक के कारण यह सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। इस टाई के बीच में एक मेटल भी लगा होता है। क्लिप टाई को सर्विस क्लर्क, लॉ इनफोर्समेंट और एयरलाइन पायलट पहन सकते हैं। इसके साथ टाई पिन बहुत अच्छी लगती है।
बो टाई
वैसे तो इसे थीम टाई भी कहते हैं, लेकिन आजकल बिना थीम के भी इसे पहना जा सकता है। बो टाई को ईवनिंगपार्टी, कॉर्पोरेट सेक्टर और एनिवर्सरी पार्टी में भी पहनने का चलन है। यह दो तरह की होती है। ब्रॉड बो और शॉर्ट बो। शॉर्ट बो में नेक पतला होता है, जबकि ब्राड में थोड़ा बड़ा। इसके प्रिटेंड कलर्स काफी पसंद किए जा रहे हैं। फैशन गुरु कहते हैं कि आने वाला समय बो टाई का ही होगा।
नॉट्स टाई
यह तड़क-भड़क वाली टाई नहीं होती। सामान्य लोग ही इसे पसंद करते हैं। बहुत ही कॉमन टाई है। इसके अलावा स्कार्ट टाई, फॉर्मल वियर और यूनिफॉर्म टाई भी मार्केट में उपलब्ध है।
ऐसा हो कलर सिलेक्शन
रेड - लाल रंग के टाई को वैसे तो किसी भी शर्ट पर पहन सकते हैं, लेकिन डार्क और व्हाइट ब्ल्यू और ग्रे ड्रेस पर यह ज्यादा अच्छा फबता है। डार्क रेड- यह कलर बिजनेसमैन्स के लिए ज्यादा सूटेबल है। इसे किसी भी अवसर पर पहन सकते हैं। ब्ल्यू- यह टाई के लिए पॉपुलर कलर है। इसे लाइट और डार्क ड्रेस में पहना जा सकता है।
लौट आया गुजरा ज़माना
फैशन की गाड़ी का पहिया अनवरत चलायमान रहता है, इसी वजह से तो बीते हुए कल का फैशन आज लेटेस्ट ट्रेंड में शुमार हो गया है। कल जिस को देखकर लोग ओल्ड फैशन या फिर आउट आॅफ फैशन का तमगा दे देते थे, आज उसे ही बड़े चाव से पहन रहे हैं। हम बात कर रहे हैं हैंडलूम कपड़ों की। चाहे जींस हो या फिर पारंपरिक परिधान सलवार कुर्ता सभी में एक ही बात कॉमन है और वो है हैंडलूम वाले फैब्रिक। प्रिंट से लेकर फैब्रिक सभी में हाथों का काम ही चाहिए, आज की जनरेशन को। सत्तर और अस्सी के दशक में कॉटन छोड़ साटन की शरण में आने वाले फैशन परस्त लोग फिर से कॉटन की पनाह में दिखाई दे रहे हैं। मॉडर्न लुक को एथनिक टच देने के लिए जरी वर्क, गोल्डन या सिल्वर बार्डर का प्रयोग किया जा रहा है।
फैब्रिक इन फैशन
कुर्तियों में कॉटन, जॉर्जेट और शिफॉन के साथ जूट को भी पसंद करने वालों की संख्या कम नहीं है। कॉटन हो या फिर सिल्क दोनों ही रॉयल लुक देने के साथ कंफर्टेबल भी होते हैं। जो लोग कॉटन और सिल्क के मिक्स फैब्रिक पहनना पसंद करते हैं, वो माहेश्वर, चंदेरी को तरजीह दे रही हैं। वहीं सूट में गढ़वाल कॉटन, चंदेरी और कोसा का खुमार युवतियों पर छाया हुआ है। पुराने डिजाइन जैसे अनारकली पैटर्न और चोली कट कुर्तियों की बहार फिर लौट आई है।
प्रिंट भी बेमिसाल
इस समय पारंपरिक प्रिंट जैसे दाबू, बाग, बटिक, बंधेज और कोटा प्रिंट आदि का चलन है। दाबू और बाग दोनों ही ब्लॉक प्रिंट कहे जाते हैं। लकड़ी के ब्लॉक द्वारा प्लेन कपड़े पर डिजाइन बनाई जाती है। राजस्थान और गुजरात के पारंपरिक प्रिंट कहे जाने वाले बंधेज का भी क्रेज युवतियों पर हावी है। तभी तो बंधेज का दुप्पटा प्लेन सूट के साथ या फिर जींस के साथ बंधेज कुर्ती पहनना युवतियां पसंद कर रही हैं। इसके अलावा राजस्थान का कोटा प्रिंट भी युवतियों के मन को खूब मोह रहा है। हल्के रंग पर चटख रंग के फूल और पत्तियों की खूबसूरत डिजाइन तो पहली नजर में ही दिल में घर करती जा रही है। इसके अलावा कुर्तियों की बात करें या फिर सलवार कुर्ते की, तो सब पर जरी की कढ़ाई और गोल्डन के हल्के बॉर्डर आदि लगाकर पारंपरिक लुक देने का प्रयास किया जा रहा है। मॉडर्न के साथ एथनिक लुक न्यू जनरेशन को बहुत भा रहा है।
कौन से कलर हॉट डिमांड में
खिली-खिली धूप में जहां हल्के रंगों के परिधान पसंद किए जा रहे हैं, वहीं थोड़ी फुहारों में चटख रंगों को ज्यादा तरजीह दी जाती है। फिलहाल कत्थई, गहरा हरा रंग ज्यादा चलन में है।
बैलीज का डिफरेंट फैशन
यूं तो फैशन में हर नई चीज लोगों के लिए खास होती है, लेकिन यदि कोई पुरानी चीज नए स्वरूप में वापस आ जाए तो कहना ही क्या। कुछ इसी तरह युवतियों के पैरों को सजाने के लिए बैलीज़ का चलन फिर से चल पड़ा है। युवतियां इन बैलीज़ को किसी भी परिधान के साथ मैच करके पूरे शौक से पहन सकती हैं। बस जरूरत है तो अपने लिए आरामदायक और स्टाइलिश बैलीज को बाजार से खरीदने की।
बैलीज़ में स्टाइल पहले बैलीज़ एक ही डिजाइन में आती थीं, बस उनकी हील्स में अंतर होता था, पर अब विभिन्न प्रकार की बैलीज़ मार्केट में आ चुकी हैं। इनमें विथ जिप, बो डिजाइन, फ्रंट ओपन आदि बहुत पॉपुलर हैं।
पैरों को मिलता है नया लुक बाजार में इन दिनों विभिन्न स्टाइल और रंगों में डिजाइनर बैलीज उपलब्ध हैं, जिन्हें कॉलेज गोइंग युवतियां खासा पसंद कर रही हैं। दरअसल बैलीज पार्टी में पहनने के साथ रोज कॉलेज में पहनने में भी आरामदायक होती हैं। खासतौर से युवतियों को काले रंग की बैलीज पसंद आती हैं। ये बैलीज हर किसी मौके पर चलती हैं। किसी भी रंग की ड्रेस हो, काले रंग की बैलीज हर ड्रेस पर फबती हैं। बैलीज़ की एक खासियत और भी है। वो ये कि यह आपको गर्ली लुक देती हैं और इस लुक का चलन इन दिनों बहुत ज्यादा है।
कहीं भी, कभी भी बैलीज़ को किसी भी अॅकेजन में और कभी भी पहना जा सकता है। वहीं यह जींस, कैप्री, स्कर्ट, मिडी के साथ-साथ सलवार-सूट और साड़ी के साथ भी बहुत उम्दा लगती हैं, इसलिए भी इनकी डिमांड ज्यादा है।
सुंदर लगेंगे हाथ
इस सीजन जो नया ट्रेंड है वह है नेल क्रिएटिविटी का। नेल आर्ट का कॉन्सेप्ट कुछ साल पहले आया था, जो आज भी चलन में है। लेकिन नेल आर्ट पर्मानेंट होता है। वहीं बाजार में नेल आर्ट की हुई आर्टिफिशियल नेल्स भी मौजूद हैं, जिन्हें नेल्स पर स्टिक किया जा सकता है, लेकिन इनमें भी बहुत वैराइटी मिल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए नेल क्रिएटिविटी इस बार खासी पसंद की जाएगी।
बनाना है आसान
नेल क्रिएटिविटी उन लोगों के लिए बहुत ही आसान है, जो कला से जुड़े हुए हैं या कलात्मक चीजें बनाते हैं। इसे बनाने के लिए सिर्फ अच्छी नेल पॉलिश के कुछ वाइब्रेंट और डार्क व लाइट कलर्स का कलेक्शन अपने पास तैयार रखें। साथ ही नेल आर्ट बनाने के लिए बाजार में मिलने वाला निब नेल पेंट भी ले आएं।
ड्रेस के अनरूप डिजाइन
नेल क्रिएटिविटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आप अपनी ड्रेस के अनुरूप डिजाइन बना सकते हैं। मसलन अगर आपने μलोरल प्रिंट की ड्रेस या लहंगा पहना है, तो डार्क कलर का नेल पेंट एक कोट लगाएं। उसके सूख जाने पर व्हाइट या अन्य मैचिंग, किंतु लाइट शेड से फूल बना लें।
मिरर और मोती वर्क भी
अब ड्रेस के अकॉर्डिंग डिजाइन ही नहीं, बल्कि अन्य वर्क भी किए जा सकते हैं। अगर आपकी ड्रेस में मोती या मिरर वर्क है, तो बाजार से छोटे-छोटे मोती और मिरर्स ले आएं। नेल पेंट की कोटिंग लगाते ही मोती या मिरर को डिजाइन के अनुरूप चिपका दें। इससे नेल पेंट के सूखते ही मोती या मिरर भी सेट हो जाएगा।
दें लहरिया डिजाइन
दो से तीन हल्के लेकिन कंट्रास्ट शेड्स के नेल पेंट खोलकर रख लें। यह शेड्स लहरिया ड्रेस से मेल खाते हुए होने चाहिए। अब बारी-बारी से एक-एक शेड को लहरदार स्टाइल में एक के ऊपर एक लगाएं। सूखने पर मिक्स शेड और लहरिया लुक का इफेक्ट नजर आएगा।
परिधान: आपकी पहचान
आप जिस तरह के कपड़े पहनती हैं, वह केवल आपकी पसंद को ही नहीं, बल्कि आपके व्यक्तित्व को भी परिभाषित करते हैं। आपके द्वारा पसंद किया गया कपड़े का रंग, डिजाइन, यहां तक कि कट्स भी यह बताते हैं कि आप वाकई में कैसे हैं? यह आपके स्वभाव, रुचि, आदत और अभिव्यक्ति का भी आईना है। आमतौर पर इसे हम पांच कैटेगरीज में बांट सकते हैं। इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि युवतियों में आमतौर पर पांच तरह की ड्रेस सेंस पाई जाती है। अगर आप आफिस अपनी संपूर्ण और सुरुचिपूर्ण ड्रेस पहनकर जाती हैं तो इसका मतलब यह है कि आप आत्मविश्वास से लबालब हैं। आपका ऐसा ड्रेस सेंस यह भी बताता है कि आपके लिए ड्रेस बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, मगर ड्रेसअप होने का सलीका मायने रखता है।
झोला क्लब
अपनी ड्रेस के चलते एक खास पहचान बनाने वाली युवतियों का एक और प्रकार होता है, जिन्हें हम झोला क्लब में रख सकते हैं। यह अपने आप को समाजसेवी की श्रेणी में रखती हैं और अमूमन खादी या सूती पहने दिख जाती हैं। हमेशा समाज को सुधारने की बातें करती रहती हैं। ये अपनी ड्रेस को लेकर अक्सर दोहराव का शिकार रहती हैं। सादगी के रूप में भी यह एक तरह से ट्रेंड को अपनाती हैं।
द क्लासी टेस्ट
संपूर्ण और सुरुचिपूर्ण ड्रेस पहनने वाली युवतियों को क्लासिक ड्रेसअप वाले खांचे में रख सकते हैं। ऐसी युवतियां आमतौर पर आॅफिस में औपचारिक कपड़े पहनती हैं मसलन फॉर्मल स्कर्ट और ट्राउजर। मगर यह अच्छी तरह से आयरन किया हुआ होता है। जैकेट में कहीं दाग, धब्बे नहीं होते और रंग-बिरंगा कोई बेढंगा कॉम्बिनेशन भी इनके ड्रेसअप सेंस से मेल नहीं खाता। ऐसी युवतियां अपने बॉडी कॉम्प्लेक्शन को अच्छी तरह से जानती हैं, इसलिए जब यह कोई शानदार साड़ी पहनती हं,ै तो उस साड़ी के साथ उसके एक्सेसरीज का मिलान देखते ही बनता है। इन युवतियों की ड्रेस के साथ ज्वेलरी सेंस भी काबिल-ए- तारीफ होती है।
अटेंशन सीकर्स
दूसरी तरह की वे युवतियां होती हैं, जो आफिस के लिए निकलने के पहले ही दिलो दिमाग में यह ख्वाहिश लेकर निकलती हैं कि दμतर में हर कुलीग की नजरें मुझ पर हों। ड्रेसअप के लिहाज से इनको बोल्ड ड्रेसर कहा जा सकता है। आमतौर पर यह बालाएं शॉर्ट फॉर्मल स्कर्ट, ब्राइट शर्ट या फिटेड पेंट के साथ पहनकर दμतर जाती हैं। इनके टॉप अक्सर कट स्लीव वाले होते हैं। पार्टियों में ऐसी युवतियां सुनहरे रंग की शॉर्ट ड्रेस पर जोर देती हैं। जब कैजुअल ड्रेस में घर से बाहर जाना हो, तो केप्री पहनना पसंद करती हैं।
मिस ट्रेंडी
ऐसी युवतियां आमतौर पर आॅफिस में घुटनों तक का बैलून स्कर्ट साथ में बिलकुल सादे और औपचारिक रंग का ब्लाउज पहनना पसंद करती हैं या फिर वह कुछ भी जो इन्हें इनकी तरह का बनाए। पार्टियों में ऐसी युवतियां अक्सर नेट साड़ी या छोटी शर्ट पहनकर जाना पसंद करती हैं और कैजुअल आउटिंग के समय फेड जींस और ऊपर की पट्टियों वाला टॉप पहनना पसंद करती हैं।
सारे नियम तोड़ दो
यह बालाएं अक्सर दμतर में सूती साड़ी पहनकर जाना पसंद करती हैं या फिर एक लंबी सिल्क की कुर्ती, रनिंग शूज के साथ। इन्फॉर्मल स्कर्ट के साथ फॉर्मल शर्ट पहनना इनका खास शगल होता है। पार्टियों में ये अक्सर घुटनों तक लंबी ड्रेस को जींस के साथ अक्सर पहन लेती हैं। ये सोचती हैं कि इन्हें नियम-कायदे मानने की क्या जरूरत है?
झोला क्लब
अपनी ड्रेस के चलते एक खास पहचान बनाने वाली युवतियों का एक और प्रकार होता है, जिन्हें हम झोला क्लब में रख सकते हैं। यह अपने आप को समाजसेवी की श्रेणी में रखती हैं और अमूमन खादी या सूती पहने दिख जाती हैं। हमेशा समाज को सुधारने की बातें करती रहती हैं। ये अपनी ड्रेस को लेकर अक्सर दोहराव का शिकार रहती हैं। सादगी के रूप में भी यह एक तरह से ट्रेंड को अपनाती हैं।
द क्लासी टेस्ट
संपूर्ण और सुरुचिपूर्ण ड्रेस पहनने वाली युवतियों को क्लासिक ड्रेसअप वाले खांचे में रख सकते हैं। ऐसी युवतियां आमतौर पर आॅफिस में औपचारिक कपड़े पहनती हैं मसलन फॉर्मल स्कर्ट और ट्राउजर। मगर यह अच्छी तरह से आयरन किया हुआ होता है। जैकेट में कहीं दाग, धब्बे नहीं होते और रंग-बिरंगा कोई बेढंगा कॉम्बिनेशन भी इनके ड्रेसअप सेंस से मेल नहीं खाता। ऐसी युवतियां अपने बॉडी कॉम्प्लेक्शन को अच्छी तरह से जानती हैं, इसलिए जब यह कोई शानदार साड़ी पहनती हं,ै तो उस साड़ी के साथ उसके एक्सेसरीज का मिलान देखते ही बनता है। इन युवतियों की ड्रेस के साथ ज्वेलरी सेंस भी काबिल-ए- तारीफ होती है।
पावर आफ ड्रेसिंग
अंग्रेजी में एक कहावत है ‘ड्रेस बैडली एंड दे रिमेमबर द क्लोथ्स, ड्रेस वेल एंड दे रिमेमबर द परसन’ जिसका मतलब है कि अच्छे पहनावे से इंसान की पहचान बनती है। हम सभी अच्छे पहनावे के बारे में जानते हैं, पर क्या हमें पावर ड्रेसिंग का ज्ञान है? आखिर पावर ड्रेसिंग होता क्या है? आज के दौर में आपका बाहरी रूप आपके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा होता है, लेकिन इस लुक को बनाए रखना आसान भी नहीं है।
जिस तरह के पहनावे से हमारी एक अधिकारिक छवि बनती है और जिस तरह के कपड़ों से पेशेवर छवि की वृद्धि होती है उसे पावर ड्रेसिंग कहते हैं। आज के इस प्रतिस्पर्धा से भरे दौर में पावर ड्रेसिंग का महत्व और भी बढ़ गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक पावर ड्रेसिंग का कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है।
मिसाल के तौर पर एक डिजाइनर का काम करने वाले का पहनावा एक चित्रकार के पहनावे से अलग होगा। उसी तरह बैंकिंग या फाइनेंस के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति का पहनावा एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में काम करने वाले से अलग हो सकता है। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि एक प्रोफेशन में अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग पहनावे हो सकते हंै। कपड़ों के साथ-साथ व्यक्ति को अपने एक्सेसरीज का चयन भी ध्यान से करना चाहिए। इसके साथ-साथ हेयर स्टाइल, शेविंग एवं खासकर के लड़कियों के लिए मेकअप जरूरी सा हो गया है।
जिस तरह के पहनावे से हमारी एक अधिकारिक छवि बनती है और जिस तरह के कपड़ों से पेशेवर छवि की वृद्धि होती है उसे पावर ड्रेसिंग कहते हैं। आज के इस प्रतिस्पर्धा से भरे दौर में पावर ड्रेसिंग का महत्व और भी बढ़ गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक पावर ड्रेसिंग का कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है।
मिसाल के तौर पर एक डिजाइनर का काम करने वाले का पहनावा एक चित्रकार के पहनावे से अलग होगा। उसी तरह बैंकिंग या फाइनेंस के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति का पहनावा एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में काम करने वाले से अलग हो सकता है। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि एक प्रोफेशन में अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग पहनावे हो सकते हंै। कपड़ों के साथ-साथ व्यक्ति को अपने एक्सेसरीज का चयन भी ध्यान से करना चाहिए। इसके साथ-साथ हेयर स्टाइल, शेविंग एवं खासकर के लड़कियों के लिए मेकअप जरूरी सा हो गया है।
भावनाओं को समझेगा पेसमेकर
अब एक ऐसा एमआरआईप्रूफ पेसमेकर, जो आपकी मानसिक स्थिति को भांप कर स्वयं आपके दिल की जरूरतों को पूरा कर देगा। हृदय में इस पेसमेकर को लगवाने के बाद रोगी को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
मैक्स हैल्थ केयर के हृदय रोग विभाग के प्रमुख तथा इलेक्ट्रोफिजियोलाजी सर्विसेज के निदेशक प्रोफेसर मोहन नायक ने बुधवार को यहां जर्मनी की कंपनी बायोट्रॉनिक द्वारा तैयार विश्व का सबसे अत्याधुनिक ईविया प्रो एमआरआई पेसमेकर प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह पेसमेकर लगवाने के बाद रोगी को एमआरआई में कोई दिक्कत नहीं होगी।
मैक्स हैल्थ केयर के हृदय रोग विभाग के प्रमुख तथा इलेक्ट्रोफिजियोलाजी सर्विसेज के निदेशक प्रोफेसर मोहन नायक ने बुधवार को यहां जर्मनी की कंपनी बायोट्रॉनिक द्वारा तैयार विश्व का सबसे अत्याधुनिक ईविया प्रो एमआरआई पेसमेकर प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह पेसमेकर लगवाने के बाद रोगी को एमआरआई में कोई दिक्कत नहीं होगी।
एंड्रॉयड टैबलेट
ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी बीनाटोन ने भारतीय बाजार में एंट्री की है और टचस्क्रीन एंड्रॉयड टैबलेट लॉन्च की है। आठ इंच स्क्रीन वाली यह टैबलेट एंड्रॉयड 1.6 पर चलती है। इसकी सबसे बड़ी खूबी दाम है जो 9000 रुपए है, इस तरह यह बाजार की फिलहाल सबसे सस्ती टैबलेट बन गई है। वाई फाई से लैस इस डिवाइस में 128 एमबी की रैम और दो जीबी की इनबिल्ट स्टोरेज है। यह एआरएम 11 - 667 हर्ट्ज प्रोसेसर से चलती है। बीनाटोन का कहना है कि इसके बाद वह 3जी मोबाइल हैंडसेट के बाजार में उतरने का इरादा रखती है। फीचर के मामले में इस टैबलेट में आपको एंड्रॉयड का वर्जन, रैम या प्रोसेसर औरों से थोड़ा कम लग सकता है, लेकिन एंट्री लेवल के हिसाब से टैबलेट एक्सपीरियंस के लिए यह काफी है।
बीनाटोन भारत के कार्यकारी उपाध्यक्ष शनि मूर्ति के अनुसार, "Binatone की प्रौद्योगिकी, उत्पाद विकास और विपणन के क्षेत्र में अगले 12 महीनों में 50 करोड़ रुपए निवेश करने की योजना है. हमारे उत्पाद विशेष रूप से भारत के लिये बनाये गये हैं जो आडियो बूस्ट एवं पावर सेवर विशिष्ट भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुये डिजायन किये गये हैं.
बीनाटोन भारत के कार्यकारी उपाध्यक्ष शनि मूर्ति के अनुसार, "Binatone की प्रौद्योगिकी, उत्पाद विकास और विपणन के क्षेत्र में अगले 12 महीनों में 50 करोड़ रुपए निवेश करने की योजना है. हमारे उत्पाद विशेष रूप से भारत के लिये बनाये गये हैं जो आडियो बूस्ट एवं पावर सेवर विशिष्ट भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुये डिजायन किये गये हैं.
नोकिया एन-8
सिंबियन 3 पर चलने वाला नोकिया का पहला फोन अब दस्तक दे रहा है। ग्लोबल लॉन्चिंग से पहले नोकिया ने एन-8 की प्री बुकिंग शुरू कर दी है। 2000 रुपए के डिपॉजिट के साथ इसकी प्री बुकिंग की जा सकती है। नोकिया ने अभी इसके दाम का खुलासा नहीं किया है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में एन-8 का दाम 26250 है।
सिंबियन आपरेटिंग सिस्टम के सबसे नए वर्जन पर चलने वाले इस फोन में एन-8 में 12 मेगापिक्सल कैमरे के अलावा, एचडी विडियो रिकॉर्डिंग और एडिटिंग, डॉल्बी डिजिटल सराउंड साउंड सिस्टम और सोशल नेटवर्किंग फीचर दिए गए हैं।
Specifications
सिंबियन आपरेटिंग सिस्टम के सबसे नए वर्जन पर चलने वाले इस फोन में एन-8 में 12 मेगापिक्सल कैमरे के अलावा, एचडी विडियो रिकॉर्डिंग और एडिटिंग, डॉल्बी डिजिटल सराउंड साउंड सिस्टम और सोशल नेटवर्किंग फीचर दिए गए हैं।
Specifications
eneral | 2G Network | GSM 850 / 900 / 1800 / 1900 |
---|---|---|
3G Network | HSDPA 850 / 900 / 1700 / 1900 / 2100 | |
Announced | 2010, April | |
Status | Available. Released 2010, October |
Size | Dimensions | 113.5 x 59.1 x 12.9 mm, 86 cc |
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Weight | 135 g |
Display | Type | AMOLED capacitive touchscreen, 16M colors |
---|---|---|
Size | 360 x 640 pixels, 3.5 inches | |
- Multi-touch input method - Proximity sensor for auto turn-off - Accelerometer sensor for UI auto-rotate - Scratch resistant Gorilla glass display |
Sound | Alert types | Vibration; MP3, WAV ringtones |
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Speakerphone | Yes | |
- 3.5 mm audio jack |
Memory | Phonebook | Practically unlimited entries and fields, Photocall |
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Call records | Detailed, max 30 days | |
Internal | 16 GB storage, 256MB RAM, 512 MB ROM | |
Card slot | microSD, up to 32GB, buy memory |
Data | GPRS | Class 33 |
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EDGE | Class 33 | |
3G | HSDPA, 10.2 Mbps; HSUPA, 2.0 Mbps | |
WLAN | Wi-Fi 802.11 b/g/n, UPnP technology | |
Bluetooth | Yes, v3.0 with A2DP | |
Infrared port | No | |
USB | Yes, microUSB v2.0, USB On-the-go support |
Camera | Primary | 12 MP, 4000x3000 pixels, Carl Zeiss optics, autofocus, Xenon flash |
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Features | 1/1.83'' sensor size, ND filter, geo-tagging, face detection | |
Video | Yes, 720p@25fps | |
Secondary | VGA videocall camera |
Features | OS | Symbian^3 OS |
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CPU | ARM 11 680 MHz processor, 3D Graphics HW accelerator | |
Messaging | SMS (threaded view), MMS, Email, Push Email, IM | |
Browser | WAP 2.0/xHTML, HTML, RSS feeds | |
Radio | Stereo FM radio with RDS; FM transmitter | |
Games | Yes + downloadable | |
Colors | Dark Grey, Silver White, Green, Blue, Orange | |
GPS | Yes, with A-GPS support; Ovi Maps 3.0 | |
Java | Yes, MIDP 2.1 | |
- TV-out (720p video) via HDMI with Dolby Digital Plus sound - Anodized aluminum casing - Active noise cancellation with a dedicated mic - Digital compass - MP3/WMA/WAV/eAAC+ player - DivX/XviD/MP4/H.264/H.263/WMV player - Voice command/dial - Document viewer (Word, Excel, PowerPoint, PDF) - Video/photo editor - Flash Lite v4.0 - T9 |
Battery | Standard battery, Li-Ion 1200 mAh (BL-4D) | |
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Stand-by | Up to 390 h (2G) / Up to 400 h (3G) | |
Talk time | Up to 12 h 30 min (2G) / Up to 5 h 30 min (3G) | |
Music play | Up to 50 h |
Misc | SAR US | 1.09 W/kg (head) 0.85 W/kg (body) |
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SAR EU | 1.02 W/kg (head) |
पनीर मखनी
आवश्यक सामग्री
250 ग्राम पनीर- लंबे या चौकोर टुकड़े कटे हुए
5 बडे (500 ग्राम) टमाटर 4 टुकड़ों में कटे हुए
2 बड़े चम्मच देसी घी या मक्खन और दो बड़े चम्मच तेल
4-5 कली लहसुन
1 टुकड़ा अदरक- पेस्ट बना हुआ
1 बड़ा चम्मच कसूरी मैथी
1 छोटा चम्मच टमेटो केचप
12 चम्मच जीरा
2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
12 छोटा चम्मच गर्म मसाला
12 कप पानी
12 कप क्रीम
3 बड़े चम्मच काजू का पेस्ट
आधा कप पानी में टमाटरों को उबाल लें। इसके बाद धीमी आंच पर 4-5 मिनिट तब पकाएं जब तक वे नरम न हो जाएं। अब टमाटरों को आंच से उतारें और ठंडा कर लें। अब टमाटरों को पीस कर प्यूरी बना लें।
कढ़ाई में तेल, घी या फिर मक्खन को गर्म कर लें। गैस मंदी कर उसमें जीरा डाल दें। जब जीरा हल्का सा सुनहरा हो जाए तो उसमें अदरक और लहसुन का पेस्ट डाल दें। जब पेस्ट का रंग हल्का सा ब्राउन हो जाए तो उसमें टमाटर का प्यूरी डालकर सूखा होने तक भूनें। इसके बाद अब ग्रेवी में कसूरी मैथी और टमेटो कैचप डाल दें। इसके बाद सभी मसालों धनिया पाउडर, गर्म मसाला, नमक और लाल मिर्च पाउडर को एक साथ डाल दें। कुछ सेकेंड तक अच्छी तरह से मसालों को मिलाएं और जब तक पकाएं जब तक उसमें से तेल ऊपर न तैरने लग जाए। इसके बाद उसमें काजू का पेस्ट डाल दें और 2 मिनिट तक अच्छे से मिलाएं।
अब पानी डालकर अच्छे से उबालें और 4-5 मिनिट तक धीमी आंच पर पकाएं। अब ग्रेवी में पनीर के टुकड़ों को डाल दें और गैस पर से उतार लें। ठंडा होने के लिए 15 मिनिट के लिए अलग रख दें। ठंडे पनीर के मसाले में इतना दूध डालें कि गाढ़ी करी मिले। दूध को तब ही डालें जब मसाला ठंडा हो जाए। क्योंकि दूध फटेगा नहीं। दूध डालने के बाद करी को धीमी आंच पर गर्म करें। धीमी आंच पर लगातार हिलाते हुए पकाएं जब तक उबाल न आ जाए। । अब पनीर मखनी में क्रीम डालें और धीमी आंच पर लगातार चलाते रहें। कुछ देर बाद गैस पर से उतार लें और गर्मागर्म पनीर पर क्रीम डालें और धनिया पत्ती से सजाएं और नान, रोटी या चावल से साथ परोसें और खाएं।
Sunday, October 17, 2010
कद्दू नहीं, दिल का रामबाण
भोजन की प्लेट में कद्दू को देखकर झुंझलाना अब बंद कर दीजिए, क्योंकि इस उपेक्षित सब्जी में पाए जाने वाले कैरोटिनॉयड न केवल दिल के दौरे का खतरा घटाते हैं, बल्कि आपकी काया को छरहरा बनाए रखने में भी मदद करते हैं।
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि कद्दू दिल के दौरे का खतरा कम करने वाले कैरोटिनॉयडस और सेहत के लिए उपयोगी तत्वों का शानदार स्रोत है। आहार विशेषज्ञ एंडी सरदाना कहती हैं कि कद्दू में अल्फा कैरोटिन और बीटा कैरोटिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये कैरोटिन विटामिन ए में परिवर्तित हो जाते हैं और विटामिन ए न केवल हृदय को दुरूस्त रखता है बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट वजन भी घटा देते हैं।
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि कद्दू दिल के दौरे का खतरा कम करने वाले कैरोटिनॉयडस और सेहत के लिए उपयोगी तत्वों का शानदार स्रोत है। आहार विशेषज्ञ एंडी सरदाना कहती हैं कि कद्दू में अल्फा कैरोटिन और बीटा कैरोटिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये कैरोटिन विटामिन ए में परिवर्तित हो जाते हैं और विटामिन ए न केवल हृदय को दुरूस्त रखता है बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट वजन भी घटा देते हैं।
Tuesday, October 12, 2010
जरूरी है आयरन
शरीर के विविध तत्वों में से एक तत्व आयरन हमारे शरीर के लिए सबसे जरूरी तत्व है। यह उस तरह के खनिज पदार्थों में से है, जिसकी नियमित पूर्ति बहुत जरूरी होती है, शरीर के लिए, जो हमें अपने दैनिक भोजन से ही प्राप्त होती है। आयरन और इसके अन्य सहयोगी तत्वों जैसे सेलेनियम, कॉपर, जिंक, कोबाल्ट और क्रोमियम की कमी के चलते ही शरीर में कई बीमारियां होने लगती हैं और शरीर का आधार कमजोर होने लगता है।
आदर्श मात्रा
सामान्य तौर पर एक युवा व्यक्ति के लिए 4.5 ग्राम आयरन की मात्रा आदर्श मानी जाती है, लेकिन आयरन की मात्रा किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी उम्र, वजन और शारीरिक जरूरतों पर निर्भर करती है, क्योंकि आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिना हीमोग्लोबिन के लाल रक्त कोशिकाएं रक्त में आक्सीजन और अन्य प्रकार के पोषक तत्वों के आदान-प्रदान करने में असहाय होती है।
सामान्य तौर पर एक युवा व्यक्ति के लिए 4.5 ग्राम आयरन की मात्रा आदर्श मानी जाती है, लेकिन आयरन की मात्रा किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी उम्र, वजन और शारीरिक जरूरतों पर निर्भर करती है, क्योंकि आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिना हीमोग्लोबिन के लाल रक्त कोशिकाएं रक्त में आक्सीजन और अन्य प्रकार के पोषक तत्वों के आदान-प्रदान करने में असहाय होती है।
यहां भी मददगार
इतना ही नहीं आक्सीडेशन की कमी से होने वाले बुरे प्रभावों को कम करने में भी आयरन बहुत मदद करता है। हीमोग्लोबिन की मदद से ही शरीर में 70 प्रतिशत आयरन की भरपाई होती है। इसके अलावा मांसपेशियों के ऊतकों के निर्माण में यह मायोग्लोबिन के रूप में यह तीन फीसदी तक जरूरी होता है। शरीर के विभिन्न भागों में जैसे- लिवर, किडनी और मेरुदंड में यह हीमोसाइडरिन और साइडरोफिलिन के रूप में संग्रहित होता है। आयरन विशेष तौर पर अंडे के पीले भाग में और मांस में पाया जाता है।
इतना ही नहीं आक्सीडेशन की कमी से होने वाले बुरे प्रभावों को कम करने में भी आयरन बहुत मदद करता है। हीमोग्लोबिन की मदद से ही शरीर में 70 प्रतिशत आयरन की भरपाई होती है। इसके अलावा मांसपेशियों के ऊतकों के निर्माण में यह मायोग्लोबिन के रूप में यह तीन फीसदी तक जरूरी होता है। शरीर के विभिन्न भागों में जैसे- लिवर, किडनी और मेरुदंड में यह हीमोसाइडरिन और साइडरोफिलिन के रूप में संग्रहित होता है। आयरन विशेष तौर पर अंडे के पीले भाग में और मांस में पाया जाता है।
एक्सपर्ट्स व्यू
जरूरी नहीं है कि सिर्फ मांसाहार से ही इसे पाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार जिन लोगों के शरीर में आयरन की कमी होती है, उन्हें अपने भोजन में विभिन्न प्रकार की दालों और हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा गुड़, किशमिश और कुछ मसालें जैसे राई, जीरा और मैथी दाने में भी प्रचुर मात्रा में आयरन शामिल होता है।
जरूरी नहीं है कि सिर्फ मांसाहार से ही इसे पाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार जिन लोगों के शरीर में आयरन की कमी होती है, उन्हें अपने भोजन में विभिन्न प्रकार की दालों और हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा गुड़, किशमिश और कुछ मसालें जैसे राई, जीरा और मैथी दाने में भी प्रचुर मात्रा में आयरन शामिल होता है।
Saturday, October 9, 2010
मामूली नहीं होता पेट दर्द
पेट से ही हमारे पूरे शरीर की सेहत का संबंध है और यहां किसी प्रकार की गड़बड़ी किसी बड़ी समस्या की ओर संकेत हो सकती है, जिसे हल्के से लिया जाना घातक हो सकता है। इसे वैज्ञानिक भाषा मेंएबडॉमिनल पेन या स्टोमक एक, बैली एक के नाम से भी जाना जाता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार एबडॉमिनल केविटी में बहुत सारे अंग होते हैं और इन अंगों में से किसी में भी होने वाली पीड़ा पेट दर्द के रूप में उभर कर सामने आती है। इस तरह का दर्द किसी बीमारी और किसी प्रकार के संक्रमण का कारण भी माना जा सकता है।
कई विविध प्रकार की बीमारियों की अवस्था में एबडॉमिनल पेन या पेट दर्द की समस्या उभरती है। लक्षण ऐसे भी: गालब्लेडर में एबडॉमिनलया जलन होना, एंपेडिक्स के कारण दर्द होता है। गैस्ट्रिक समस्याएं : गैस, कब्ज, फूड पॉइजनिंग, फूड एलर्जी, गेस्ट्रोएंटराइटिस। अन्य: हार्ट बर्न या एसिड रिफ्लिक्स हार्निया, किडनी में पथरी, गाल स्टोन, महिलाओं में मासिक चक्र के कारण, ओवेरियन सिस्ट या कैंसर होने पर, निमोनिया, पेट में अल्सर होने अथवा मूत्र मार्ग में किसी प्रकार के संक्रमण की अवस्था में पेट दर्द कीशिकायत हो सकती है। पांच घंटे या इससे भी अधिक समय तक असहनीय दर्द रहे। उलटी, कब्ज, खाना खाने के बाद पेट दर्द होना। भोजन निगले में दर्द होना। वजन का घटना। मूत्र त्याग करने के दौरान होने वाले दर्द में चिकित्सक से तुरंत मिलें। यदि यह दर्द छाती और कंधों तक फैल जाए और साथ में बुखार भी आ रहा हो और भूख की कमी हो, तो इसे गंभीर मानें।
इसके तहत लेबोरेटरी टेस्ट में ब्लड काउंट, पेंक्रियाज व लिवर एंजाइम्स टेस्ट और यूरिन टेस्ट शामिल होता है। सफेद रक्त कणिकाओं की बढ़ी हुई अवस्था में किसी प्रकार के संक्रमण आदि की आशंका होती है। लाइपेज और एमाइलेस नामक एंजाइम्स का स्तर पेंक्रियाज में बढ़ जात कमी होने पर इंटरनल ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है और रेडियोलॉजी करवाई जाती है। साथ ही अल्ट्रासाउंड की मदद भी ली जाती है, जिससे किसी संक्रमण, स्टोन, एपेंडिक्स, आंतों के किसी अवरोधीम अपेणीक्स आदि के बारे में भी पता चलता है। यही नहीं सीटी स्केन की मदद से भी पेट दर्द से सबंधित रोगों की सही स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है। ट्यूमर आदि होने की स्थिति में एमआरआई की सलाह भी दी जाती है। बच्चों के मामले में लापरवाही और भी महंगी पड़ सकती है।
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