Tuesday, February 15, 2011

सेब में खूबियां अनेक

सेब के जूस में एंटी आक्सिडेंट्स होते हैं और यह कैंसर से शरीर की सुरक्षा करते हैं। विभिन्न प्रकार के कैंसर को बढ़ने से रोकते हैं। सेब का जूस दिल की बीमारियों से भी शरीर की सुरक्षा करता है। जूस में पोटैशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन, कॉपर और जिंक पाया जाता है इसलिए यह त्वचा में निखार लाता है। इसके सेवन से शरीर में मौजूद टॉक्सिन निकल जाते हैं। यह किडनी और लीवर की बीमारियों को ठीक रखता है। अगर आपको भूलने की बीमारी है, तो सेब खाएं, याद्दाश्त मजबूत होती है। पाचन क्रिया बैक्टीरिया द्वारा होती है और सेब के जूस के सेवन से शरीर में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। खांसी की समस्या है, तो भी आप सेब का जूस ले सकते हैं। स्वस्थ रहना है तो हर मौसम में मिलने वाले इस फल का आनंद लें।

चना दाल पुलाव

आवश्यक सामग्री : 1 कप बासमती चावल, 2 प्याज का पेस्ट, आधा कप हरा मसाला (पुदीना, हरा धनिया, लहसुन, नारियल और हरी मिर्च का पेस्ट), 2 टी-स्पून घी, डेढ़ कप चने की दाल (उबली हुई), डेढ़ कप पानी, आधा टी स्पून हल्दी पाउडर, नमक स्वादानुसार, 1 टे-स्पून नींबू का रस, टमाटर और प्याज के स्लाइस।
विधि : चावल को 15 मिनट के लिए भीगने दें। चावल को पानी से निकाल लें और एक पैन में घी गर्म करें, इसमें भीगे हुए चावल डालकर 5 मिनट तक फ्राई करें। कुकर में 8 टी-स्पून घी को गर्म करें, जब घी गर्म हो जाए तो उसमें प्याज का पेस्ट डालकर ब्राउन होने तक फ्राई करें। अब इसमें हरा मसाला, उबली हुई चने की दाल, पानी, नमक, हल्दी पाउडर और फ्राइड राइस डालकर कुकर बंद कर 1 सीटी बजने तक पकाएं। जब चावल पक जाए तो प्याज और टमाटर के स्लाइस से सजाकर सर्व करें।

Monday, February 14, 2011

दाल मुगलई

आवश्यक सामग्री : आधा कप अरहर की दाल, आधा कप चने की दाल, 1 कप कटे हुए टमाटर, 2 कप घिया (बड़े टुकड़ों में कटा हुआ) आधा टी स्पून हल्दी पाउडर, 1 टी स्पून जीरा, 1 टी स्पून बारीक कटा हुआ लहसुन, 1 टी स्पून कसा हुआ अदरक, आधा कप प्याज (लंबे टुकड़ों मे कटी हुई), 2 टी स्पून तेल, नमक स्वादानुसार। सजाने के लिए 2 टी स्पून हरा धनिया।
विधि : दाल को धोकर आधे घंटे के लिए भिगो दें। दाल को कुकर में डालकर उसमें टमाटर, घिया, हल्दी, नमक और 3 कप पानी डालकर पकाएं। अब एक पैन में घी गरम करें जब घी गरम हो जाए तो उसमें जीरा डाल दें। जब जीरा चटकने लगे तो उसमें लहसुन, हरी मिर्च, अदरक और प्याज डालकर फ्राई करें। दाल में डालकर हरे धनिए से सजाकर चावल और रोटी के साथ सर्व करें

गुणकारी गाजर

गाजर के रस का एक गिलास पूर्ण भोजन है। इसके सेवन से रक्त में वृद्धि होती है। मधुमेह आदि को छोड़कर गाजर प्राय: हरेक रोग में सेवन की जा सकती है। गाजर के रस में विटामिन ‘ए’,बी’, ‘सी’, ‘डी’,ई’,‘जी’ , और ‘के’ मिलते हैं। यह पीलिया की प्राकृतिक औषधि है। इसका सेवन ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) और पेट के कैंसर में भी लाभदायक है। गाजर में बिटा-केरोटिन नामक औषधीय तत्व होता है, जो कैंसर पर नियंत्रण करने में उपयोगी है। आग से त्वचा जल गई हो तो कच्ची गाजर को पीसकर लगाने से तुरंत लाभ होता है और जले हुए स्थान पर ठंडक पड़ जाती है। दिमाग को मजबूत बनाने के लिए गाजर का मुरब्बा प्रतिदिन सुबह लें। निम्न रक्तचाप के रोगियों को गाजर के रस में शहद मिलाकर लेना चाहिए। रक्तचाप सामान्य होने लगेगा। गाजर का रस, टमाटर का रस, संतरे का रस और चुकंदर का रस लगभग पच्चीस ग्राम की मात्रा में रोजाना दो माह तक लेने से चेहरे के मुंहासे, दाग, झाइयां आदि मिट जाते हैं।

भरवां आलू

आवश्यक सामग्री : 20 आलू (मध्यम आकार), तलने के लिए तेल, 100 ग्राम पनीर, 4-5 हरी मिर्च, 10-15 काजू, 10 किशमिश, अदरक का 1 इंच टुकड़ा , आधा टी स्पून अमचूर पाउडर, 1 टी स्पून साबुत गरम मसाला, 1 टी स्पून सौंफ,1 टी स्पून जीरा, 1 चुटकी हींग, 2 प्याज, आधा टी स्पून हल्दी पाउडर, 2 कप टॉमेटो प्यूरी, 50 ग्राम हरा धनिया, 2 टी स्पून ताजी क्रीम, नमक स्वादानुसार।
विधि : आलू को छीलकर बीच में से खोखला कर लें। कड़ाही में तेल गरम करें और सारे आलू गोल्डन ब्राउन तलकर सोख्ता कागज पर निकाल लें, जिससे अतिरिक्त तेल निकल जाए। एक बर्तन में पनीर, हरी मिर्च, काजू, किशमिश, नमक, अदरक और अमचूर पाउडर डालकर अच्छी तरह मिलाकर भरावन का मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण को तले हुए आलू के अंदर भर दें। ग्रेवी के लिए एक कड़ाही में तेल गरम करें, उसमें सौंफ और जीरा डालकर चटकने दें। इसमें हींग और साबुत गरम मसाला डाल दें। जब खुशबू आने लगे तो इसमें कसा हुआ प्याज डालकर अच्छी तरह भून लें। इसमें अदरक का पेस्ट, हल्दी पाउडर, टॉमेटो प्यूरी डालकर अच्छी तरह भून लें, एक कप पानी डालकर उबलने दें। ग्रेवी में भरवां आलू डालकर ढककर धीमी आंच पर 15 मिनट तक पकने दें, गरमागरम भरवां आलू को नान या पराठों के साथ सर्व करें।

Sunday, February 13, 2011

केसर हलवा

सामग्री :
सूजी = 1 कप
चीनी = 1 कप
पानी = 2 ½ कप
बादाम = 10
काजू = 10
किशमिश = 10-15
इलायची पाउडर = ¼ चम्मच
जायफल पाउडर = ¼ चम्मच
केसर गरम दूध में भिगी = 2 चम्मच
पीला रंग = कुछ बूंदें
घी = 3-4 चम्मच
विधि :
घी को एक बदे बर्तन में गरम करें | सूजी डाल कर हल्की आग पर 7 8 मिनट या खुशबू आने तक भुनें |
पानी वा चीनी डाल कर चीनी घुलने तक गरम करें |इसे सूजी में डाल कर मिलाएं व घी छोडने तक भुनें | मेवे , केसर व रंग मिलाएं व परोसें |

केसरी चावल

सामग्री :
बासमती चावल = 500 ग्राम
बादाम = 20
पिस्ता = 20 ग्राम
काजू = 20 ग्राम
किशमिश = 20 ग्राम
खोया = 250 ग्राम
लवंग = 10
केसर = ¼ चम्मच
इलायची = 5-6
केवडा = 50 ग्राम
चीनी = 100 ग्राम
घी = 100 ग्राम
विधि :
भिगे चावल, बादाम ,काजू ,केसर को 6 गिलास पानी में उबालें | इसमें आधी लवंग व इलायची डाल दें | जब चावल गल जाएं तब आग से उतार लें |
एक बर्तन में थोडा घी गरम करें उसमें लवंग व इलायची डाल कर 2 मिनट भुनें | अब उसमें आधे चावल डाल कर चीनी डालें व उपर बाकी चावल डाल दें |बाकी घी डाल दें व हल्की आग पर 25 मिनट पकाएं |
अब बचे मेवे व केवडा डाल कर ढक दें |जब पानी सूख जाए तब खोया डाल कर 15 मिनट पकाएं| निकाल कर परोसें |

मोहनथाल

सामग्री :
बेसन = 2 कप
चीनी = ½ कप
पानी = 1 कप
गाय का घी = 1 कप
कटे बादाम व पिस्ता = ½ कप
इलायची पाउडर = ½ चम्मच
खोया = 100 ग्राम
विधि :
एक बर्तन में घी गरम करें |गरम होने पर उसमें खोया व बेसन मिलाएं | अब मेवे मिलाएं व सुनहरा होने तक भुनें | दूसरे बर्तन में चाशनी बनाने के लिए पानी व चीनी डाला कर गाढा होने तक पकाएं |
एक पलेट को चिकना करें | तैयार चाशनी में बेसन डाल कर मिलाएं व गाढा पेस्ट की तरह होने तक पकाएं |मिश्रण को चिकनाई लगी पलेट में डालें व उपर से इलायची पाउडर बुरक दें | जमने के लिए रख दें |
जमने पर बर्फी के आकार में काट कर परोसें |

पोटैटो क्रिस्प

सामग्री :
आलू = 4-5
सिवई = 100 ग्राम
चाट मसाला
नमक
मिर्च
घी
विधि :
आलू के पतले चिप्स काट कर पानी में 2 3 घंटे के लिए रख दें | पानी से निकाल कर फैला दें | घी गरम करें व चिप्स को गुलाबी व कुरकुरा होने तक तल लें | सिवई को 1 चम्मच घी में कुरकुरा होने तक भुन लें | एक पलेट में आलू सजा कर उसके उपर भुनी सिवई में नमक,चाट मसाला व मिर्च मिला कर डालें | चाय के साथ परोसें |

Tuesday, February 8, 2011

दाल मुगलई

आवश्यक सामग्री : आधा कप अरहर की दाल, आधा कप चने की दाल, 1 कप कटे हुए टमाटर, 2 कप घिया (बड़े टुकड़ों में कटा हुआ) आधा टी स्पून हल्दी पाउडर, 1 टी स्पून जीरा, 1 टी स्पून बारीक कटा हुआ लहसुन, 1 टी स्पून कसा हुआ अदरक, आधा कप प्याज (लंबे टुकड़ों मे कटी हुई), 2 टी स्पून तेल, नमक स्वादानुसार। सजाने के लिए 2 टी स्पून हरा धनिया।
विधि : दाल को धोकर आधे घंटे के लिए भिगो दें। दाल को कुकर में डालकर उसमें टमाटर, घिया, हल्दी, नमक और 3 कप पानी डालकर पकाएं। अब एक पैन में घी गरम करें जब घी गरम हो जाए तो उसमें जीरा डाल दें। जब जीरा चटकने लगे तो उसमें लहसुन, हरी मिर्च, अदरक और प्याज डालकर फ्राई करें। दाल में डालकर हरे धनिए से सजाकर चावल और रोटी के साथ सर्व करें।

Monday, February 7, 2011

Chhath Puja Rituals

Chhath is a ritual bathing festival that follows a period of abstinence and ritual segregation of the worshiper from the main household for four days. During this period, the worshiper observes ritual purity, and sleeps on the floor on a single blanket. 
This is the only holy festival which has no involvement of any pandit (priest). The devotees offer their prayers to the setting sun and then the rising sun in celebrating its glory as the cycle of birth starts with death. It is seen as the most glorious form of Sun worship.

Bihar has a number of Sun temples, flanked by a surajkund or sacred pool of the Sun, forming a popular venue for the celebration of this festival.

The main worshipers, called Parvaitin (from Sanskrit parv, meaning 'occasion' or 'festival'), are usually women. However, a large number of men also observe this festival. The parvaitin pray for the well-being of their family, for prosperity and for offspring. Once a family starts performing Chhatt Puja, it is their duty to perform it every year and to pass it on to the following generations. The festival is skipped only if there happens to be a death in the family that year. The prasad offerings include sweets and fruit offered in small bamboo winnows. The food is strictly vegetarian and it is cooked without salt, onions or garlic. Emphasis is put on maintaining the purity of the food.

Mythology about Chhath

It is believed that ritual of Chhath puja may even predate the ancient Vedas texts, as the Rigveda contains hymns worshiping the Sun god and describes similar rituals. The rituals also find reference in the Sanskrit epic poem Mahabharata in which Draupadi is depicted as observing similar rites.


In the poem, Draupadi and the Pandavas, rulers of Hastinapur (modern Delhi), performed the Chhath ritual on advice of noble sage Dhaumya. Through her worship of the Sun God, Draupadi was not only able to solve her immediate problems, but also helped the Pandavas later regain their lost kingdom.

It is also believed that Chhath was started by Karna, the son of Surya Putra Karna who ruled over the Anga Desh (present day Bhagalpur district of Bihar) during the Mahabharat Age. He was a great warrior and fought against the Pandavas in the Kurukshetra War.

Its yogic/scientific history dates back to the Vedic times. The rishis of yore used this method to remain without any external intake of food as they were able to obtain energy directly from the sun's rays. This was done through the Chhath method. This has been stated in the book Sri Chhath Mahaviggyaan (The Science of Chhath) by Yogishri Oumkaar.

Saturday, February 5, 2011

गज मलाई

सामग्री :
गाजर की गोली
कसी गाजर = 2 कप
कसा पनीर = 100 ग्राम
मगज = 1 चम्मच
सौंफ पिसी = ½ चम्मच
केवडा एसेंस = 2-3 बूंद
कार्न फ्लोर = 1 चम्मच
चाशनी के लिए :
चीनी = ¼ कप
पानी = ¼ कप
छोटी इलायची पिसी = 2-3
केसरी दूध के लिए :
दूध = 3 कप
केसर = ¼ चम्मच
चीनी = 2 चम्मच
क्रीम = ½ कप
विधि :
चाशनी के लिए बताई सारी सामग्री को मिला कर धिमी आग पर 2 3 मिनट के लिए पका लें | चाशनी में कसी गाजर डाल कर चाशनी सोखने तक पकाएं |सौंफ ,मगज,व पनीर डाल कर चाशनी मिलने व सूखने तक पकाएं | उतार कर किवडा एसेंस व कार फ्लोर मिलाकर छोटी गोलियां बना लें | इन गोलियों को थोडी चपटी कर कर फ्रीज में सेट होनेके लिए रख दें |
किसरी दूध बनाने के लिए सारी सामग्री मिला कर धीमी आग पर दूध की मात्रा आधी होने तक पकाएं | उतार कर ठंडा करें | क्रीम मिलाकर अच्छी तरह से फेंट लें | तेल गरम करें व गाजर की गोलियों को मध्यम आग पर तल लें | रंग हल्का रखें |पेपर नेपकिन पर निकालें |किसरी दूध में डालें व ठडा कर कर परोसें |

Thursday, February 3, 2011

भरवां करेले

आवश्यक सामग्री :
आधा किलो करेले,
4 प्याज,
5 हरी मिर्च,
1 कच्चा आम,
आधा टी स्पून हल्दी,
आधा टी स्पून लाल मिर्च पाउडर,
स्वादानुसार नमक,
आवश्यकतानुसार सरसों का तेल।
2 टी स्पून सौंफ,
1 टी स्पून मेथी दाना,
1 टी स्पून कलौंजी,
1 टी स्पून सरसों के दाने,
2 टी स्पून साबुत धनिया।

विधि : 
करेले को ऊपर से हल्का छील लें, बीच में से चीर कर बीज निकाल लें। इन बीजों को मिक्सी में पीस लें। छिले हुए करेलों को 2 घंटे के लिए नमक लगाकर रख दें। साबुत मसालों को गर्म तवे पर भून लें और दरदरा पीस लें। हरी मिर्च, प्याज और कच्चे आम को बारीक काट लें। 2 घंटे बाद करेलों को पानी से अच्छी तरह धो लें। अब कड़ाही में तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए तो उसमें प्याज और पिसे हुए करेले के बीज डालकर गुलाबी होने तक भून लें, हरी मिर्च और कच्चा आम भी डाल दें। हल्दी और नमक डालकर कुछ देर भूनें।

अब इसमें भरावन वाला सूखा मसाला भी मिला दें। अब इस मसाला को करेलों में भर दें और सभी करेलों को धागे से बांध कर प्लेट में रख दें। कड़ाही में तेल गरम करें और करेले डालकर ढंक कर मध्यम आंच पर पकाएं। जब करेले पक जाएं तो उस पर बंधा धागा खोल दें।