Sunday, March 27, 2011

कैफेन इनटेक पर कंट्रोल करें,

कैफेन इनटेक पर कंट्रोल करें, नये रिसर्चों के मुताबिक
हर ड्रिंक से हम कैफेन इनटेक करते हैं- रिपोर्ट कहती है कि हमें यह जानना चाहिये कि हम हर ड्रिंक के साथ दिन भर में कितना कैफेन इनटेक करते हैं,और कितना अमाउंट इनटेक करना चाहिये, जो हमारे लिये हेल्दी होगा।
सुबह-सुबह चाय पीकर हम अपने में चुस्ती फुर्ती मेहसूस करते हैं यदि नहीं पिया तो सारा दिन आलस,मूड खराब,सरदर्द वगैरह वगैरह——
असल में इसका सारा श्रेय कैफेन को जाता है जो उस ड्रिंक में मौजूद होता है.अब इसका मतलब यह नहीं कि आप चाय ज्यादा पयें या फिर पीना ही छोड़ दें,सिर्फ अपने कैफेन इनटेक पर कंट्रोल रखें यानि सुबह सुबह कई बार चाय न लें बल्कि इस ड्रिंक के टेस्ट का आनंद उठायें न कि इसके आदि हो जाऐ.
इसके लिये बेहतर ऑप्शन क्या है ?
सबसे पहले समझें कि बडों के लिये कैफेन 300.मि.ग्राम,की मात्रा से भी कम की जरूरत है जिससे आप सेफ हैं.यदि आप इससे ज्यादा इनटेक करते हैं तो समझ लीजिये कि दिनभर में जितनी भी ड्रिंक्स लेते हैं उसकी टोटल कितना हो जाता है जैसे चाय,कॉफी,कोल्ड़ड्रिंक,एनर्जी ड्रिंक या फिर चॉकलेट इन सब के द्वारा हमारे शरीर में जाने वाली कैफेन की मात्रा कितनी बढ जाती है और यही  बढी हुई मात्रा हमारे लिये नुकसान दायक हो सकती है जैसा कि हमने उपर बताया है।अपने कैफेन इनटेक पर कंट्रोल करें।

जितनी बार चाहें आप चाय पियें यह ठीक नहीं, कारण शरीर में कैफेन की मात्रा ज्यादा हो जाने पर—-

कैफेन के फायदे तथा नुकसान दोनों ही हैं। अब यह आप पर डिपेंड करता है कि आप लिमिटेड मात्रा में लेकर इससे फायदा उठाते हैं या ज्यादा मात्रा में लेकर नुकसान उठाए
कैफीन अधिक मात्रा में इनटेक करने पर होने वाले नुकसान—
  • गैस्ट्रिक, ऐसीडिटी प्रोब्लम का सामना करना प़ड़ सकता है
  • आपकी नींद में खलल पड़ सकती है(नींद न आना)
  • ऐजिंग प्रोसेस को बढाने में इसका पूरा हाथ है(कम उम्र में ज्यादा लगना)
  • हमारी बॉडी के विटामिन ई को एब्जार्ब करने की कैपेसिटी पर भी कैफेन का नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है इससे धीरे धीरे हमारी स्किन का कलर भी डार्क होने लगता है।
  • कॉफी का सेवन गर्भावस्था में कम ही करना चाहिये। परंतु एक आधा कप कॉफी ले सकती  है।
  • एक कप कॉफी का असर 6से8 घंटे तक रहता है इस कारण दिन भर में दो कप कॉफी तो आप पी ही सकते हैं परंतु फायदे के चक्कर में इससे अधिक नहीं।
  • इस्तेमाल की गई कॉफी को पौधों में डालें इससे उनमें कीडे नहीं लगेंगें।
  • चाय हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गई है, मगर फिर भी हम इसे कभी-कभी खास बनाते हैं। यही चाय जब हर्बल टी का रूप ले लेती है तो वह हमारी सेहत के लिये अच्छी साबित होती है।
  • वजन घटाने में मदद करती है अगर यही कॉफी की मात्रा बढा दी जाये तो ये हमारी नींद को हराम कर देगी।पेट में गड़बडी़ या फिर बेचैनी का कारण  भी बन सकती है।
इसके लिये बेहतर ऑप्शन क्या है ?
1.सबसे पहले समझें कि बडों के लिये कैफेन 300.मि.ग्राम,की मात्रा से भी कम की जरूरत है जिससे आप सेफ हैं.यदि आप इससे ज्यादा इनटेक करते हैं तो समझ लीजिये कि दिनभर में जितनी भी ड्रिंक्स लेते हैं उसकी टोटल कितना हो जाता है जैसे चाय,कॉफी,कोल्ड़ड्रिंक,एनर्जीड्रिंक या फिर चॉकलेट इन सब के द्वारा हमारे शरीर में जाने वाली कैफेन की मात्रा कितनी बढ जाती है और यही  बढी हुई मात्रा हमारे लिये नुकसान दायक हो सकती है जैसा कि हमने उपर बताया है।अपने कैफेन इनटेक पर कंट्रोल करें।
धीरे धीरे हेल्दी टी की ओर रूख करें जैसे ग्रीन टी, हर्बल टी, जिंजर टी, तुलसी टी, कारण यह बढिया एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करती है,हमारी बॉडी के मेटबॉलिक रेट को बढाती है।
हरी चाय -पीकर आप अपने पर एक तरह का उपकार करेंगें।सूर्यकी अल्ट्रावायलेट किरणें तथा पर्यावरण में मौजूद कैमिकल त्वचा की कोशिकाओं की संरचना को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं जिससे कम  उम्र में भी तथा असमय झुर्रियों की वजह से बुढापे की झलक दिखाता है जिसे चाय में मौजूद एंटीओक्सीडेंट सूर्यकी अल्ट्रावायलेट किरणों के कुप्रभाव को कम करती है त्वचा को जवान रखने में मदद करती है ।टीबैग या फिर बिना दूध की चाय पियें ।गरम पानी तीन चार मिनट के लिये हरी चाय या टी बैग डालकर छोड़ देंफिर
क़ॉफी हो या चाय बात इनमें होने वाली कैफेन की है
उचित मात्रा में लिये जाने वाले कैफेन के फायदे भी हैं
  • कॉफी में पाये जानेवाले मैग्नीशम हमारे मेटाबॉलिज्म ,  हड्डियों   का विकास तथा मांसपेशियों में होनेवाले संकुचन व प्रसरण में अहम भूमिका निभाते  है।
  • कॉफी में जो कैफीन होता  है वो वास्तव में याददाश्त बढ़ाती है, स्मृति से जुड़ी तंत्रिका कोशिकाओं के भागों को बढ़ाकर कैफीन तंत्रिका तंत्र में कैल्शियम स्तर में वृद्धि करती है, जो भूली बिसरी बातों को याद दिलाने में मदद करती है।
  • कॉफी कार्यक्षमता(वर्क स्पीड़) को बढ़ाने में मदद करती है।
  • वैज्ञानिक एक अरसे से कॉफी पर अध्ययन करते आ रहे है उनका मत है कि कॉफी के कई फायदे हैं।कॉफी दमे के मरीजों के लिये फायदे मंद है। ये दमे के तीव्र प्रभाव को कम करती है।
  • यदि आप किसी काम में व्यस्त हैं, तो दो कप कॉफी आपकी एकाग्रता को बनाये रखती है।
  • यदि भोजन के बाद कॉफी लेते हैं, तो आपका आलस और नींद दूर भगाती है। आपके मूड को भी अच्छा बना देती है।
  • रात की शिफ्ट  में काम करने वालों के लिये कॉफी बूस्टर का काम करती है। रात की शिफ्ट में कार्य करने वालों की कार्य क्षमता को बढ़ाती है।
हैल्दी चाय

चाय  कई तरह से गुणकारी बनाई जा सकता है..
  • हर्बल टी- चाय में अदरक, इलायची, लौंग काली मिर्च जैसी चीजें डाल दी जाय तो चाय के गुण सौ गुणा बढ़ जाते हैं।
  • अश्वगंधा टी- कहते हैं अगर कोई चाय में अश्वगंधा डालकर चाय इस्तेमाल करें तो आपमें हार्स पावर जैसी शक्ति आ जाती है। शारीरिक, मानसिक क्षमता बढ़ती है। तनाव से मुक्ति मिलती है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। ब्रेन ट्यूमर में फायदेमंद है।
  • मुलेठी टी- चाय बनाते समय अदरक इलायची का प्रयोग तो आप करते ही हैं उसी तरह मुलेठी पीसकर उसे चाय के साथ उबालें सर्दियों में ये बहुत फायदेमंद है आवाज में निखार आता है। गले की खराश ठीक होती है। अल्सर व लिवर जैसी समस्याओं में लाभप्रद है।
  • दिन में दो कप चाय ओवेरियन कैंसर से बचाती है।
  • तीन चार कप हमें स्किन कैंसर से बचाती है।
  • आर्थराटिस रोगी के लिये ग्रीन टी फायदेमंद है।
  • चाय में पाये जाने वाले पपॉलीफिनॉल्स खून में कॉलेस्ट्राल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
  • जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज नुकसान करती है।
  • हरी चाय पीकर आप अपने पर एक तरह का उपकार करेंगें।सूर्यकी अल्ट्रावायलेट किरणें तथा पर्यावरण में मौजूद कैमिकल त्वचा की कोशिकाओं की संरचना को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं जिससे कम  उम्र में भी तथा असमय झुर्रियों की वजह से बुढापे की झलक दिखाता है जिसे चाय में मौजूद एंटीओक्सीडेंट सूर्यकी अल्ट्रावायलेट किरणों के कुप्रभाव को कम करती है त्वचा को जवान रखने में मदद करती है ।टीबैग या फिर बिना दूध की चाय पियें ।गरम पानी तीन चार मिनट के लिये हरी चाय या टी बैग डालकर छोड़ देंफिर
  • तुलसी चाय सिर्फ स्वाद के लिए, मूड बनाने के लिए पीने वाली चाय जैसा स्वाद और सुगन्ध देने वाली नहीं होती।
  • किसी भी प्रकार की हानि किए बिना स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली, दिमागी शक्ति बढ़ाने वाली, रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली यह ‘तुलसी की चाय’ अत्यन्त लाभ करने वाली है।जरा सा दूध डालकर पियें इससे त्वचा जवान बनी रहेगी
  • तुलसी  की चाय बनाकर पीएं आपके बदन में ताजगी की लहरें दौड़ने लगेंगी। घर में अगर चाय की पत्ती की जगह तुलसी दल (पत्ती डंडी बीज)सुखाकर रख लें तो कफ, सर्दी, जुकाम, थकान और बुखार या सिर-दर्द पास भी नहीं फटकेंगे
  • प्रदूषण के साथ ही दिनचर्या व खानपान का अव्यवस्थित होना मुख्य रूप से फेफड़ों से संबंधित रोगों के कारण है। बिना किसी पूर्व योजना के बने फ्लैट्स और मकानों में खुली हवा के न होने से भी फेफड़े रोगग्रस्त होते हैं
  • यदि जुकाम के साथ बुखार भी हो तो चाय के अलावा तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर दिन में चार बार सेवन करें। जुकाम के कारण होने वाला ज्वर शान्त हो जाएगा
  • दालचीनीं, सोंठ और छोटी इलायची, कुल एक ग्राम, तुलसी-दल, छह ग्राम, इन्हें पीसकर चाय बनाएं और पीएं। दिन में ऐसी चाय चार बार भी ले सकते हैं। उस रात पेट भरकर खाना न खाएंअगली सुबह आराम आ जाएगा
नोट-जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज नुकसान करती है ध्यान दें—कम उम्र(टीन एजर्स) को कैफेन फ्री ड्रिंक्स ही लेना चाहिये।

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